पेट्रोल चोरी मामला: 7 पेट्रोल पंप सील, चार मालिकों समेत 23 गिरफ्तार

punjabkesari.in Saturday, Apr 29, 2017 - 01:49 PM (IST)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने चिप लगाकर डीजल और पेट्रोल चोरी करने वाले सात पेट्रोल पंपों को सीज कर चार मालिकों समेत 23 लोगों को आज गिरफ्तार कर लिया। उधर, राज्य सरकार ने पेट्रोल पंपों के इस हाईटेक चोरी मामले की जांच राज्य पुलिस की विशेष जांच टीम को सौंप दी। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि मामला काफी संगीन है और कई विभागों से जुड़ा हुआ है इसलिए इसकी जांच एसआईटी को सौंपी जा रही है। 

वीरवार मध्य रात्रि हुआ मामले का पर्दाफाश  
एसटीएफ एवं लखनऊ जिला प्रशासन की संयुक्त कार्रवाई में कल मध्यरात्रि लखनऊ शहर के अनेक पेट्रोल पंपों पर डिवाइस लगाकर घटतौली के संगठित क्रियाकलापों का पर्दाफाश करने में सफलता मिली थी। इस मामले में एसटीएफ ने राजन अवस्थी, राजेन्द्र, शरद चन्द वैश्य, विजेन्द्र सिंह भदौरिया ,अशोक कुमार पाल, राकेश कुमार, दुर्गेश कुमार, प्रेम कुमार ओझा, गोविन्द पाण्डेय, डाल कुमार ओझा, कमलेश, अमन मित्तल, अनूप मित्तल, बबलू मिश्रा, अर्जुन लाल, अखिलेश कुमार दीक्षित, विनोद सिन्हा, देवेन्द्र सिंह रावत, मातादीन, आनन्द कुमार राय, हसीब अहमद, चन्दन कुमार और मोहित सिंह यादव को गिरफ्तार किया गया है। इनके पास से 15 अदद इलैक्ट्रोनिक चिप, 29 अदद रिमोट बरामद हुये हैं। 

इलेक्ट्रॉनिक चिप लगाकर की जा रही थी चोरी 
एसटीएफ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अमित पाठक ने बताया कि विभिन्न पेट्रोल पंपो पर इलेक्ट्रॉनिक चिप लगाकर घटतौली का अवैध धन्धा करने व भारी अवैध लाभ अर्जित करने की सूचनायें प्राप्त हो रही थी। इस संबंध में अधिकारियों को प्रमाण संकलित करने के निर्देश दिये गये थे। इसी क्रम में डॉ0 अरविन्द चतुर्वेदी, अपर पुलिस अधीक्षक के निर्देशन में पुलिस उपाधीक्षक अमित नागर के नेतृत्व में टीम गठित कर इस विषय में अभिसूचना संकलन की कार्रवाई प्रारंभ की गयी। 

चिप लगाने से कम हो जाती है तेल की निकासी 
अभिसूचना संकलन के दौरान जानकारी प्राप्त हुई कि कुछ लोग संगठित गिरोह बनाकर पेट्रोल पंपों पर लगी इलेक्ट्रॉनिक मशीनों में एक ऐसी चिप लगा रहे हैं, जिससे तेल की निकासी कुछ प्रतिशत कम हो जाती है और मीटर पूरी निकासी प्रदर्शित करता है। इस सूचना को और अधिक विकसित कर कार्रवाई करने के लिए निरीक्षक एन0आर0 दोहरे को निर्देशित किया गया। उनकी टीम के सदस्य आरक्षी राजेश मौर्या द्वारा अत्यन्त परिश्रमपूर्वक एक ऐसे व्यक्ति को चिन्हित किया जो ऐसी चिप लगाने का विशेषज्ञ बताया जा रहा था।

संपर्की पेट्रोल पंपो का इकट्ठा किया गया पूरा विवरण 
टीम ने जमीनी स्तर पर प्राप्त सूचनाओं को विकसित करते हुए इस संदिग्ध व्यक्ति के आवागमन, बैठने के ठिकाने तथा संपर्की पेट्रोल पंपो का पूरा विवरण इकट्ठा किया। पुलिस उपाधीक्षक श्री नागर ने जमीनी सूचना का सत्यापन किया और आगे की कार्रवाई की योजना तैयार की। डॉ0 अरविन्द चतुर्वेदी, अपर पुलिस अधीक्षक ने पेट्रोल पंपो की सेवाओं के ‘आवश्यक सेवा’ श्रेणी का होने के कारण इनके परिसर में होने वाली किसी गड़बड़ी के अनावरण के लिए आवश्यक विधिक प्राविधानों का अध्ययन किया तो पाया कि इस कार्रवाई में एसटीएफ के साथ बॉटमाप निरीक्षक, संबंधित ऑयल कंपनी के फील्ड आफिसर, जिला आपूर्ति विभाग के अधिकारी तथा एक मैजिस्ट्रेट की मौजूदगी होना आवश्यक होगा। 

संबंधित विभाग के अधिकारियों से किया जा रहा संपर्क 
डॉ0 चतुर्वेदी ने सभी संबंधित विभाग के अधिकारियों से संपर्क स्थापित किया। फील्ड में कार्यरत टीम ने चिन्हित अभियुक्त राजेन्द्र को पूछताछ के लिए रोका। पूछताछ पर उसने बताया कि वह प्रशिक्षण प्राप्त इलेक्ट्रिीशियन है और कई वर्षो से पेट्रोल पपों पर बिजली संबंधी कार्य करता रहा है। उसने बताया कि दिल्ली के कुछ लोगों से 5-6 वर्ष पूर्व संपर्क होने पर पेट्रोल पंप पर लगी मशीनों में चिप लगाने का काम सीख लिया था। ऐसी चिप लगाकर रिमोट के माध्यम से घटतौली की जा सकती है, जिसका ग्राहको को भी पता नहीं चल सकता है। धीरे-धीरे उसने इस गैंग का साथ छोड़कर स्वयं ही यह कार्य करना प्रारंभ कर दिया।