अपने 3 बच्चों की मौत पर बेसुध ग्राम प्रधान ने कहा-अब जीने का मकसद ही नहीं रह गया
punjabkesari.in Thursday, Apr 26, 2018 - 06:05 PM (IST)
कुशीनगर: उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में आज ट्रेन और बस की टक्कर में जिन 13 बच्चों की मृत्यु हुयी, उनमे से तीन परिवारों के सात बच्चे सगे भाई बहन थे। दुर्घटनास्थल पर यहां वहां पड़े बैग, कापी, किताबे और टिफिन बाक्स इस बात की तस्दीक कर रहे थे कि हादसा किस कदर भयावह रहा होगा। रेल क्रासिंग के इर्द गिर्द पड़े खून की छींटे और खस्ताहाल बस के अवशेष दुर्घटना स्थल की विकृत तस्वीर बयां करने के लिये काफी थे।
अब जीने का मकसद ही नहीं रह गया
इस हादसे में मिश्रौली गांव के प्रधान अमर जीत सिंह के दो लड़के और एक बेटी की मृत्यु हो गई। रो रो कर बेहाल हो रहे अमरजीत ने कहा ‘विश्वास नहीं होता कि मेरे लाडले संतोष, रवि और रागिनी अब इस दुनिया में नहीं हैं। तीनों भाई बहन पढऩे में अव्वल थे। घर की रौनक थे मेरे लाडले। अब जीने का मकसद ही नहीं रह गया जिसके लिए जी रहे थे वही नहीं रहे।’
यही स्थिति कोकिल पट्टी निवासी नौशाद की है जिसके दो होनहार बेटे अतीउल्लाह और गोल्डन इस दुर्घटना में उनसे हमेशा के लिए बिछुड़ गये। बच्चों के शव देखते ही मां बेहोश हो गई जिसे पड़ोसी संभालने की कोशिश कर रहे थे। ग्रामीणों ने बताया कि नौशाद के बच्चे होनहार और मिलनसार थे। वे पूरे गांव के लाडले थे। गांव का हर शख्स उन्हें बेहद प्यार करता था।
हसन के घर में मचा भी कोहराम
बतरौली निवासी हसन के घर भी कोहराम मचा हुआ था उनके पुत्र साजिद और तमन्ना बस हादसे का शिकार बने।
मेरी तो दुनिया ही उजड़ गयी-हसन
बदहवास हसन ने कहा, ‘मेरी तो दुनिया ही उजड़ गयी। आज भोर तक जिन बच्चों के शोर से घर का चप्पा चप्पा गूंजा करता था। कल के बाद वहां वीरानी छायी रहेगी। मेरी जिंदगी का सहारा हमसे बिछड गया। अब जीने की कोई तमन्ना नही है। अल्लाह हमें भी इस दुनिया से रूखसत करे। इसके अलावा मनोज (08) और मुस्कान (07) भाई बहन है जो महिराणा के निवासी हैं। मृत बच्चों में हरिओम (08), अरशद (09), अनस (08), गोलू शामिल है।
गौरतलब है कि पूर्वोत्तर रेलवे के गोरखपुर-सिवान रेल खंड पर दुदही रेलवे स्टेशन के पास मानवरहित क्रासिंग के पर थावे-बढनी सवारी गाडी से एक स्कूली वैन के टकराने से स्कूल जा रहे 13 स्कूली बच्चों की घटना स्थल पर मृत्यु हो गयी और अन्य सात बच्चे घायल हो गये।