सिब्बल के उच्चतम न्यायालय में दिये दलील पर मुस्लिम पक्ष बंटा

punjabkesari.in Wednesday, Dec 06, 2017 - 07:25 PM (IST)

लखनऊ: अयोध्या के मंदिर-मस्जिद विवाद में प्रमुख पक्षकार सेन्ट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल के उच्चतम न्यायालय में 2019 जुलाई के बाद सुनवाई करने संबंधी दलील पर मुस्लिम पक्ष मेें मतभेद पैदा हो गया है। 

बोर्ड से जुड़े और बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी तथा उच्चतम न्यायालय में बोर्ड की ओर से वकील मुश्ताक अहमद सिद्दीकी ने सिब्बल के रुख का समर्थन किया जबकि मामले से जुड़े और अयोध्या में बाबरी मस्जिद के पक्षकार हाजी महबूब ने सिब्बल की दलील को नकार दिया। 

जिलानी और अहमद का कहना था कि यह सही है कि इस विवाद की सुनवाई शुरु होते ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसके समर्थक संगठन सांप्रदायिकता फैलाना शुरु कर देंगे। समाज में तनाव का माहौल बन सकता है, लेकिन इसके उलट महबूब ने कहा कि विवाद जल्द समाप्त होना चाहिये। इसके लिये न्यायालय में प्रतिदिन सुनवाई जरुरी है। 

बाबरी मस्जिद के पक्षकार हाजी महबूब ने कहा कि सिब्बल का बयान उचित नहीं हैं। उनका कहना था कि बोर्ड के वकील हैं, लेकिन वह एक राजनीतिक दल से भी जुड़े हुए हैं। न्यायालय में दिया गया उनके बयान से वह सहमत नहीं हैं। इस मसले का जल्द से जल्द समाधान होना चाहिये। 

वहीं, जिलानी और अहमद ने कहा कि सिब्बल का बयान कानूनी और व्यवहारिक तौर पर सही है। यह सभी जानते हैं कि चुनाव के आसपास अयोध्या मुद्दे को गरम कर दिया जाता है। इस दौरान न्यायालय में मामले की सुनवाई होने पर विहिप और उससे जुड़े संगठन तनाव पैदा करवा सकते हैं। उनका कहना था कि विवादित बाबरी मस्जिद की 25वीं बरसी पर आज तमाम चैनलों पर अयोध्या मुद्दे के इतिहास के बारे में बताया जा रहा है। लगता है कि देश में कोई और समस्या रह ही नहीं गयी है, जबकि अयोध्या में लोग शांति से और मिलजुलकर रह रहे हैं।

जिलानी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी आज इस मसले में कूद गये हैं। गुजरात की सभा में श्री मोदी ने रामजन्मभूमि विवाद मामले की सुनवाई को अगले लोकसभा चुनाव के बाद तक टालने के सिब्बल के बयान का जिक्र किया है। उनका कहना था कि जब प्रधानमंत्री इस मसले को अपनी सभाओं में उठा रहें हैं तो भाजपा के अन्य लोग कैसे पीछे रहेंगे। इस मसले पर काफी दिनों से राजनीति हो रही है और अब भी लोग इसे राजनीतिक जामा से निकलने नहीं देना चाहते। ऐसे लोगों को मौका नहीं देने के लिये इस मुद्दे की सुनवाई जुलाई 2019 के बाद ही होनी चाहिए।