बिहार में इंसेफेलाइटिस से 57 बच्चों की मौत, क्या खाली पेट लीची खाने से गई जान?

punjabkesari.in Friday, Jun 14, 2019 - 05:10 PM (IST)

मुजफ्फरपुरः बिहार के मुजफ्फरपुर में इंसेफेलाइटिस से अब तक 57 बच्चों की मौत हो चुकी है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने इस पर बयान जारी करते हुए कहा कि भूखे पेट लीची खाने से बच्चों की मौत हो रही है। इस खबर में हम आपको बताने जा रहे हैं कि इंसेफेलाइटिस का लीची से क्या संबंध है? कैसे लीची खाने से बच्चे इंसेफेलाइटिस का शिकार हो सकते हैं?

एक रिसर्च के अनुसार, लीची में hypoglycin A और methylenecyclopropylglycine (MPCG) नाम के प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले पदार्थ हैं जो शरीर में फैटी ऐसिड मेटाबॉलिज़म बनने में रुकावट पैदा करते हैं। इसकी वजह से ही ब्लड-शुगर का लेवल लो हो जाता है और मस्तिष्क संबंधी दिक्कतें शुरू हो जाती हैं। अगर रात का खाना न खाने की वजह से शरीर में पहले से ब्लड शुगर का लेवल कम हो और सुबह खाली पेट लीची खा ली जाए तो इंसेफेलाइटिस का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने माता-पिता को सलाह दी है कि वे बच्चों को खाली पेट लीची बिलकुल न खिलाएं। अधिकारियों का कहना है कि कुछ बच्चे रात को बिना खाना खाए सो जाते हैं और सुबह का नाश्ता करने की बजाए खाली पेट बड़ी संख्या में लीची खा लेते हैं। इससे शरीर का ब्लड शुगर लेवल अचानक बहुत ज्यादा लो हो जाता है और बच्चे इंसेफेलाइटिस के शिकार हो जाते हैं। 


क्या है इंसेफेलाइटिस  
यह एक दिमागी बुखार है जो कि वायरल संक्रमण की वजह से फैलता है। यह मुख्य रुप से गंदगी में पनपता है। जैसे ही यह हमारे शरीर के सपंर्क में आता है वैसे ही यह दिमाग की ओर चला जाता है। यह बीमारी ज्यादातर 1 से 14 साल के बच्चे एवं 65 वर्ष से ऊपर के लोगों को होती है।

ये है बीमारी के लक्षण 
डॉक्टरों का कहना है कि इससे बुखार, सिरदर्द, ऐंठन, उल्टी और बेहोशी जैसी समस्याएं पैदा हो जाती हैं। रोगी का शरीर निर्बल हो जाता है। वह प्रकाश से डरता है। कुछ रोगियों के गर्दन में जकड़न आ जाती है। डॉक्टरों के अनुसार, कुछ रोगी लकवा के भी शिकार हो जाते हैं।



इंसेफेलाइटिस से बचने के तरीके 
इंसेफेलाइटिस से बचने के लिए समय से टीकाकरण करवाना चाहिए। गंदे पानी के संपर्क में आने से बचना चाहिए। इस बीमारी से बचने के लिए मच्छरों से बचाव करें और घरों के आस-पास पानी न जमा होने दें। माता-पिता को इस बीमारी से ग्रसित बच्चों का खास ध्यान रखना चाहिए। बच्चों में पानी की कमी ने होने दें। बच्चों को ओआरएस या नींबू पानी का घोल पिलाएं। बच्चों को कभी भी खाली पेट न सोने दें। साफ-सफाई का विशेष रखें।

prachi