मधुमेह से बचना है तो तुरंत छोड़ दें ये आदत, वर्ना...

punjabkesari.in Tuesday, Nov 14, 2017 - 03:30 PM (IST)

लखनऊ: असंतुलित भोजन, आरामतलब जीवन शैली तथा शारीरिक श्रम के प्रति उदासीनता के कारण पिछले डेढ़ दशक ने शहरी क्षेत्र के मध्यम तथा उच्च वर्ग में मधुमेह रोगियों की सख्या में आशातीत वृद्धि हुई है। हालांकि, ऐसा नहीं है कि इस बीमारी ने किसी खास वर्ग को अपनी चपेट में लिया हो। इसकी चपेट में हर वर्ग के लोग आ रहे हैं।

निम्न वर्ग में जागरूकता की कमी के कारण इसके बारे में पता नहीं चल पाता है। इस रोग के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिये कई निजी संगठनों ने बीड़ा उठाया है।

मधुमेह रोग विशेषज्ञों ने बताया कि देश में लगभग पांच प्रतिशत लोग मधुमेह से पीड़ित हैं। उत्तर प्रदेश में ये आंकड़े उससे ज्यादा हैं। शहरी क्षेत्रों में इस रोग के पीड़ितों का प्रतिशत अधिक है। ग्रामीण क्षेत्रों में इसका प्रतिशत मात्र दो है।

श्यामा प्रसाद मुखर्जी अस्पताल के वरिष्ठ डॉ0 अशोक यादव ने बताया कि शहरी क्षेत्रों में पांच प्रतिशत लोग इस रोग से पीड़ित हंै। कई लोगों के जांच नहीं कराने से इसके बारे में पता ही नहीं चल पाता। उन्होंने कहा कि मधुमेह से पीड़ित लोग स्वस्थ्य खान-पान और जीवन भर हेल्दी डाइट योजना पर अमल कर ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित रख सकते हैं। 

डॉ0. अशोक यादव ने बताया कि मधुमेह के रोगी का आहार केवल पेट भरने के लिए ही नहीं होता। यह उसके लिए शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा को नियंत्रित रखने में सहायक होता है। यह बीमारी जीवन भर रहती है, इसलिए जरूरी है कि वह अपने खान-पान का डायबिटीज डाइट चार्ट रखे।  

उन्होंने बताया कि मधुमेह रोगी को छोटे-छोटे अंतराल में भोजन करना चाहिये। उन्होने कहा कि इसे रोगों का खदान कहा जाय तो अतिशयोक्ति नही होगी। उन्होंने बताया कि मधुमेह रोग का प्रमुख कारण पैक्रियाज में इंसुलिन बनाने वाली बीटा कोशिकाओं की कार्यशीलता की कमी है। विश्व मधुमेह दिवस के अवसर पर सोनभद्र बार एसोसिएशन सभागार में नि:शुल्क सुगर जाँच करायी गयी। इस कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य चिकित्साधीक्षक डॉक्टर पीबी गौतम ने किया।  

डॉ0 गौतम ने कहा कि इस रोग से दूर रहने के लिये सुबह उठकर टहलना सबसे फायदेमंद रहता है। उन्होंने कहा कि योग से भी कुछ हद तक इस रोग को बीमारी से बचा जा सकता है। इस रोग के प्रति लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि लोग बार बार टेस्ट कराने से कतराते है। यदि लोगों को इस रोग के प्रति जानकारी हो जाय तो जिन्दगी आसान हो जाती है। मसलन उन्हें मालूम होना चाहिए कि क्या खाना चाहिए क्या नही। इंसुलेंस का इंजेक्शन कैसे लगाना है।