सपा-बसपा की मिलीभगत का भ्रामक प्रचार कर रहे हैं मोदी: मायावती

punjabkesari.in Wednesday, Oct 26, 2016 - 05:25 PM (IST)

लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर राजनीतिक स्वार्थ की पूर्ति के लिये भ्रामक और गलत प्रचार का आरोप लगाया है। मायावती ने आज यहां कहा, ‘उत्तर प्रदेश राज्य विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) को दयनीय स्थिति से उबारने के लिये मोदी ने महोबा रैली में बसपा और समाजवादी पार्टी(सपा) की मिलीभगत की जो झूठी और भ्रामक बात कही है, वह सूबे की जनता के गले नहीं उतर सकती। वास्तव में यह कहकर उन्होंने अपना मजाक खुद उड़ाया है।’ 

उन्होंने कहा कि 02 जून 1995 को लखनऊ के स्टेट गेस्ट हाऊस में सपा द्वारा उन पर कराये गये जानलेवा हमले के बाद बसपा ने कभी भी उस दल से सियासी मेल जोल नहीं रखा है। 21 सालों के लंबे समय में उनकी पार्टी ने हर मोर्चें पर सपा के आपराधिक चाल, चरित्र व चेहरे का विरोध किया है जिसका गवाह उत्तर प्रदेश का राजनीतिक इतिहास है। 

बसपा प्रमुख ने कहा कि मोदी का सपा बसपा की मिलीभगत का आरोप दुर्भाग्यपूर्ण है और ‘उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे’ की कहावत को चरितार्थ करता है। भारतीय जनसंघ और इसका स्वरुप भाजपा सपा नेता मुलायम सिंह यादव से वर्ष 1967 से ही सीधे संपर्क में रही है। वर्ष 1967, 1977 और 1989 में मिलकर चुनाव भी लड़ा है। हाल ही में भाजपा व सपा ने एक-दूसरे से खुले तौर पर मिलकर बिहार में धर्मनिरपेक्ष गठबन्धन के खिलाफ विधानसभा चुनाव लड़ा था और बुरी तरह से परास्त भी हुये। 

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के लोग कई बार देख चुके है कि किस प्रकार सपा-भाजपा यहाँ एक-दूसरे पर नरम रहते है और आपसी साँठ-गाँठ करके प्रदेश को साम्प्रदायिक तनाव व दंगे की राजनीति करके दोनों एक-दूसरे की मदद करते रहते हैं। दोनों पार्टियों की मिलीभगत के कारण ही प्रदेश की 22 करोड़ जनता साम्प्रदायिक और जंगलराज के अभिशाप से परेशान रही हैं। 

बसपा अध्यक्ष ने कहा कि 2013 के साम्प्रदायिक दंगे में भाजपा-सपा की मिलीभगत खुलकर लोगों के सामने आयी और बड़ी संख्या में लोग मारे गये जबकि लाखों लोग बेघर हुये। फिर भी दोषियों के खिलाफ सपा सरकार ने सख्ती से कार्रवाई नहीं की, जिस कारण वे अब भी खुलेआम घूम रहे हैं। इसके बदले में केन्द्र में भाजपा की सरकार ने यहाँ प्रदेश में सपा के हर स्तर पर व्याप्त जंगलराज के संविधान की धाराओं के तहत एक भी रिपोर्ट राज्यपाल से नहीं माँगी और ना ही कोई नोटिस ही सरकार को अब तक जारी की है।

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