यूपी चुनाव: पर्दे के पीछे हैं भाजपा में मुख्यमंत्री पद के ये चेहरे!

punjabkesari.in Wednesday, Jan 18, 2017 - 04:26 PM (IST)

लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी ने यू.पी. में पहले दो चरणों के लिए प्रत्याशियों की सूची जारी करके अपना अभियान शुरू कर दिया है। वैसे तो बहुत से नाम चौंकाने वाले हैं लेकिन मथुरा की वृंदावन सीट से श्रीकांत शर्मा को टिकट देकर सभी को चौंका दिया है। भाजपा में चर्चा है कि शर्मा सी.एम. पद के दावेदार हो सकते हैं। आइए नजर डालते हैं बिना किसी चेहरे को घोषित किए यू.पी. के समर में उतरी भाजपा के संभावित मुख्यमंत्री के नामों पर :

               

राजनाथ सिंह 
केंद्रीय गृह मंत्री और यू.पी. के पूर्व सी.एम. राजनाथ सिंह (65) का नाम हमेशा ही उत्तर प्रदेश के बड़े नेता के रूप में लिया जाता है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे हैं और उन्हें अटल, अडवानी और कल्याण सिंह की श्रेणी का नेता माना जाता रहा है। अक्सर खबरें आती हैं कि यू.पी. में भले ही भाजपा ने सी.एम. पद के लिए किसी चेहरे को सामने नहीं रखा है लेकिन जरूरत पड़ी तो राजनाथ सिंह को बड़ी आसानी से वहां के मुख्यमंत्री के सांचे में फिट किया जा सकता है। हालांकि यू.पी. का होने के कारण राजनाथ सिंह के खिलाफ भाजपा में एक लॉबी उनका विरोध भी करती रही है लेकिन इसमें जरा भी शक नहीं कि लखनऊ से सांसद राजनाथ सिंह यू.पी. में पार्टी का सबसे बड़ा चेहरा हैं। 
               

योगी आदित्यनाथ
कट्टर ङ्क्षहदूवादी चेहरा गोरखपुर के सांसद योगी आदित्यनाथ (44) का रिकार्ड सबसे मजबूत है। 1998 से लगातार भाजपा के सांसद हैं। गोरखपुर व पूर्वांचल में उनकी जबरदस्त पकड़ है। गढ़वाल में जन्मे आदित्यनाथ गोरखपुर के महंत अवैद्यनाथ के उत्तराधिकारी व गोरखपुर मठ के प्रमुख हैं। ङ्क्षहदू युवा वाहिनी के संस्थापक हैं। आक्रामक हैं। जब वह पहली बार संसद गए थे तो केवल 26 साल के थे। राजपूत परिवार से हैं और उनका असली नाम अजय सिंह है। कई बार वह अपनी इच्छा भी जाहिर कर चुके हैं। हालांकि भगवाधारी को भाजपा सी.एम. पद नहीं देना चाहेगी लेकिन मुख्यमंत्री पद के लिए उनका नाम लगातार फिजाओं में तैरता रहा है। 

               

केशव प्रसाद मौर्य
इलाहाबाद के मौर्य यू.पी. में पिछड़ी जाति में भाजपा का चेहरा हैं। माना जा रहा है कि यू.पी. के पिछड़े मतों को समेटने के लिए मोदी एंड पार्टी ने मौर्य को यू.पी. प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी थी। वह केवल 47 साल के हैं और फूलपुर लोकसभा सीट से भाजपा के सांसद हैं। मध्य व पूर्वी यू.पी. के पिछड़े मतों को साधने के अलावा वह अपने व्यक्तित्व के कारण भी सी.एम. पद का चेहरा माने जा रहे हैं। उन्हें मोदी का समर्थन भी बताया जाता है। 

               

वरूण गांधी
केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी के बेटे वरूण गांधी (36) सी.एम. पद के लिए नामों में सबसे युवा हैं। कहा जाता है कि मेनका गांधी का केंद्रीय नेतृत्व से अक्सर इसी बात को लेकर मतभेद रहता है कि उनके बेटे को यू.पी. में सी.एम. पद के लिए उम्मीदवार क्यों नहीं बनाया जा रहा। अब चूंकि बिना किसी चेहरे को सामने लाए भाजपा चुनाव लड़ रही है तो वरुण के सी.एम. प्रत्याशी बनने की संभावना बनी रहेगी। वैसे सुल्तानपुर के सांसद वरुण के नाम पर पार्टी में आम सहमति का अभाव है। उनके नाम से गांधी सरनेम जुड़ा होना भी उनके खिलाफ जाता है। भाजपा का एक वर्ग नहीं चाहता कि कांग्रेस की तरह यहां भी गांधी परिवार को बढ़ावा दिया जाए। 

               

स्मृति ईरानी 
हालांकि अब जबकि यू.पी. में चुनावी शोर बढ़ रहा है तो स्मृति ईरानी (40) के नाम की चर्चा कुछ कम सुनाई दे रही है, लेकिन मोदी की विश्वस्त ईरानी को हमेशा से ही यू.पी. में भाजपा के भविष्य के चेहरे के रूप में देखा जाता है। टी.वी. एक्ट्रैस से भाजपा में प्रवेश, महिला मोर्चे की अध्यक्ष, अमेठी में राहुल गांधी के विरुद्ध चुनाव लडऩा और फिर केंद्र में एच.आर.डी. मंत्रालय की मिनिस्टर बना दिए जाने तक स्मृति ईरानी का सफर बहुत ही स्वप्निल रहा है। हालांकि उन्हें विवादों के बाद एच.आर.डी. मंत्रालय से हटना पड़ा लेकिन जब राहुल गांधी से मुकाबले की बात आती है तो वह अमेठी कूच कर जाती हैं इसलिए उनका नाम भी यू.पी. के संभावित सी.एम. के लिए देखा जाता रहा है। 

               

श्रीकांत शर्मा 
युवा व पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा (46) का जन्म मथुरा में हुआ। प्रारंभिक शिक्षा भी वहीं हुई और फिर पढ़ाई के लिए दिल्ली आ गए। यहां ए.बी.वी.पी. से जुड़े और दिल्ली वि.वि. की राजनीति में सक्रिय रहे। कहा जाता है कि उन्हीं की वजह से ए.बी.वी.पी. की जड़ें डी.यू. में मजबूत हुईं। अमित शाह व अरुण जेतली की निकटता का लाभ उन्हें मिला है। 2014 में वह लोकसभा का चुनाव भी मथुरा से लडऩे वाले थे लेकिन अंत में टिकट हेमा मालिनी को गया था। अब माना जा रहा है कि यदि भाजपा को पूर्ण बहुमत मिलता है तो वह सी.एम. पद के दावेदार हो सकते हैं। सी.एम. न भी बने तो उनका कद तो बढऩा तय है। 

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