आम की बम्पर फसल की उम्मीदों को ले उड़ा आंधी-तूफान

punjabkesari.in Monday, Jun 04, 2018 - 06:51 PM (IST)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में हाल में आया आंधी-तूफान इस साल आम की बम्पर पैदावार होने की उम्मीदों को भी अपने साथ उड़ाकर ले गया। अंधड़ की वजह से ‘फलों का राजा’ आम ना सिर्फ महंगा हुआ है, बल्कि उसकी गुणवत्ता पर भी असर पड़ा है। 

इस साल फसली मौसम की शुरूआत में पेड़ों पर जबर्दस्त बौर ने बागवानों के चेहरे खिला दिये थे, लेकिन साजगार मौसम ना होने की वजह से बौर में रोग लग गया। उसके बाद हाल ही में प्रदेश में आये आंधी-तूफान ने रही-सही कसर पूरी कर दी। 

आंधी-तूफान ने तो बागवानों की कमर ही तोड़ दी: इंसराम अली 
मैंगो ग्रोवर्स एसोसिएशन ऑफ इण्डिया के अध्यक्ष इंसराम अली ने बताया कि इस साल 100 प्रतिशत बौर होने की वजह से आम की बम्पर फसल की उम्मीद थी, लेकिन उन दिनों दिन में गर्मी और रात में ठंडा मौसम होने की वजह से आम में ‘झुमका’ रोग लग गया जिससे नुकसान हुआ है। इसके अलावा हाल में आये आंधी-तूफान ने तो बागवानों की कमर ही तोड़ दी। अब हालात यह हैं कि 20-25 टन आम पैदा हो जाए तो बड़ी बात होगी। 


भारी मात्रा में कच्चे आम टूटकर गिरे
उन्होंने बताया कि आंधी-तूफान की वजह से भारी मात्रा में कच्चा आम टूटकर गिर गया, नतीजतन उसे आनन-फानन में बाजार लाकर बेचना पड़ा। यह पहले से ही मार झेल रहे बागवानों के लिये जले पर नमक जैसा था। अब इतना तय है कि आम का स्वाद लेने के लिये लोगों को अपनी जेब ज्यादा ढीली करनी पड़ेगी। इसके अलावा प्रतिकूल मौसम की वजह से आम की गुणवत्ता पर भी फर्क पड़ सकता है। 

वैज्ञानिकों के पास नहीं है नए-नए रोग का ईलाज
अली ने यह भी कहा कि मौसम में अप्रत्याशित बदलावों के कारण आम की फसल में नए-नए रोग लग रहे हैं, जिनका इलाज फिलहाल वैज्ञानिकों के पास नहीं है। पहले बहुत सी दवाएं थीं, जो अब बेअसर हो रही हैं। आम के पेड़ों को रोग से बचाने के लिये छिड़की जाने वाली दवाओं के नकली होने से बागवानों को काफी नुकसान हो रहा है और सरकार को ऐसी दवाओं की बिक्री रोकने के लिये कड़े कदम उठाने चाहिए।     

आम पट्टी क्षेत्रों में पर्यटन स्थल बनाए सरकार
उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिये कि वह आम पट्टी क्षेत्रों में पर्यटन स्थल बनायें। इन क्षेत्रों में फैक्ट्री लगवाये ताकि किसान अपनी उपज को सीधे उस तक पहुंचा सकें। इसके अलावा सरकार नकली कीटनाशक दवाओं पर रोक लगाये और आम निर्यात के लिये दी जाने वाली सब्सिडी की रकम बढ़ाये। 

मालूम हो कि उत्तर प्रदेश की आम पट्टी राजधानी लखनऊ के मलीहाबाद, उन्नाव के हसनगंज, हरदोई के शाहाबाद, बाराबंकी, प्रतापगढ़, सहारनपुर के बेहट, बुलंदशहर, अमरोहा समेत करीब 14 इलाकों तक फैली है और लाखों लोगों की रोजी-रोटी इस फसल पर टिकी है। 

Ajay kumar