बरेली मेयर चुनाव में विपक्ष की करारी हार, कांग्रेस-बसपा प्रत्याशी ने पार्टी नेताओं पर लगाया हराने का आरोप, सपा समर्थित प्रत्याशी ने कहा- EVM की सेटिंग से हारे चुनाव

punjabkesari.in Tuesday, May 16, 2023 - 03:53 PM (IST)

बरेली: मेयर चुनाव में 56 हजार से ज्यादा वोटों के रिकॉर्ड अंतर से हारे सपा समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी डॉ. आईएस तोमर का कहना है कि एक जमाने में बूथ कैप्चरिंग होती थी तो सबको दिखती थी लेकिन ईवीएम की सेटिंग बदलकर आसानी से यह काम किया जा सकता है। उन्होंने ईवीएम पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि यह कैसे हो सकता है कि जिन इलाकों में पिछले चुनाव में उन्हें भरपूर वोट मिला, इस बार वहां उन्हें कोई वोट न दे।

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ईवीएम में या तो सिर्फ भाजपा के नाम वाले बटन दब रहे थे या फिर...
डॉ. तोमर ने सवाल किया कि ऐसा कैसे हो सकता है कि शुरू से आखिर तक भाजपा और सपा प्रत्याशी के वोटों में दुगने का अंतर रहे। बोले, मतगणना का बूथवार रिकार्ड अभी मिला नहीं है। रिकॉर्ड मिलने के बाद उसकी समीक्षा कर बताएंगे कि कहां- कहां क्या किया गया है। डॉ. तोमर ने कहा कि ईवीएम के बरेली में आने के बाद पहले दिन ही उनमें गड़बड़ियां उजागर हो गई थी। 16 लोगों के नाम होने के बाद भी ईवीएम में या तो सिर्फ भाजपा के नाम वाले बटन दब रहे थे या फिर कोई भी बटन दबाओ तो भाजपा को वोट जा रहा था। प्रेक्षक के सामने भी अचानक चेक करने पर तीन में से दो ईवीएम में यह गड़बड़ी निकली थी।

ईवीएम की सेटिंग से हारे चुनाव
डॉ. तोमर ने कहा कि वह हार का कारण वोट न मिलना नहीं बल्कि ईवीएम की सेटिंग को मानते हैं । निष्पक्ष चुनाव होता तो तस्वीर उलट होती। जनता भ्रष्टाचार से नाखुश थी और बदलाव चाहती थी लेकिन नतीजा जनता के मूड के विपरीत आया है। यह परिणाम पहले से तय था।

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चुनाव लड़ाने की बजाय कैमरों पर मुखड़ा दिखाते रहे संगठन के नेताः कांग्रेस प्रत्याशी
मेयर चुनाव में तीसरे नंबर पर रहे कांग्रेस के प्रत्याशी डॉ. केबी त्रिपाठी ने अपनी हार की वजह पार्टी के महानगर संगठन की निष्क्रियता को बताया। तंज कसते हुए बोले, महानगर संगठन के नेता कैमरों के सामने अपना सुदर्शन मुखड़ा तो दिखाते रहे लेकिन न उनकी मदद की न वार्डों में खड़े प्रत्याशियों कीका नतीजा कुछ और ही होता। अगर ऐसा न होता तो चुनाव।

महानगर अध्यक्ष ने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाईः डॉ. त्रिपाठी
डॉ. त्रिपाठी ने कहा कि कांग्रेस का महानगर संगठन कमजोर न होता तो नगर निगम चुनाव में पार्टी और मजबूत स्थिति में होती। महानगर अध्यक्ष ने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई। भरपूर समय होने के बावजूद 80 वार्डों में प्रत्याशी तय नहीं किए, बाद में उन्हें जिताने के लिए भी कोई प्रयास नहीं किया। जिन वार्डों में कांग्रेस के प्रत्याशी जीते, वह खुद उनका प्रयास था। उन्होंने बाइक रैली निकालकर जनता में उत्साह भरा, यह काम संगठन की ओर से होना चाहिए था। उन्हें चुनाव जिताने के लिए संगठन ने कोई योजना नहीं बनाई। टिकटों का वितरण भी ठीक से नहीं किया। बोले, जब संगठन अपना मूल काम ही नहीं करेगा तो प्रत्याशी कैसे जीत सकता है।

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सपा को ही मिला मुसलमानों का वोट, पार्टी का संगठन होता तो परिणां कुछ और होतेः बसपा प्रत्याशी 
बरेली से मेयर चुनाव में चौथे नंबर पर रहे बसपा प्रत्याशी यूसुफ जरीवाला ने ईवीएम से निकले नतीजों को खारिज करते हुए दावा किया है कि ज्यादातर मुस्लिम वोट सपा को ही मिला है। हालांकि सपा और कांग्रेस लड़ाई में ही नहीं थे। विधानसभा चुनाव के बाद से बसपा की महानगर कमेटी भंग न चल रही होती और उनको चुनाव ठीक से लड़ाया जाता तो उन्हीं का मुकाबला भाजपा से होता। यूसुफ ने कहा कि मेयर का चुनाव लड़ने के लिए बसपा के पास उनसे ज्यादा उपयुक्त प्रत्याशी नहीं थे। पार्टी का संगठन होता, साथ ही सभी वार्डो में प्रत्याशी खड़े किए जाते तो मेयर की सीट पर बसपा का ही कब्जा होता।
 

मतदान के दो दिन पहले तक बसपा की स्थिति अच्छी थीः यूसुफ जरीवाला
यूसुफ जरीवाला यहीं नहीं रुके उन्होंने कहा कि मतदान के दो दिन पहले तक बसपा की स्थिति अच्छी थी, एक दिन पहले न जाने क्या हुआ कि चुनाव हाथ से निकल गया। मुस्लिम मतदाताओं को लगा कि वह नहीं जीत रहे हैं तो उन्होंने सपा को वोट कर दिया। अपनी हार का कारण बताते हुए यूसुफ ने कहा कि बसपा का चुनाव मुस्लिम और दलित वोटों पर ही केंद्रित था। महानगर में बसपा के अध्यक्ष और दूसरे पदाधिकारी होते तो वे उन्हें चुनाव लड़ाते | 80 वार्डो में प्रत्याशी खड़े किए जाते तो उनके वर्चस्व का भी कुछ वोट उन्हें मिलता लेकिन न संगठन चुनाव में जुटा न ही वार्डो के प्रत्याशियों का वोट उन्हें मिला। हालांकि जनता ने फिर भी उन्हें भरपूर प्यार दिया।


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Content Writer

Ajay kumar

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