CM योगी का भ्रष्टाचार पर वार, UP में खनिज ट्रांसपोर्ट के लिए ई-ट्रांजिट पास

punjabkesari.in Friday, Jun 09, 2017 - 03:32 PM (IST)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि भूतत्व एवं खनिकर्म के ई-वेब पोर्टल के लागू हो जाने से कई समस्याओं से निजात मिलेगी और धन की भी बचत होगी। मुख्यमंत्री ने देर शाम भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग द्वारा तैयार कराए गए ई-वेब पोर्टल को लांच किया। उन्होंने कहा कि अब खनिजों के परिवहन के लिए ई-ट्रांजिट पास की व्यवस्था उपलब्ध हो गई है। इस अवसर पर उन्होंने एक लाभार्थी को ई-ट्रांजिट पास प्रदान भी किया।

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में अभी तक खनिजों का परिवहन नियमानुसार राजकीय मुद्रणालयों में मुद्रित एमएम 11 प्रपत्रों पर होलोग्राम लगाकर किया जाता रहा है, जिसमें खनिजों की रॉयल्टी अग्रिम रूप से जमा करा कर खनिज कार्यालय द्वारा पट्टाधारकों को एमएम 11 की पुस्तकें जारी की जाती थीं। इसमें दो प्रतिपर्ण पट्टाधारक एवं परिवहनकर्ता को दिया जाता था तथा एक प्रतिपर्ण कार्यालय में जमा करा लिया जाता था। काफी अधिक संख्या में एमएम 11 की पुस्तकें होने के कारण इनके रख-रखाव में जिला खनिज कार्यालयों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था। साथ ही, इसके दुरुपयोग की भी सम्भावना बनी रहती थी। साथ ही,जिलों से खनिजों के परिवहन में उपयोग होने वाले एमएम 11 की कूटरचित होने की शिकायतें भी शासन स्तर पर प्राप्त होती रहती थीं।

नई व्यवस्था के तहत प्रत्येक पट्टाधारक को लॉगिन आईडी और पासवर्ड उपलब्ध कराया जाएगा, जिसके माध्यम से पट्टाधारक ई एमएम 11 जनरेट कराए जाने के लिए प्रोफार्मा भरकर मात्रा के सापेक्ष देय धनराशि ऑनलाइन जमा करेगा। तत्पश्चात् पट्टाधारक का ई-अभिवहन प्रपत्र जनरेट हो जाएगा, जिसे वह प्रिन्ट के माध्यम से हार्ड कॉपी में प्राप्त कर सकता है तथा वह उसकी सॉफ्ट कॉपी को भी प्रयोग में ला सकता है।  ई एमएम 11 लागू होने से अभिवहन प्रपत्र जारी करने की पूरी प्रक्रिया को सरल बनाया गया है, जिसमें पट्टेधारकों को कार्यालय की जटिल प्रक्रिया से निजात मिलेगी। इसमें एक तरफ पट्टेधारकों को बार-बार कार्यालय आने की आवश्यकता नहीं होगी।

ई-अभिवहन प्रपत्र पर सम्पूर्ण डाटा कोड में मौजूद रहेगा, जो आसानी से नष्ट नहीं किया जा सकता है, जिससे इसके दुरुपयोग की सम्भावना न के बराबर होगी। अब खनिजों के डिस्पैच को ट्रैक किया जाना आसान होगा। इसके अलावा खनिज विभाग के अधिकारियों को प्रपत्र एमएम 11 के रख-रखाव की समस्या से भी निजात मिलेगी।  एमएम 11 के दुरुपयोग की ऐसी शिकायतें प्राप्त होती थीं कि एक ही रवन्ने से कई-कई वाहन निकाले जाते हैं तथा एमएम 11 पर ओवर राइटिंग/कूटरचित करके प्रयोग में लाया जाता है, अब इस समस्या से भी निजात मिलेगी। एमएम 11 प्रपत्र के मुद्रण और होलोग्राम में लगभग 35 लाख रुपए का प्रतिवर्ष व्यय होता है।

ई एमएम 11 जारी होने से इस शासकीय धनराशि की बचत होगी। प्रदेश में समस्त खनिजों के परिवहन के लिए ई एमएम 11 की व्यवस्था की जा रही है। खनिजों की उपलब्धता व पट्टों की संख्या को दृष्टिगत रखते हुए साधारण बालू/मौरंग हेतु 2 माह में पूर्ण रूप से ई एमएम 11 एवं स्वस्थाने किस्म की चट्टानों के लिए 6 माह में ई एमएम 11 की व्यवस्था लागू कर दी जाएंगी। तब तक दोनों व्यवस्थाएं समान रूप से चलेंगी। इसके पश्चात् सम्पूर्ण प्रदेश में खनिजों के परिवहन के लिए ई-अभिवहन प्रपत्र का प्रयोग किया जाएगा।