Uttarakhand Election 2022: कहीं कांग्रेस को उलटा न पड़ जाये रावत को लालकुआं भेजने का दांव

punjabkesari.in Friday, Feb 04, 2022 - 08:40 PM (IST)

नैनीतालः उत्तराखंड की चर्चित विधानसभा सीटों में से एक लालकुआं विधानसभा क्षेत्र इस बार खासी चर्चाओं में है। काफी राजनीतिक उठापटक के बाद कांग्रेस ने इस सीट से अपने प्रमुख नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को उम्मीदवार घोषित किया है।

रावत का निर्वाचन क्षेत्र बदल दिया गया है और उन्हें नए क्षेत्र जोर आजमाइश करनी पड़ेगी। लालकुआं विधानसभा परिसीमन के बाद 2008 में अस्तित्व में आई। इस सीट पर भाजपा और कांग्रेस दोनों का वर्चस्व रहा है। वर्ष 2017 में मोदी लहर में भाजपा के नवीन दुमका ने कांग्रेस के प्रत्याशी हरीश चंद्र दुर्गापाल को 27 हजार से अधिक मतों के अंतर से हराया। 2012 के चुनाव में इस पर कांग्रेस का कब्जा हुआ। हरीश चंद्र दुर्गापाल ने तब भाजपा के नवीन दुमका को लगभग नौ हजार मतों के अंतर से हराया था। इस बार कांग्रेस ने पहले चरण में हरीश चंद्र दुर्गापाल का टिकट काटकर महिला उम्मीदवार के रूप में संध्या डालाकोटि को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। हमेशा की तरह रावत अपने चिर प्रतिद्वंद्वी और पार्टी के कार्यवाहक अध्यक्ष रणजीत सिंह रावत पर भारी पड़े और उन्होंने रणजीत रावत का टिकट कटवा कर अपने को रामनगर सीट से कांग्रेस का सूरमा घोषित करवा दिया था लेकिन लालकुआं और रामनगर सीट पर एक साथ हुए जबरदस्त बगावत के चलते कांग्रेस आलाकमान को अपना पांव वापस खींचने पड़े और मजबूरन संध्या डालाकोटि का टिकट काटकर रावत को लालकुआं का उम्मीवार घोषित करना पड़ा।

वर्ष 2017 में दो-दो सीटों से पार्टी की लुटिया डूबोने वाले रावत के लिए यह एक तरफ कुआं तो दूसरी तरफ खाई वाला हिसाब था। सुरक्षित सीट की तलाश में हरीश रावत को अंतत: आलाकमान का फैसला मानना ही पड़ा। उनको प्रत्याशी घोषित करने से हरेन्द्र बोरा और पूर्व केबिनेट मंत्री हरीश चंद्र दुुर्गापाल के बगावत के सुर थम गए लेकिन रावत की परेशानी फिर भी कम नहीं हुई। टिकट कटने से नाराज संध्या डालाकोटि नहीं मानी और उन्होंने श्री रावत एवं कांग्रेस को एक साथ चुनौती दे डाली। उन्होंने चुनाव में निर्दलीय ताल ठोंक दी। वह कांग्रेस से अधिक खलनायक हरीश रावत को मानती हैं और पूरे प्रचार में वह भाजपा के बजाय रावत को निशाने पर ले रही हैं। इसके अलावा हरेन्द्र बोरा और हरीश चंद्र दुर्गापाल खेमा भी रावत की उम्मीदवारी को पचा नहीं पा रहे हैैं। दूसरी ओर भाजपा ने विधायक नवीन दुमका का टिकट काटकर युवा नेता एवं जिला पंचायत सदस्य मोहन सिंह बिष्ट पर दांव लगाया है। बताया जा रहा है कि यहां पार्टी के रूप में भाजपा की स्थिति अधिक सुद्दढ़ नहीं है लेकिन मोहन सिंह बिष्ट की छवि काफी अच्छी है। वह लोगों के बीच खासा लोकप्रिय हैं। यहां भाजपा के उम्मीदवार के लिए खास बात प्रचलित है कि प्रत्येक परिवार की रसोई तक भाजपा उम्मीदवार बिष्ट की पकड़ है और यही बात रावत के लिए खासी चुनौती बनी हुई है।

कांग्रेस के प्रचार अभियान समिति के अध्यक्ष रावत को स्थानीयता के साथ-साथ प्रचार के नाम पर भी दुश्वारी झेलनी पड़ रही। भाजपा के मुकाबले यहां कांग्रेस का चुनाव प्रचार कछुआ चाल से चल रहा है। स्थानीय लोगों का मानना है कि कांग्रेस के चुनाव में यहां अभी तक अपेक्षाकृत तेजी नहीं आ पाई है। यदि अंत तक यही हाल रहा था तो कांग्रेस को खासा नुकसान उठाना पड़ सकता है। जहां तक बात भाजपा के दो बागियों और आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार की हैं तो बताया जा रहा है कि भाजपा के बागी नेता कुंदन मेहता कांग्रेस को ही अधिक नुकसान पहुंचा रहे हैं। आप पार्टी के उम्मीदवार चंद्रशेखर पांडे यहां त्रिकोणीय भूमिका में हैं। अब जहां तक ब्राह्मण बहुल इस सीट पर मतदाताओं की संख्या का सवाल है तो इस सीट पर लगभग 1.21 लाख मतदाता हैं। यहां 75 से 78 प्रतिशत सवर्ण मतदाता हैं और लगभग 10 प्रतिशत गैर पर्वतीय और मात्र चार से पांच प्रतिशत मतदाता मुस्लिम बताए जा रहे हैं। इन आंकड़ों के लिहाज से कांग्रेस का परंपरागत वोट यहां काफी कम माना जा रहा है।

इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि हरीश रावत के लिए दुश्वारियां यहां कम होने के बजाय बढ़ सकती हैं। यही कारण है कि रावत के चिर प्रतिद्वंद्वी एवं पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कुछ दिन पहले हल्द्वानी में कांग्रेस नेता पर बड़ा सियासी हमला बोलते हुए लालकुआं को हरीश रावत के लिए सियासी मौत का कुआं बता दिया था।


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Nitika

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