मोदी सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट ‘नमामि गंगे’ का बुरा हाल, पीना तो दूर नहाने लायक भी नहीं पानी

punjabkesari.in Friday, Jul 26, 2019 - 02:48 PM (IST)

प्रयागराज: मशहूर गीतकार साहिर ने गंगा नदी के बारे में बड़ी मशहूर गीत लिखी थी गंगा तेरा पानी अमृत, झर झर बहता जाय, युग-युग से इस देश की धरती तुझसे जीवन पाए’। आज यह पंक्ति गंगा के लिए कहना बेमानी ही होगी। आज गंगा शहर के सीवरेज और फैक्ट्रियों के कचरे को ढ़ोते-ढ़ोते मैली हो गई है। प्रयागराज में मशहूर संगम में भी शहर का सारा गंदा पानी और फैक्ट्रियों के केमिकल वाले कचरे को गंगा में बहाया जा रहा है। बिना ट्रीटमेंट किए ही गंगा में प्रयागराज के संगम तट पर जिस तरह से गंदा पानी बहाया जा रहा है इससे मोदी सरकार की नमामि गंगे और स्वच्छ भारत मिशन की पोल खुलती नजर आती है। वहीं सावन के पवित्र महीने में गंगा की बदहाली देखकर कांवडिय़ों में भी जबरदस्त नाराजगी है। 

प्रदूषित गंगाजल को शिवलिंग पर किया जा रहा अर्पित
कांवडिय़ों का कहना है कि गंगा में गिरते गंदे नाले ने निर्मल जल को अपवित्र कर दिया है। कांवडि़ए बड़े भारी मन से इस प्रदूषित गंगाजल को लेकर शिवलिंग पर अर्पित कर रहे हैं। जिस तेजी से केमिकल के झाग वाला पानी गंगा नदी में जा रहा है उससे मोदी सरकार के दावों की पोल खुल रही है। कांवडि़ए भी गंगा मैली देखकर बेहद गुस्से में नजर आ रहे हैं-

अब गंगा का पानी नहाने लायक भी नही: महंत, निर्मोही अखाड़ा 
निर्मोही अखाड़े के महंत ने कहा कि गंगा में कभी ये गंदा पानी आने से रोका ही नहीं गया। उन्होंने कहा कि अब संगम तट पर गंगा का पानी नहाने के लायक भी नहीं है। महंत की बात से भी मोदी सरकार की दावों की पोल खुलती नजर आ रही है। 

अबतक सरकार ने क्या किया?
मोदी सरकार ने पहले बजट में जोर शोर से नमामि गंगे योजना का आगाज किया था। जिसके लिए सरकार ने 5 साल के लिए एकमुश्‍त 20 अरब 37 करोड़ रुपए का आवंटन भी किया था। गंगा संरक्षण मंत्रालय ने भी दावा किया था कि 2018 तक गंगा साफ हो जाएगी। बावजूद इसके कुछ नहीं हो पाया। इसके बाद गंगा की सफाई के लिए सरकार ने डेडलाइन मार्च, 2019 तक बढ़ा दी। डेडलाइन की तारीख भी बीत गई लेकिन गंगा की हालत नहीं सुधरी। अब सरकार ने गंगा सफाई की समय सीमा साल 2020 तक के लिए बढ़ा दी है। लेकिन बजट को घटा दिया। 2018-19 में जहां नमामि गंगे के लिए 23 सौ करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था। अब 2019-20 में उसे घटाकर नमामि गंगे के  750 करोड़ कर दिया गया है। बजट घटाने से साफ है कि मोदी सरकार की रूचि नमामि गंगे में कम हो गई है। 

नमामि गंगे को लेकर गंभीर नहीं दिख रही सरकार
तमाम दावों और वादों के बावजूद अगर संगम तट पर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट तक नहीं बन पाया तो कैसे माना जाए कि नमामि गंगे को लेकर मोदी सरकार गंभीर है। 


गंगा सफाई के लिए सरकार का कदम पर्याप्त नहीं:संसदीय समिति  
गंगा की सफाई के लिए सरकार के प्रयासों का मूल्यांकन करने वाली एक संसदीय समिति ने हाल ही में एक रिपोर्ट सौंपी है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि गंगा सफाई के लिए मोदी सरकार ने जो कदम उठाए हैं वह पर्याप्त नहीं हैं। 

नेशनल ग्रीन ट्रिब्‍यूनल ने लगाई सरकार को फटकार
नेशनल ग्रीन ट्रिब्‍यूनल भी गंगा की सफाई को लेकर मोदी सरकार को फटकार लगा चुका है। पिछले साल 112 दिन तक अनशन पर बैठने वाले पर्यावरणविद् प्रोफेसर जीडी अग्रवाल उर्फ स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद ने अपना जीवन गंगा की सफाई के लिए ही दे दिया था तब भी ना तो मोदी सरकार इस मामले पर गंभीर हुई और ना ही गंगा की सफाई में गंभीरता दिखाई। अगर मोदी सरकार इसी तरह की जुमलेबाजी करती रही तो वह दिन दूर नहीं जब नमामि गंगे का नाम गंगा की सफाई के बजाय उसकी बदहाली के लिए लिया जाएगा। लेकिन सवाल ये है कि आखिर नमामि गंगे के लिए आवंटित 20 अरब 37 करोड़ रुपए का हुआ क्या? 

Ajay kumar