UP Assembly Elections: 2022 के चुनाव में अलीगढ़ जिले की 7 सीटों पर होगा बड़ा खेल

punjabkesari.in Thursday, Jan 13, 2022 - 11:59 AM (IST)

 

अलीगढ़ः उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले की सात विधानसभा सीटों पर पहले चरण में ही वोट डाले जाएंगे। इस जिले में खैर, बरौली, अतरौली, छर्रा, कोल, अलीगढ़ और इगलास विधानसभा सीटों पर पहले चरण में ही वोट डाले जाएंगे। इस बार सत्ता में वापसी की आस लगाए बैठी समाजवादी पार्टी अलीगढ़ की हर सीट पर अपना जातीय समीकरण बैठा रही है। अखिलेश यादव इस बार सभी सातों सीटों को बीजेपी की झोली से झटकने की रणनीति पर काम कर रहे हैं, लेकिन इसके लिए समाजवादी पार्टी को अपने यादव और अल्पसंख्यक वोट के अलावा अन्य वर्ग से भी थोक वोट चाहिए। वहीं बीजेपी की सरकार ने भी अलीगढ़ के सियासी समीकरण को साधने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अलीगढ़ में राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर स्टेट लेवल यूनिवर्सिटी का शिलान्यास किया गया है। जाट समुदाय से ताल्लुक रखने वाले राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर यूनिवर्सिटी बनाने का इलाके में बड़ा असर पड़ सकता है, क्योंकि इसका प्रभाव अलीगढ़ सहित पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट समुदाय पर पड़ सकता है।
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इगलास सीट पर 2017 में बीजेपी कैंडिडेट राजवीर दिलेर ने जीत हासिल की थी। दिलेर ने 54.79 फीसदी वोट हासिल कर बसपा और रालोद को बुरी तरह से मात दे दी थी। अब इस बार समाजवादी और राष्ट्रीय लोक दल ने गठजोड़ कर इगलास में उलटफेर करने का मंसूबा बनाया है। इगलास सुरक्षित सीट के जातीय समीकरण से यहां के चुनावी नतीजे तय होते हैं। इगलास में 90 हजार जाट, 80 हजार ब्राह्मण, 30 हजार बघेल, 25 हजार जाटव और 20 हजार वैश्य वोटर हैं। इसके अलावा वाल्मीकि, दिवाकर, ठाकुर और लोधी वोटर भी यहां चुनावी नतीजों में अहम भूमिका निभाते हैं। यहां जाट वोटरों को अपने पाले में करने के लिए बीजेपी और सपा-रालोद में सीधी टक्कर है। यहां जाट और ब्राह्ण वोटर जिस पार्टी के पक्ष में गोलबंद हो गए उनकी जीत तय है।

वहीं अलीगढ़ शहर में भी 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी कैंडिडेट संजीव राजा ने जीत हासिल की थी। यहां सपा कैंडिडेट ने लगभग 40 फीसदी वोट हासिल किया था तो बसपा कैंडिडेट को लगभग ग्यारह फीसदी वोट मिले थे। वहीं रालोद कैंडिडेट को इगलास में एक फीसदी से भी कम वोट हासिल किया था, यानी इस बार भी समाजवादी पार्टी को इगलास में अपने दम पर ही चुनाव लड़ना होगा। अलीगढ़ शहर में 90 हजार मुस्लिम,80 हजार वैश्य, 22 हजार ब्राह्मण, 18 हजार क्षत्रिय और 30 हजार जाटव वोटर हैं। इसके अलावा 21 हजार कोरी, 11 हजार वाल्मीकि और 6 हजार जाट वोटर भी अलीगढ़ शहर सीट के चुनावी नतीजों का रूख मोड़ सकते हैं।

वहीं अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित खैर सीट पर 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी कैंडिडेट अनूप बाल्मीकि ने जीत हासिल की थी। यहां बाल्मीकि को 53.51 फीसदी वोट मिला था। वहीं बीएसपी कैंडिडेट को 23 फीसदी और रालोद को 18 फीसदी वोट मिला था। खैर सीट पर समाजवादी पार्टी के कैंडिडेट प्रशांत कुमार को 3.23 फीसदी वोट मिला था। इसलिए उम्मीद है कि गठबंधन में खैर सीट से रालोद कैंडिडेट को टिकट मिल सकता है, लेकिन अगर बीएसपी अपना 2017 वाला ही परफारमेंस दिखाएगी तो सपा-रालोद के कैंडिडेट को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। अब बात करते हैं खैर सीट के जातीय समीकरण की। यहां एक लाख से ज्यादा जाट, 50 हजार ब्राह्मण, 45 हजार जाटव, 25 हजार मुस्लिम और 20 हजार ठाकुर वोटर हैं। जाट, ब्राह्मण और जाटव वोटर जिस पार्टी का साथ देंगे उस पार्टी के कैंडिडेट की दावेदारी खैर में मजबूत हो सकती है।
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वहीं अलीगढ़ जिले की बरौली सीट पर 2017 में बीजेपी कैंडिडेट दलवीर सिंह ने 53 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी। बीएसपी कैंडिडेट को यहां से लगभग 37 फीसदी तो कांग्रेस कैंडिडेट को 7.33 फीसदी वोट मिला था। इस सीट पर ठाकुर वोटरों की बड़ी आबादी है। यहां 66 हजार ठाकुर,45 हजार लोधी,43 हजार जाटव और 30 हजार मुस्लिम वोटर हैं। इसके अलावा यहां 27 हजार ब्राह्मण और 22 हज़ार जाट वोटर भी चुनावी जीत-हार को तय करने में अहम भूमिका निभाते हैं। अगर बरौली सीट के जातीय समीकरण पर नजर डालें तो यहां मुख्य मुकाबला बीजेपी और बीएसपी के कैंडिडेट के बीच देखने को मिल सकता है।

वहीं अलीगढ़ जिले की अतरौली सीट पर 2017 में बीजेपी के संदीप कुमार सिंह ने 49.61 फीसदी वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी। यहां से सपा कैंडिडेट को 27.70 फीसदी तो बीएसपी कैंडिडेट को 19.36 फीसदी वोट मिला था। 2022 के विधानसभा चुनाव में भी अतरौली सीट पर बीजेपी और सपा में ही मुख्य मुकाबला होगा। अतरौली सीट पर लोध, यादव, जाट, ब्राह्मण, मुस्लिम और ठाकुर वोटर ही निर्णायक भूमिका में रहते हैं। अतरौली में 63 हजार लोधी, 60 हजार यादव, 33 हजार जाट, 30 हजार ब्राह्मण और 29 हजार मुस्लिम वोटर हैं। वहीं यहां 18 हजार ठाकुर और 12 हजार वैश्य वोटर भी जीत हार तय करने में अपनी दखल रखते हैं।

अलीगढ़ जिले की छर्रा विधानसभा सीट पर 2017 में बीजेपी के रवेंद्र पाल सिंह ने 48.36 फीसदी वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी। यहां से सपा कैंडिडेट को 23.84 फीसदी और बीएसपी कैंडिडेट को 23.52 फीसदी वोट मिला था। छर्रा विधानसभा सीट पर 56 हजार जाटव, 40 हजार लोधी, 36 हजार मुस्लिम,34 हजार ठाकुर और 22 हजार ब्राह्मण वोटर हैं। साफ है कि जाटव-लोधी और ठाकुर वोटर जिस पार्टी के पक्ष में गोलबंद हो जाएंगे उसके कैंडिडेट की जीत हो जाएगी।

वहीं अलीगढ़ जिले की कोल विधानसभा सीट पर 2017 में बीजेपी के अनिल पाराशर ने 41 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी। सपा कैंडिडेट ने 18.75 फीसदी तो बीएसपी कैंडिडेट ने 16.58 फीसदी वोट हासिल किया था। कोल सीट पर मुस्लिम वोटरों की लगभग सवा लाख संख्या है। वहीं 60 हजार ब्राह्मण,50 हजार दलित,50 हजार ठाकुर और 35 हजार वैश्य वोटर भी जीत-हार को तय करने का माद्दा रखते हैं। इसके अलावा 13 हजार बघेल,13 हजार जाट और 13 हजार सिंधी वोटर भी यहां मौजूद हैं। 2022 में यहां मुख्य मुकाबला बीजेपी और समाजवादी पार्टी के कैंडिडेट में ही होगा। 2022 में भी बीजेपी अलीगढ़ जिले की सभी 7 सीटों पर फिर से जीत हासिल करने की कोशिश कर रही है तो समाजवादी पार्टी बीजेपी के इस मजबूत किले में सेंध लगाने के लिए ताबड़तोड़ बैटिंग कर रही है। अब चुनावी नतीजे ही बताएंगे कि किस पार्टी के कैंडिडेट को जनता ने राजतिलक लगाया है।
 


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Nitika

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