लंबे इंतजार के बाद उत्तराखंड को मिला 12वां मुख्यमंत्री, सहज स्वभाव के चलते हार कर भी जीते धामी

punjabkesari.in Tuesday, Mar 22, 2022 - 11:01 AM (IST)

 

नैनीतालः लंबे इंतजार के बाद उत्तराखंड को आखिरकार 12वां मुख्यमंत्री मिल गया है। भाजपा ने अंतत: पार्टी को प्रचंड बहुमत दिलाने वाले पुष्कर सिंह धामी पर दांव लगाया है। धामी को खटीमा की जनता ने नकार दिया है, लेकिन उनकी विनम्रता तथा सहज स्वभाव ने उन्हें पुन: मुख्यमंत्री की कुर्सी पर पहुंचा दिया। धामी को पिछले साल जुलाई में भाजपा ने बेहद मुश्किल समय में प्रदेश की कमान सौंपी थी।

विधानसभा चुनाव में बेहद कम समय और प्रदेश में दो-दो मुख्यमंत्रियों की नाकामी के बावजूद पार्टी ने उनके कंधे पर बड़ी जिम्मेदारी सौंपी थी। कोरोना महामारी के साथ ही देवस्थानम् बोर्ड को लेकर पनपा असंतोष तथा चारधाम यात्रा शुरू करने की जिम्मेदारी उनके लिए अग्नि परीक्षा से कम नहीं थी। एंटी इनकंबेसी के बीच जनता के बीच सरकार का इकबाल कायम करना भी उनके लिए खासा चुनौती मानी जा रही थी।

धामी इन मामलों में खरे उतरे और उन्होंने सबसे पहले विवादित मुद्दों पर अपनी सरकार का रूख साफ कर पुराने फैसलों को लेकर पैदा असमंजस को खत्म किया। 5 महीने के अल्प कार्यकाल में धड़ाधड़ जनहित में फैसले लिए। उन्होंने लगभग पांच सौ से अधिक फैसले लेकर जनता में एक बार फिर सरकार के प्रति विश्वास कायम किया। केन्द्रीय योजनाओं की तेजी से समीक्षा कर तथा उन पर कार्य प्रगति आगे बढ़ा कर लोगों को विश्वास जीता। आंदोलनकारियों से लेकर महिला शसक्तीकरण के मामले में सरकार ने प्रमुख भूमिका निभाई। ग्राम प्रधानों, जिला पंचायत उपाध्यक्ष, आंगनबाड़ी व आशा कार्यकर्ताओं के वेतनभत्तों में बढ़ोतरी कर उनकी सरकार ने लोगों के दिलों में मरहम का काम किया।

बेशक धामी को चुनाव में खटीमा से हार का मुंह देखना पड़ा हो, लेकिन उन्होंने प्रदेश में सभी विधानसभाओं में प्रचार कर अपने प्रत्याशियों की जीत का रास्ता प्रशस्त किया है। ये बात दीगर है कि वे अपने गृह जनपद उधमसिंह नगर जनपद में अपनी पार्टी को बुरी तरह हार से नहीं बचा पाए। यहां उनकी पार्टी को 9 में से मात्र चार सीटे मिली हैं। पांच सीटें उन्होंने गंवा दी है। इसमें उनकी अपनी खटीमा सीट भी है। खास बात यह कि धामी की सहजता तथा मृद्द व्यवहार उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के करीब ले गया। प्रधानमंत्री की केदारनाथ यात्रा हो या प्रदेश में होने वाली जनसभायें मोदी ने उनकी पीठ थपथपायी है और इससे उन्हें बड़े नेता के रूप में उभरने का मार्ग प्रशस्त हुआ।

धामी के मुख्यमंत्री कार्यकाल से हालांकि विपक्षी खासकर कांग्रेस नेता हरीश रावत खुश नजर नहीं आए और उन्होंने कई मौकों पर धामी को खननप्रेमी मुख्यमंत्री की संज्ञा दे डाली। धामी की बतौर मुख्यमंत्री के रूप में अब असली अग्नि परीक्षा है और विपक्ष के आरोपों से भी उन्हें अपने को अब पाक साफ साबित करना होगा। देखना है कि धामी प्रधानमंत्री मोदी की अपेक्षाओं पर कितना खरा उतरते हैं।


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Nitika

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