कटियार ने CBI की भूमिका पर उठाये सवाल, जिलानी ने फैसले का किया स्वागत

punjabkesari.in Wednesday, Apr 19, 2017 - 02:00 PM (IST)

लखनऊ: पूरे देश को झकझोर कर रख देने वाली अयोध्या की छह दिसंबर 1992 की घटना के संबंध में उच्चतम न्यायालय के आज आये आदेश के बाद मामले के एक आरोपी और राज्यसभा सदस्य विनय कटियार ने केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की भूमिका पर सवाल खड़े करते हुए कहा है कि राम मंदिर के लिये जेल जाना पड़े तो उनके लिये इससे बड़ी खुशी की और क्या बात होगी। 

सीबीआई की भूमिका पर उठाया सवाल 
कटियार ने उच्चतम न्यायालय के फैसले पर सीधी टिप्पणी से बचते हुए सीबीआई की भूमिका पर सवाल उठाया, लेकिन न्यायालय के निर्णय पर उन्होंने आश्चर्य जरुर व्यक्त किया। उनका कहना था कि अयोध्या के विवादित ढांचा ध्वस्त करने के लिये जब कोई साजिश रची ही नहीं गयी तो साजिश का मुकदमा कैसे चल सकता है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता ने कहा कि सीबीआई की पहल ही गलत है। हालांकि जब उनसे पूछा गया कि केन्द्र में आपकी पार्टी की सरकार है। सीबीआई गलत कैसे कर सकती है, क्या इसमें कोई राजनीतिक साजिश है। इस सवाल के जवाब पर उन्होंने कोई सीधा जवाब नहीं दिया लेकिन कहा, ‘मुझे जो कहना था, कह दिया।’ 

उमा भारती को इस्तीफा देने की जरूरत नहीं
उन्होंने केन्द्रीय मंत्री उमा भारती का बचाव करते हुए कहा कि उमा भारती को केन्द्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने की कोई जरुरत नहीं है। 

हर हाल में बनना चाहिए राम मंदिर
कटियार ने कहा कि अयोध्या में हर हाल में विवादित राम जन्मभूमि स्थल पर भव्य राम मंदिर का निर्माण होना चाहिए। इसके लिये वह एक नहीं कई बार जेल जाने को तैयार हैं। उनका कहना था कि सीबीआई ने मामले को और पेचीदा बना दिया है।

सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड ने कोर्ट के फैसले का किया स्वागत
उधर, विवादित धर्मस्थल के एक पक्ष सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता और बाबरी मस्जिद ऐक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी ने उच्चतम न्यायालय के आदेश का स्वागत करते हुए कहा है कि इससे आम लोगों में न्याय प्रक्रिया के प्रति विश्वास बढ़ा है। जिलानी ने कहा कि सीबीआई यदि उच्चतम न्यायालय में पहले चली गयी होती तो फैसला और जल्दी आ गया होता। उनका कहना था कि मुकदमे पर अब उच्चतम न्यायालय की नजर रहेगी। इसलिए चाहकर भी कोई गड़बड़ी नहीं कर पायेगा। उन्होंने कहा कि उन्हें पता है कि सीबीआई ने उच्चतम न्यायालय में जाने में देरी क्यों की, लेकिन न्यायालय के आदेश से देश के धर्मनिरपेक्ष लोगों में न्याय प्रक्रिया के प्रति विश्वास बढ गया है।