पूर्वी UP में मुद्दों पर नहीं चेहरों पर हो रही जंग, पूरब में तो PM मोदी बनाम अखिलेश यादव

punjabkesari.in Monday, Feb 20, 2017 - 03:28 PM (IST)

लखनऊ:तीसरे चरण का चुनाव सामाप्त होने के साथ ही करीब आधा यू.पी. राजनीतिक दलों की परीक्षा ले चुका है लेकिन इस  बार चुनावी लड़ाई में अब तक कोई भी दल जीत-हार के दावों से ज्यादा कुछ नहीं कर सका है। अब लड़ाई पूर्वांचल में छिड़ी है। पुरबिया बयार किस ओर बहेगी यह कहना तो मुश्किल है, लेकिन अभी तक जनता का जो रुख देखने को मिल रहा है उससे एक बात साफ है कि यहां मोदी बनाम अखिलेश ज्यादा है। मायावती तो सिर्फ संंघर्ष को पेचीदा बनाने का काम कर रही हैं। यही नहीं यहां एक और खास बात देखने को मिल रही है कि मतदाता विकास या फिर भ्रष्टाचार नहीं बल्कि चेहरों पर चर्चा कर रहे हैं। वहीं प्रत्याशी भी अखिलेश, मोदी और मायावती के नाम पर मतदाताओं को अपने पक्ष में करने का प्रयास कर रहे हैं। इसमें कुछ मुद्दे हैं जिन्हें भुनाने की राजनीतिक दल कोशिश कर रहे हैं।

बंटते नहीं दिख रहे मतदाता
यूपी चुनाव में इस बार सबसे अधिक चर्चा मुस्लिम मतदाताओं को लेकर रही है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लेकर पूर्वांचल तक की लड़ाई मुस्लिम मतदाताओं के ध्रुवीकरण पर टिकी हुई है, लेकिन खास बात यह है कि अभी तक मुस्लिम मतदाताओं का जो रुख देखने को मिल रहा है उसमें वह मजबूत प्रत्याशी की तरफ एकजुट दिखाई दिए हैं। वह चाहे बसपा का हो या फिर सपा का प्रत्याशी रहा है।

गैर यादव ओबीसी मतदाताओं की लड़ाई
पश्चिम की तरह ही पूर्वांचल में भी गैर यादव ओ.बी.सी. मतदाताओं की लड़ाई अहम होने जा रही है। बसपा के पास कोई बड़ा ओबीसी चेहरा नहीं है जबकि भाजपा ऐसे करीब आधा दर्जन चेहरे हैं जो ओ.बी.सी. मतदाताओं में मजबूत पकड़ रखते हैं। पूर्वांचल के लिहाज से बात करें तो अनुप्रिया पटेल भी भाजपा के लिए तुरुप का इक्का साबित हो रही हैंं। ऐसे में अखिलेश से खफा ओ.बी.सी. मतदाताओं का झुकाव भाजपा की तरफ हो सकता है।

बिरादरी प्रेम में फंसे अखिलेश
भले अखिलेश यादव पर मायावती और मोदी कानून-व्यवस्था को लेकर हमला कर रहे हैं लेकिन जमीन पर लोगों में मुद्दे को लेकर गुस्सा नहीं है। हां, शहरी इलाकों में मध्यम वर्गीय मतदाता जरूर इस बारे में चिंतित दिखा, लेकिन गांवों में चर्चा न के बराबर है। इसके उलट गांवों में अखिलेश से सबसे ज्यादा नाराजगी बिरादरी के लिए काम करने पर है। उनपर आरोप है कि सबसे ज्यादा नौकरियां उन्होंने यादवों को ही दीं, जो कि अखिलेश की साफ-सुथरी छवि पर सबसे ज्यादा भारी पड़ता दिखाई दे रहा हैं।

विकास योजनाएं बनी बहस का मुद्दा
अब तक के चुनाव की तरह ही अगला चरण भी मोदी के विकास माडल बना अखिलेश के डिवैल्पमैंट माडल पर होने जा रहा है। दोनों ओर से योजनाएं और सफलताएं गिनाई जा रही हैं। गरीब परिवारों को मुफ्त एल.पी.जी. कनैक्शन देने वाली मोदी सरकार की स्कीम-उज्जवला योजना की राज्य में सबसे ज्यादा चर्चा है। इसकी पहुंच भी प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में दिखी। इसके काऊंटर में अखिलेश की समाजवादी पैंशन को भी खूब सराहना मिल रही है और लोग इससे खुश दिख रहे हैं।