BHU में फिरोज खान की नियुक्ति पर बोलीं मायावती-मुस्लिम संस्कृत विद्वान को...

punjabkesari.in Thursday, Nov 21, 2019 - 10:54 AM (IST)

लखनऊ/वाराणसी: बीएचयू में संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर डॉ. फिरोज खान की नियुक्ति का छात्र विरोध कर रहे हैं। छात्रों का धरना लगातार जारी है। विश्वविद्यालय प्रशासन जहां नियुक्ति को नियमानुसार सही बता रहा है तो वहीं छात्र नियुक्ति रद्द कराने पर अड़े हैं। डॉ. फिरोज खान की नियुक्ति को लेकर उठ रहे सवाल पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। मायावती ने उपजे विवाद के लिए सरकार और प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है। 

उन्होंने ट्वीच करते हुए लिखा, ‘1.बनारस हिन्दू केन्द्रीय विवि में संस्कृत के टीचर के रूप में पीएचडी स्कालर फिरोज खान को लेकर विवाद पर शासन/प्रशासन का ढुलमुल रवैया ही मामले को बेवजह तूल दे रहा है। कुछ लोगों द्वारा शिक्षा को धर्म/जाति की अति-राजनीति से जोडऩे के कारण उपजे इस विवाद को कतई उचित नहीं ठहराया जा सकता है।’ 

‘2. बीएचयू द्वारा एक अति-उपयुक्त मुस्लिम संस्कृत विद्वान को अपने शिक्षक के रूप में नियुक्त करना टैलेन्ट को सही प्रश्रय देना ही माना जाएगा और इस सम्बंध में मनोबल गिराने वाला कोई भी काम किसी को करने की इजाजत बिल्कुल नहीं दी जानी चाहिए। सरकार इसपर तुरन्त समुचित ध्यान दे तो बेहतर होगा।’ 

हमने हमेशा संस्कृत की पूजा की है: डॉ. फिरोज
फिरोज कहते हैं कि उन्होंने हमेशा संस्कृत की पूजा की है। उनके दादा संगीत विशारद गफूर खान सुबह और शाम गौ ग्रास निकालने के बाद ही भोजन करते थे। पिता रमजान खान गौसेवा करने के साथ ही भजन गायक हैं। फिरोज खान का कहना है कि मैंने बचपन से ही घर में भगवान कृष्ण की फोटो देखी है। पूरा परिवार गौसेवा में व्यस्त रहता है।

क्यों विरोध कर रहे हैं छात्र?
दूसरी तरफ छात्रों का कहना है कि मांगों पर कार्रवाई न होने तक विरोध जारी रहेगा। आंदोलित छात्रों का कहना है कि संस्कृत कोई पढ़ और पढ़ा सकता है, इस पर हमारा ऐतराज नहीं। हमारा ऐतराज यह है कि सनातन धर्म की बारीकियां, महत्व और आचरण का कोई गैर सनातनी (जो दूसरे धर्म का है) कैसे पढ़ा सकता है? शिक्षण के दौरान साल में जब पर्व आते हैं तो हम गौमूत्र का भी सेवन करते हैं तो क्या नियुक्त हुए गैर सनातनी शिक्षक उसका पालन करेंगे?


 

Ajay kumar