पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने वाले इन 11 सांसदों के खिलाफ चलेगा मुकदमा

punjabkesari.in Friday, Dec 08, 2017 - 02:48 PM (IST)

लखनऊ, आशीष पाण्डेय: वर्ष 2005 में एक टीवी चैनल द्वारा किया गया ऑपरेशन दुर्योधन एक बार फिर चर्चा में है। टीवी चैनल ने अलग अलग पार्टिंयों के 11 सांसदों का स्टिंग किया था। इसे ही ऑपरेशन दुर्योधन का नाम दिया गया। इन 11 पूर्व सांसदों पर आरोप लगा है कि ये पैसे लेकर संसद में सवाल पूछते थे। इनके खिलाफ आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार के आरोप में केस चलेगा। दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने 11 पूर्व सांसदों पर भ्रष्टाचार व आपराधिक साजिश के तहत आरोप तय कर दिए हैं। स्पेशल जज ने 12 जनवरी से उनके खिलाफ मुकदमा शुरू करने का निर्देश दिया है।

इन पर हैं आरोप 
भाजपा के तत्कालीन सांसद अन्नासाहब एम. के. पाटिल, छत्रपाल सिंह लोढ़ा, वाई. जी. महाजन, सुरेश चंदेल, लाल चंद्र कोल, प्रदीप गांधी और चंद्र प्रताप सिंह, बीएसपी के दो तत्कालीन सांसद नरेंद्र कुशवाह और राजा राम पाल, कांग्रेस के राम सेवक सिंह और राष्ट्रीय जनता दल के मनोज कुमार।

क्या है ऑपरेशन दुर्योधन
ऑपरेशन दुर्योधयन में अलग-अलग पार्टियों के 11 सांसदों के चेहरे से नकाब हटाने का काम किया गया था। यह स्टिंग एक न्यूज चैनल ने करवाया था, जिसमें तत्कालीन सांसद संसद में सवाल पूछने के लिए 30 हजार से लेकर सवा लाख रुपये तक लेते हुए दिखाई पड़े। लोकसभा और राज्यसभा की इन्क्वायरी कमिटी ने इन्हें दोषी पाया और सदन की सदस्यता से बर्खास्त कर दिया। साथ ही पुलिस को निर्देश दिया कि वह आरोपित नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत कार्रवाई करें।

स्टिंग ऑपरेशन में क्या था? विस्तार से जाने
कोबरा पोस्ट-आजतक के इस स्टिंग में रिर्पोटर व तात्कालीन सांसदों के बीच जो बात हुई थी उसके मुख्य अंश:-

नरेंद्र कुशवाहा (बसपा)
कोबरा पोस्ट की टीम ने 9 मई को बसपा के तत्कालीन सांसद नरेंद्र कुशवाहा से मुलाकात कर कहा कि वे लोकसभा में पांचतारा अस्पतालों के कामकाज और उनकी मनमानी फीस के बारे में सवाल पूछें। इस मुलाकात में कुशवाहा के सामने टेबल पर पीले रंग के लिफाफे में 25,000 रु. रखे गए। इस पर कुशवाहा ने कहा, ठीक है। कुशवाहा को कुल 55,000 रु. का भुगतान किया गया।
अन्ना साहेब एम.के. पाटील (भाजपा)
कोबरा पोस्ट की टीम ने 11 मई को भाजपा के तत्कालीन सांसद पाटील से हरीश के जरिए मुलाकात की। संसद में स्टेनोग्राफर के पद पर काम करने वाले हरीश के राजनीतिकों से गहरे संबंध थे। पाटील को निस्मा संबंधी सवाल उठाने के लिए कुल मिलाकर 45,000 रुपये का भुगतान किया गया। उन्हें मानसून सत्र के पहले दिन लघु उद्योगों संबंधी एक तारांकित सवाल उठाने की इजाजत मिली थी, मगर उस दिन सदन की कार्रवाई नहीं हो सकी। पाटील ने पैसे अनूठे अंदाज में स्वीकारे। उन्होंने रिपोर्टर से कहा कि नकदी सीट के नीचे रख दें।
वाइ.जी. महाजन (भाजपा) 
कोबरापोस्ट की टीम 19 मई को जलगांव के भारतीय जनता पार्टी के तत्कालीन सांसद वाइ.जी. महाजन से मुलाकात की। पहली मुलाकात संक्षिप्त रही, जिसमें सांसद ने कहा कि आप मटेरियल देते रहिए, मैं उठाता रहुंगा। महाजन ने निस्मा की ओर से जिन सवालों की पर्ची जमा की, उनमें से 8 सदन में पूछे गए. महाजन को कुल 35,000 रुपये दिए गए।
मनोज कुमार (राजद)
अपने निजी सचिव चोटीवाला के जरिए 25,000 रुपये लेने के बाद मनोज कुमार ने निस्मा से तीन और सांसदों से मुलाकात करवाने के लिए 75,000 रुपये की मांग की। यह पैसा चोटीवाला को दे दिया गया।
सुरेश चंदेल (भाजपा) 
हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर से भाजपा के तत्कालीन सांसद सुरेश चंदेल से मुलाकात के दौरान उन्हें निस्मा की ओर से लोकसभा में गैट के बाद लघु उद्योगों की स्थिति के बारे में सवाल पूछने को कहा जाता है। वे इस काम के लिए 20,000 रुपये स्वीकार करते हैं। तीसरी बैठक में उन्हें निस्मा की ओर से सवाल पूछने के लिए 10,000 रुपये अग्रिम दिए गए। संसद में निस्मा के हितों पर आवाज उठाने के लिए लॉबी तैयार करने की बात पर चंदेल कहते हैं, समाजवादी पार्टी के एक-दो लोगों को इनवॉल्व करेंगे...और दलों के लोगों को भी इनवॉल्व करेंगे।
लालचंद्र कोल (बसपा) 
4 मई बसपा के तत्कालीन सांसद लालचंद्र से मुलाकात में उन्हें विदेशी अनुदान नियमन अधिनियम (एफसीआरए) के दुरुपयोग के संबंध में सवाल पूछने को कहा जाता है। उन्हें एक पारदर्शी लिफाफे में रखकर 25,000 रुपये दिए जाते हैं। बहरहाल, लालचंद्र को दिया सवाल मानसून सत्र में नहीं चुना जाता। 9 नवंबर को उन्होंने शीत सत्र में और सवाल उठाने के लिए अग्रिम के तौर पर टीम से 10,000 रुपये और झटक लिए।
लालचंद्र ने जो सवाल जमा किए थे, उनमें से एक-सार्क देशों को लघु उद्योगों के निर्यात से जुड़ा-संसद के शीत सत्र में सदन में रखा गया।
छत्रपाल सिंह लोध (भाजपा) 
17 मई को राज्यसभा के तत्कालन सांसद डॉ. छत्रपाल सिंह लोध से रिपोर्टर ने निस्मा की ओर से उठाए जाने वाले सवाल उन्हे सौंपे। अन्य सांसदों के उलट लोध ने सवाल को गंभीरता से पढ़ा और रिपोर्टर को भरोसा दिलाया कि वे इस सवाल को नए सिरे से लिखकर मानसून सत्र में जमा करेंगे। इस बैठक के बाद रिपोर्टर से हरीश 25,000 रु पये सांसद के लिए और 5,000 रुपये अपने लिए ले लेता है। रिपोर्टर उन्हें वहां 5,000 रुपये देकर बाकी दिल्ली में देने का वादा करती हैं। लोध उस पैसे को स्वीकार कर लेते हैं। 9 नवंबर को लोध ने अपने दिल्ली स्थित निवास पर 5,000 रुपये और लिए तथा वादा किया कि राज्यसभा में सवाल लगवाएंगे।
राजा राम पाल (बसपा) 
उत्तर प्रदेश के बिल्हौर से बसपा के तत्कालीन सांसद राजा राम पाल से 26 अप्रैल को दिलचस्प मुलाकात हुई। उन्होंने सवाल पूछने के अनुरोध पर पहले पैसे लेने से इनकार कर दिया। फिर पैसे ले लिए और कहा, अरे, ट्वेंटी फाइव से क्या होगा? 10 नवंबर को पाल की मुलाकात नवरतन मल्होत्रा से एक फाइवस्टार होटल में हुई। इसमें पाल 40,000 रुपये प्रतिमाह के भुगतान पर साल भर निस्मा के सवाल उठाने का वादा करते हैं।
प्रदीप गांधी (भाजपा)
छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव से भाजपा के तत्कालीन सांसद से मोहन मणि के जरिए 4 मई को मुलाकात होती है। गांधी को 2004 के शेयर घोटाले की सेबी जांच के बारे में सवाल पूछने को कहा जाता है। इस काम के लिए गांधी को 25,000 रुपये दिए जाते हैं। रिपोर्टर गांधी से 5 अक्तूबर को फिर मिलती हैं। लघु उद्योगों के बारे में संसद में याचिका पेश करने के लिए उन्हें 10,000 रुपये का अग्रिम भुगतान किया जाता है। गांधी भरोसा दिलाते हैं कि निस्मा के लिए लॉबिइंग के वास्ते वे 100 सांसदों का समर्थन जुटा लेंगे और याचिका समिति के अध्यक्ष से भी संपर्क करेंगे।
चंद्र प्रताप सिंह (भाजपा) 
11 मई को मध्य प्रदेश के सीधी से भाजपा के तत्कालीन सांसद चंद्र प्रताप सिंह उर्फ बाबा साहेब के 33 नॉर्थ एवेन्यू स्थित निवास पर पहली मुलाकात में ही रिपोर्टर उनसे निस्मा की ओर से वैट का दवा उद्योग पर असर के बारे में सवाल पूछने के लिए कहता है। वे पूरा सहयोग देने का वादा करते हैं और 25,000 रुपये ले लेते हैं। चंद्र प्रताप सिंह के साथ दूसरी मुलाकात तीन महीने बाद 16 अगस्त को होती है। तब वे थोड़े शर्मिंदा होते हैं कि निस्मा की ओर से उन्होंने जो सवाल जमा किया था, वह शामिल नहीं किया गया। तीसरी मुलाकात में चंद्र प्रताप 10,000 रुपये स्वीकार करते हैं और पांच नए सवालों की पर्ची पर हस्ताक्षर करते हैं।रामसेवक सिंह (कांग्रेस) 
कांग्रेस के तत्कालीन सांसद रामसेवक सिंह से कोबरापोस्ट की टीम 25 मई को पहली बार उनके नॉर्थ एवेन्यू स्थित निवास पर मिली थी। पहली मुलाकात में रिपोर्टर ने सांसद को बता दिया कि उनके लिए विजय( बिचौलिया) के पास लिफाफा छोड़ा जा रहा है। मुलाकात के बाद विजय को सांसद के लिए 25,000 रुपये और उसके कमीशन के तौर पर 10,000 रुपये मिलते हैं। उस दिन बाद में रामसेवक सिंह फोन पर स्वीकार करते हैं कि उन्हें विजय ने 25,000 रुपये दिए। 7 अक्तूबर को रिपोर्टर फिर सांसद से मिलती हैं और संसद के शीत सत्र में सवाल उठाने के लिए 10,000 रुपये अग्रिम देती हैं। और बाद की मुलाकात में 5,000 रुपये स्वीकार कर लेते हैं। इस तरह शीत सत्र में सवाल उठाने के लिए वे हमसे 25,000 रुपये ले चुके थे।