मध्य प्रदेश चुनावः मायाजाल में फंस सकते हैं बीजेपी-कांग्रेस, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के साथ बिछाई चुनावी बिसात
punjabkesari.in Tuesday, Nov 07, 2023 - 07:02 PM (IST)

लखनऊ: मध्य प्रदेश की राजनीति में पहली बार तीसरे मोर्चे के रूप में बहुजन समाज पार्टी एवं गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने चुनावी बिसात बिछाई है। 230 सीटों वाली विधानसभा के लिए क्रमशः 178 और 52 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। बसपा प्रमुख मायावती का दावा है कि उक्त गठबंधन से तालमेल किए बिना कोई भी पार्टी मध्य प्रदेश में अपनी सरकार नहीं बना पाएगी। बसपा ने मध्य प्रदेश का एक सर्वे करवाया था। इसमें पता लगा कि यहां पर 17 फीसदी दलित एवं 23 फीसदी आदिवासी मतदाता हैं। इन 40 फीसदी वोटों का ध्रुवीकरण करने के लिए मायावती ने एक गहरी रणनीति बनाई है जिसके तहत उन्होंने गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से तालमेल किया है।
230 विधानसभा वाली मध्य प्रदेश में 82 सीटें आरक्षित हैं और 148 सीटें अनारक्षित है। इस बार बसपा 178 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। बसपा ने मध्य प्रदेश के ऊंची जाति के दबंगों को अपने साथ ले लिया है ताकि अनारक्षित सीटों का भी लाभ मिल सके। इस प्रकार दलित, आदिवासी एवं स्वर्ण के लगभग 50 फीसदी से ज्यादा वोटों के सहारे मायावती राज्य में तीसरी ताकत का सपना देख रही हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस हाईकमान की सोच है कि मध्य प्रदेश में भाजपा को अंदरूनी ताकत देने के लिए पहली बार बसपा ने अपनी ताकत झोंकी है ताकि उसकी बढ़त का लाभ सरकार बनाते वक्त बीजेपी को मिल सके। क्योंकि तमाम सर्वेक्षणों से पता चला है कि भाजपा को कम सीटें मिल रही हैं। शायद यही वजह है कि मायावती अपने संबोधन में भाजपा से ज्यादा कांग्रेस पर हमले कर रही हैं।
फिलहाल बसपा का सबसे मजबूत जनाधार उत्तर प्रदेश से सटे हुए बुंदेलखंड, विंध्य प्रदेश, ग्वालियर व चंबल संभाग की 40 सीटों पर है। आदिवासी क्षेत्रों में बसपा उम्मीदवारों को गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का सहारा, है। उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष तुलेश्वर सिंह मरकाम छत्तीसगढ़ से और महासचिव बलबीर सिंह तोमर मध्य प्रदेश से हैं। मप्र में बसपा ने 1993 के चुनाव में 11 विधायक बनाकर खाता खोला था। लेकिन प्रदेश नेतृत्व कमजोर होने की वजह से हर बार विधायक टूटते गए। पिछले चुनाव में मात्र दो सीटें बसपा को मिली थीं। इस बार मायावती ने अपने राजनीतिक उत्तराधिकारी प्रकाश आनंद को दो वर्ष पूर्व ही मध्य प्रदेश में लगा दिया था। यही वजह है कि इस बार के चुनाव में बसपा उम्मीदवारों एवं कार्यकर्ताओं में भारी उत्साह है। उन्हें लग रहा है कि यदि भाजपा को बहुमत नहीं मिला तो बसपा के गठबंधन से भाजपा की सरकार बनेगी और बसपा की ताकत बढ़ेगी।