UP Assembly Elections: हापुड़ जिले की तीन सीटों पर गन्ना किसान ही तय करेंगे चुनावी नतीजे

punjabkesari.in Friday, Jan 14, 2022 - 12:59 PM (IST)

 

लखनऊः हापुड़ जिले के तीन विधानसभा सीटों पर पहले चरण में ही वोट डाले जाएंगे। नई मतदाता सूची के मुताबिक इस बार हापुड़ जिले की तीन सीटों पर 11 लाख 23 हजार 7 सौ 44 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। इस जिले में हापुड़, धौलाना और गढ़मुक्तेश्वर विधानसभा की सीटों पर दस फरवरी को मतदान होगा। हापुड़ के तीनों विधानसभा सीटों पर मुस्लिम वोटरों की भूमिका निर्णायक होती है।

हापुड़ जिले के धौलाना सीट पर 2017 के विधानसभा चुनाव में बीएसपी के असलम चौधरी ने जीत हासिल की थी। असलम चौधरी ने बीजेपी के रमेश चंद्र तोमर को लगभग तीन हजार वोटों के अंतर से चुनाव हराया था। इस चुनाव में बसपा कैंडिडेट असलम चौधरी को 88 हजार 580 वोट मिले थे, जबकि दूसरे नंबर पर रहे बीजेपी के रमेश चंद्र तोमर को 85 हजार 4 वोट मिले थे। वहीं समाजवादी पार्टी के धर्मेश सिंह तोमर तीसरे नंबर पर थे। इधर विधायक हाजी असलम चौधरी डासना मंदिर पर दिए गए अपने विवादित बयान के कारण काफी चर्चा में रहे थे। धौलाना विधानसभा सीट के जातिगत समीकरणों के मुताबिक 40 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं। यहां डेढ़ लाख मुस्लिम, 70 हजार ठाकुर, 50 हजार अनुसूचित जाति, 20 हजार ब्राह्मण, 8 हजार यादव और 7 हजार जाट वोटर हैं। 2022 में असलम चौधरी को समाजवादी पार्टी ने यहां से अपना कैंडिडेट बनाया है, हालांकि बसपा से सपा में आने के बाद असलम चौधरी को दलित वोटरों का नुकसान उठाना पड़ेगा।

वहीं हापुड़ जिले के गढ़मुक्तेश्वर सीट से 2017 में बीजेपी के कमल सिंह मलिक विधायक चुने गए थे। मलिक ने बहुजन समाज पार्टी के प्रशांत चौधरी को 35 हजार 2 सौ 94 वोटों के मार्जिन से हराया था। अब बात करते हैं कि गढ़मुक्तेश्वर सीट के जातीगत समीकरण की। गढ़मुक्तेश्वर सीट पर लगभग 85 हजार मुस्लिम मतदाता हैं। वहीं यहां पर 60 हजार अनुसूचित जाति, 36 हजार जाट, 32 हजार ठाकुर,14 हजार त्यागी और 15 हजार ब्राह्मण वोटर हैं। वहीं गढ़मुक्तेश्वर सीट पर 30 हजार गुर्जर वोटर भी चुनावी नतीजों पर अपना असर डालते हैं। इस सीट पर भी जीत की कुंजी मुस्लिम और अनुसूचित जाति के वोटरों के हाथ में है। 2022 में बसपा और सपा की लड़ाई के बीच बीजेपी को फायदा मिल सकता है।
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वहीं हापुड़ सीट पर 2017 के चुनाव में बीजेपी के विजयपाल विधायक चुने गए थे। हापुड़ विधानसभा सीट पिछले कई दशकों से बीजेपी, कांग्रेस और बीएसपी के बीच की त्रिकोणीय लड़ाई का गवाह रहा है। 2017 में 84 हजार 532 वोट हासिल कर विजय पाल विधायक बने थे। 2012 में कांग्रेस के गजराज सिंह और 2007 में बीएसपी के धर्मपाल चुनाव जीतकर आए थे। यहां कद्दावर कांग्रेसी नेता गजराज सिंह ने चार बार चुनाव में जीत हासिल की है। 2022 में रालोद ने गजराज सिंह के किस्मत पर भरोसा जताया है। गजराज सिंह को बीजेपी और बीएसपी से कड़े मुकाबला का सामना करना पड़ेगा। अब बात करेंगे हापुड़ विधानसभा के जातीय समीकरण की। यहां 80 हज़ार मुस्लिम, 82 हज़ार अनुसूचित जाति, 50 हज़ार जाट और 30 हज़ार वैश्य वोटर हैं। वहीं 21 हज़ार ब्राम्हण, 10 हज़ार त्यागी, 8 हज़ार ठाकुर, 6 हजार सैनी और 5 हजार पंजाबी वोटर हैं। इस सीट पर मुस्लिम, अनुसूचित जाति, जाट और वैश्य वोटर ही चुनावी जीत-हार तय करते हैं।

अब बात करेंगे हापुड़ की समस्या पर। हापुड़ जिले के 47 हजार गन्ना किसानों का चीनी मिलों ने पुराने सेशन का 95 करोड़ रुपए बकाया है। वहीं इस सेशन में 2 सौ 14 करोड़ रुपए के गन्ने की पेराई हो चुकी है। दोनों चीनी मिलों पर किसानों का कुल मिलाकर तीन सौ 9 करोड़ रुपए बकाया है। 2022 के विधानसभा चुनाव में गन्ना पेमेंट का बकाया भी एक बड़ा चुनावी मुद्दा हो सकता है। यहां दो चीनी मिल भी लगे हैं लेकिन बीते कुछ सालों से चीनी मिलों ने भुगतान को लेकर टालमटोल भरा रवैया दिखाया है। बीजेपी सरकार ने तीन नए हाईवे का सौगात हापुड़ जिले के लोगों को देने का दावा किया है। जिले में एलिवेटेड रोड, एनएच 9, एनएच 334 के बाद तीन नई और महत्वपूर्ण सड़कों का निर्माण कार्य शुरू होने की बात कही जा रही है। गढ़मुक्तेश्वर से मेरठ हाईवे 709 ए का चौड़ीकरण शुरू हो चुका है। दो हजार 69 करोड़ रुपए की लागत से इसका निर्माण हो रहा है। इसके अलावा 34 हजार करोड़ की लागत से बनने वाला गंगा एक्सप्रेस वे का निर्माण भी शुरू होने वाला है। गंगा एक्सप्रेस वे गढ़ और हापुड़ के 28 गांवों से होकर गुजरने वाला है।

सरकार चाहे लाख दावे करे लेकिन ये बात सच है कि हापुड़ में गन्ना किसान और जातिगत समीकरण ही चुनावी नतीजे तय करेंगे।
 


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Nitika

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