मिशन 2019 काे लेकर अखिलेश-मायावती का एक आैर बड़ा फैसला

punjabkesari.in Monday, Jun 25, 2018 - 02:25 PM (IST)

लखनऊः केंद्र की माेदी सरकार के खिलाफ विपक्षी पार्टियाें ने अभी से रणनीति बनाना शुरू कर दिया है। सपा-बसपा ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए टिकट बंटवारे के दाैरान पार्टी के बागी नेताआें के खिलाफ एक अहम रणनीति बनाई है। 

बता दें कि दाेनाें दलाें में सीट बंटवारे काे लेकर अभी भी बातचीत चल रही है। एेसे में दाेनाें ने मिलकर एेसे नेताआें काे सबक सिखाने का प्लान बनाया है जाे फैसले के खिलाफ बगावती सुर अपनाने की साेच रहे हैं। फैसला इसलिए भी जरूरी है कि किसी बात को लेकर गठबंधन में मतभेद ना हो। 

खबरों के मुताबिक मायावती और अखिलेश यादव ने निर्णय लिया है कि एक दूसरे की पार्टी के बागी नेताओं को शामिल नहीं करेंगे। चुनावी तैयारियों के साथ ही इस मुद्दे पर अनौपचारिक सहमति भी बन गई है। अब न तो बसपा, सपा के बागी नेताओं को अपनी पार्टी में शमिल करेगी और न ही सपा, बसपा के बागी नेताओं को। राजनीतिक जानकारों की मानें तो गठबंधन में यह विश्वास को कायम रखेगा। इससे दोनों ही पार्टियों को दूरगामी परिणाम भी मिलेेंगे। 

सपा प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी का कहना है कि दो महीनों के भीतर कोई भी सपा का नेता बसपा की पार्टी में शामिल नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि चुनाव को लेकर जबसे गठबंधन करके बीजेपी को चुनाव हराने का निर्णय लिया गया है किसी ने पार्टी नहीं बदली है। इसके पहले सपा के नेता अंतिम बार आगरा में शामिल हुए थे।  

सपा के अनुभवी नेताओं की मानें तो जो भी पार्टी छोड़ता है, उसके विरोध में ही बयानबाजी करने लगता है। ऐसे में उनको शामिल भी करना सही नहीं है, जो पार्टी छोड़ने के बाद सपा के विरोध में स्वर निकाले। सपा हमेशा से विश्वसनीय पार्टी रही है। सपा बसपा विश्वास के साथ लोकसभा चुनाव में विजय पताका फहराएगी। सपा ऐसे नेताओं को शामिल नहीं करेगी जो बागी हैं, भले ही वह कितना भी मजबूत और वरिष्ठ क्यों न हो। 
 

Ajay kumar