दारुल उलूम देवबंद का नया फरमान- महिलाओं का चुस्त व चमकदार बुक्रे पहनना नाजायज

punjabkesari.in Tuesday, Jan 02, 2018 - 11:11 PM (IST)

लखनऊः दारुल उलूम देवबंद ने मंगलवार को मुस्लिम महिलाओं के लिए एक नया फतवा जारी किया है। उनका कहना है कि मुस्लिम महिलाओं के विभिन्न डिजाइनों के बुर्के व चुस्त लिबास पहना सख्त गुनाह व नाजायज है। फतवे में कहा गया है कि ऐसा बुर्का या लिबास पहनकर महिलाओं का घर से बाहर निकलना जायज नहीं है।

दरअसल, देवबंद के ही एक व्यक्ति ने दारुल उलूम के इफ्ता विभाग से इस संबंध में एक लिखित सवाल किया था। इस पर मुफ्तियों की खंडपीठ ने जवाब में कहा कि मोहम्मद साहब ने इरशाद फरमाया है की औरत छुपाने की चीज है, क्योंकि जब कोई औरत बाहर निकलती है तो शैतान उसे घूरता है। एेसे में बिना जरूरत औरत को घर से नहीं निकलना चाहिए।

जब जरूरत पर घर से निकले तो अपने जिस्म को इस तरह छुपाए कि उसके शरीर के अंग दिखाई न दे, यानी ढीला लिबास पहन कर निकले। तंग व चुस्त बुर्का पहन कर निकलना और लोगों को अपनी ओर आकर्षित करना हरगिज जायज नहीं है और सख्त गुनाह है।

दारुल उलूम से जारी फतवे को वक्त की जरूरत बताते हुए तंजीम अब्ना-ए-दारुल-उलूम के अध्यक्ष मुफ्ती यादे इलाही कासमी ने कहा कि पर्दे के नाम पर मुस्लिम महिलाएं खास तौर पर स्कूल कॉलेजों में जाने वाली लड़कियों द्वारा खिलवाड़ किया जा रहा है। बेहद तंग व चमक दमक के बुर्कों से बाजार भरे पड़े हैं। इस्लाम ने जिस पर्दे का हुक्म दिया है वह इन बुर्कों से पूरा नहीं होता। इसलिए वह ढीले-ढाले बुर्कों का इस्तेमाल करें ताकि वह बुरी नजरों से बच सकें।

इससे पहले देवबंद ने नए साल का जश्न नहीं मानाने और केक न काटने का फरमान जारी किया था। मदरसा जामिया हुसैनिया के वरिष्ठ उस्ताद मौलाना मुफ्ती तारिक कासमी का कहना था कि नए साल की जश्न मनाना और केक काटना इस्लाम में जायज नहीं है।