नोटबंदी बनी काल: बैंक की कतार में लगी मां की गोद में बच्ची की मौत

punjabkesari.in Monday, Nov 21, 2016 - 08:56 PM (IST)

बांदा(जफर अहमद): नोटबन्दी के बाद पैदा हुए आर्थिक संकट से एक और मासूम को जान से हाथ धोना पड़ा है। ताजा मामला उत्तर प्रदेश के बांदा जिले से सामने आया है। कई दिनों से पैसे के आभाव में ईलाज से महरूम 3 वर्षीय बच्ची ने दम तोड़ दिया। बीमार बच्ची को लिए सुबह से ही मां बैंक की लाइन में लगी थी। इस अभागी मां को पैसा तो नहीं मिल सका लेकिन शाम को गोद में ही बच्ची की मौत हो गयी। बच्ची की मौत से ग्रामीण आक्रोशित हो गए और बांदा-बहराइच राज्यमार्ग जाम कर दिया। सूचना पर मौके पर पहुंचे एसडीएम के समझाने के बाद जाम खुल सका। एसडीएम के आदेश पर तीन बैंककर्मियों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है।

क्या है पूरा मामला? 
मामला बांदा के तिंदवारी थाना क्षेत्र के बेंदा का है। जहां स्थित इलाहाबाद यूपी ग्रामीण बैंक की शाखा में पिछले कई दिन से छापर गाँव निवासी धर्मेंद्र रैदास अपने पैसे निकालने के लिए बैंक के चक्कर लगा रहा था लेकिन उसे टोकन नहीं दिया गया। धर्मेंद्र की चार साल की बेटी अंकिता की तबियत खराब थी लेकिन बैंक से पैसा न निकलने के चलते बच्ची का इलाज भी बाधित था। आज भी सुबह से ही धर्मेंद्र ने अपने पिता के साथ अपनी पत्नी मिथलेश को बैंक की लाइन में लगवा दिया था लेकिन शाम तक उनका नंबर नहीं आया। पीड़ित परिवार का कहना है कि कई बार बैंककर्मियों से बच्ची की गंभीर हालत के बारे में बताकर जल्दी पैसा निकालने को भी कहा गया लेकिन उनकी किसी ने नहीं सुनी और शाम 4 बजे मिथलेश की गोद में ही बीमार बच्ची अंकिता की मौत हो गयी।

क्या कहते हैं अधिकारी? 
वहीं इस संबंध में एसडीएम प्रह्लाद सिंह का कहना है कि बच्ची कई दिन से बीमार थी जिसके इलाज के लिए पीड़ित परिवार बैंक में लाइन लगाए थे लेकिन उसे समय पर बैंक से पैसा नहीं मिल सका जिससे बच्ची की मौत हुई है। जांच के बाद जो भी पीड़ित की मदद होगी की जाएगी। 

अबतक कई लोगों की हो चुकी है मौत
गौरतलब है कि बीते 8 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1000 और 500 के नोटों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके बाद से ही देशभर में अफरा-तफरी का माहौल है। कई कई दिनों लाइन में लगने के बावजूद लोगों को पैसा नहीं मिल पा रहा है। पैसे के आभाव में देशभर में अब तक 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। 

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