राम मंदिर भूमि पूजन के कुछ ऐसे ऐतिहासिक पल, जो भारत के इतिहास में हमेशा रखे जाएंगे याद

punjabkesari.in Wednesday, Aug 05, 2020 - 03:10 PM (IST)

 

लखनऊः 493 साल के लंबे इंतजार के बाद श्रीराम के भव्य मंदिर के निर्माण का सपना साकार हुआ है। इस कार्यक्रम के दौरान कुछ ऐसे तथ्य हैं, जिसकी जानकारी सब को होनी चाहिए। ये घटना भारत के इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गए हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में इससे पहले 1991 में आए थे। 1991 में ही नरेंद्र मोदी ने मंदिर बनने पर ही अयोध्या आने का संकल्प लिया था। 2020 में राम मंदिर का भूमि पूजन कर अपने संकल्प को पूरा किया। पीएम मोदी पारंपरिक धोती-कुर्ता पहनकर कार्यक्रम में शामिल हुए। सनातन धर्म में पूजा के समय धोती-कुर्ता पहनने का ही विधान है। अयोध्या पहुंचते ही पीएम मोदी हनुमानगढ़ी पहुंचे।

हनुमानगढ़ी में भगवान हनुमान की विधि-विधान से पीएम मोदी ने की पूजा-अर्चना। हनुमानगढ़ी में आकर माथा टेकने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री बने नरेंद्र मोदी। रामलला विराजमान का दर्शन करने वाले पहले प्रधानमंत्री भी नरेंद्र मोदी ही हैं। भगवान श्रीराम के सामने पीएम मोदी ने साष्टांग होकर प्रणाम किया। राम मंदिर का भूमिपूजन पूरे विधि-विधान से प्रधानमंत्री ने संपन्न किया।

भूमिपूजन के लिए खास ताम्रपत्र कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य ने भेजी। इस ताम्रपत्र में राम मंदिर भूमिपूजन के संपूर्ण कार्यक्रम का उल्लेख है। इस ताम्रपत्र में किसी भी व्यक्ति के नाम का उल्लेख नहीं है। पीएम मोदी ने पहले से ही निर्धारित शुभ घड़ी में भूमिपूजन किया। भूमिपूजन करने के बाद प्रधानमंत्री नींव के सामने भी नतमस्तक हुए। प्रधानमंत्री ने नींवस्थल की मिट्टी का तिलक लगाकर पूजा संपन्न कर दी। प्रधानमंत्री ने संबोधन मंच से ही सभी संत साधुओं को नतमस्तक होकर प्रणाम किया।

भारत के हजारों साल के इतिहास में आज का दिन स्वर्ण अक्षर से लिखा जाएगा। ये भारतीय संस्कृति, परंपरा और धर्म की शक्ति के पुर्नउत्थान का प्रतीक है। भारत के करोड़ों जनमानस के हृदय में ये क्षण हमेशा के लिए चित्रित हो गया है।

Nitika