मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति निहारेंगे गंगा के तट, लेकिन घटता जलस्तर बनी चिंता का सबब

punjabkesari.in Thursday, Mar 08, 2018 - 02:16 PM (IST)

वाराणसीः वाराणसी में आगामी 12 मार्च को पीएम नरेंद्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों का एक दिवसीय दौरा प्रस्तावित है। अपने इस दौरे के दौरान दोनों नेता वाराणसी के गंगा के घाटों के मनोरम दृश्य को नौका विहार कर निहारेंगे। लेकिन अभी गर्मी शुरू भी नहीं हुई है और गंगा का स्तर लगातार घट रहा है, जिसकी वजह से वक्त से पहले ही बीच गंगा में रेत का टीले बनने लगे हैं तो वहीं गंगा घाटों की सीढी छोड़ चुकी है। इतना ही नहीं इस समय घाट के किनारे गन्दगी का अंबार लगा हुआ है। 

वाराणसी के सभी 84 घाटों की सीढ़ियों से गंगा का जल काफी दूर हो गया है, जिसकी वजह से घाट की सीढियां भी दरकने लगी हैं। गंगा के जलस्तर में तेजी से हो रहे घटाव की वजह से घाट किनारे रहने वाले लोगों और नाविकों में रोष व्याप्त है, तो वहीं गंगा विशेषज्ञ भविष्य को लेकर काफ़ी चिंतित भी हैं। 

गंगा की दुर्दशा पर नाविक आैर क्षेत्रिय लोग परेशान 
गंगा की ऐसी दुर्दशा के चलते गंगा पर निर्भर और अपनी आजीविका चलाने वाले नाविक जितने परेशान हैं उतने ही घाट किनारे रहने वाले क्षेत्रिय लोग भी। नाविकों की माने तो गंगा का जलस्तर पिछले साल की तुलना में मार्च माह में 4-5 मिटर तक कम हो गया है और बीच धारा में भी कम जल स्तर के चलते नाव को खे पाना काफी मुश्किल हो गया है। तो वहीं क्षेत्रिय लोग गंगा में गिरते नालों से त्रस्त हैं।

गंगा विशेषज्ञ भी चिंतित
गंगा में बढ़ते प्रदूषण और जलस्तर में कमी को लेकर गंगा विशेषज्ञ भी काफी चिंतित हैं। काशी हिन्दू विश्व विद्यालय के प्रोफ़ेसर बी.डी त्रिपाठी की माने तो गंगा में आज के समय में सबसे बड़ी चिंता का विषय गंगा में पानी की कमी का है, जिसकी वजह से गंगा के डायलोजन क्षमता कम हो रही है और प्रदूषण का लेवल बढ़ रहा है। बी.डी त्रिपाठी ने बताया कि इसका मुख्य कारण पहाड़ों पर गंगा के पानी का रिसाव के साथ गंगा के पानी को रोकना और उसे डायवर्ट करना है। उनका कहना है कि आज गंगा के लिए सफाई के साथ-साथ जलस्तर की कमी सबसे बड़ी चुनौती बानी हुई है। मार्च के महीने में अभी तक कभी ऐसा नहीं होता था कि गंगा का पानी वाराणसी में घाटों से दूर हो जाए और ऐसा हो रहा है तो यह काफी चिंता का विषय है। 

खामियों को ढंकने का हाे रहा प्रयास
नई प्रशासनिक परंपरा के तहत किसी वीआईपी मूवमेंट के दौरान स्थानीय महकमा कमियों को ढांकने में माहिर हो गया है। जैसे कभी सड़क खड्ढों को बड़े लोहे की चादरों से ढांक दिया जाता है, जिधर से नेता जी को गुजरना है या फिर पथरीले रास्तों पर श्रद्धालुओं के लिए रेड कारपेट के नाम पर लाल दरी बिछा दी जाती है। लेकिन लगभग 3 किलोमीटर की पीएम मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल के गंगा में नौकाविहार के दौरान खामियों को ढंकने के लिए कौन सा परदा काम आता है, ये बड़ा सवाल है।