मुस्लिमों के विवाह पंजीकरण पर दारूल उलूम ने जताया एतराज

punjabkesari.in Thursday, Aug 03, 2017 - 05:14 PM (IST)

सहारनपुर: उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सभी धर्मो के लिए विवाह पंजीकरण किये जाने को इस्लामिक शिक्षण संस्था दारूल उलूम देवबंद सही नहीं मानता है। 

संस्था के मोहतमिम मुुफ्ती अबुल कासिम नोमानी बनारसी का कहना है कि इसे मुस्लिमों पर जबरदस्ती थोपा नहीं जाना चाहिए। ऐसा करना धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लघंन होगा। उन्होंने कहा कि धार्मिक तौर पर शादी सिर्फ निकाह करने से हो जाती है। हम शादी के पंजीकरण के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन ऐसा न करने वालों को कानूनी हुकूक से वंचित करने की बात उत्पीडऩ करने वाला निर्णय है। 

दारूल उलूम वक्फ के शेखुल हदीस मौलाना अहमद खिजर शाह मसूदी ने कहा कि इस्लाम में शादी के दौरान काजी द्वारा जो निकाह पढ़ाया जाता है जिसे वह रजिस्टर में गवाहों के हस्ताक्षर समेत दर्ज कराता है, और यह रजिस्टर संवैधानिक रूप से अदालत में भी मान्यता प्राप्त है।  मौलाना ने कहा कि विवाह रजिस्ट्रेशन न कराने वाले पर जुर्माना या उसके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई किया जाना उचित नहीं है। क्योंकि इस्लाम में शादी के लिए निकाह ही काफी है। 

गौरतलब है कि हाल ही उत्तर प्रदेश सरकार ने विवाह पंजीकरण को अनिवार्य कर दिया है । इसके बाद कई मुस्लिम संगठनों ने इसका विरोध किया है।