बसपा के वोट बैंक में सेंध लगाने की जुगत में सपा, प्रयोग सफल रहा तो मायावती को होगा भारी नुक्सान

punjabkesari.in Wednesday, Nov 30, 2022 - 07:51 PM (IST)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में होने वाले उपचुनाव और निकाय चुनाव के साथ ही अब लोकसभा चुनाव की बिसात बिछने लगी है। लोकसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को रोकने के लिये मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी ने राजनीतिक प्रयोग शुरू कर दिया है। पिछले विधानसभा चुनाव में पश्चिम में भाजपा को रोकने में असफल रहे सपा-रालोद गठबंधन ने अब दलितों को भी अपने पाले में करने का प्रयोग शुरू किया है।

प्रयोग के तौर पर उपचुनावों में दलितों के उभरते नेता चंद्रशेखर आजाद को सपा गठबंधन प्रत्याशियों के प्रचार के लिये उतारा गया है। माना जा रहा है कि अगर यह प्रयोग सफल रहा तो 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में चंद्रशेखर आजाद की भीम आर्मी सपा गठबंधन का हिस्सा होगी। दरअसल, विधानसभा चुनाव में सपा मुखिया अखिलेश यादव व रालोद प्रमुख जयंत चौधरी ने जाट-मुस्लिम का समीकरण बनाकर भाजपा के सामने चुनौती पेश करने की कोशिश की थी लेकिन बसपा के ढीले तेवरों को देखते हुये दलित मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा भाजपा के पाले में चला गया। वैसे तो इन चुनावों के दौरान भी चंद्रशेखर आजाद व अखिलेश के बीच गठबंधन की सुगबुगाहट तो थी लेकिन बात नहीं बन सकी। हालांकि लोकसभा चुनाव में अखिलेश कोई चूक नहीं करना चाहते हैं।

अखिलेश और जयंत, भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद को गठबंधन में शामिल कर मुस्लिम जाट-दलित समीकरण बनाना चाहते है और हालिया उपचुनाव में इस समीकरण को पहली कसौटी पर कसा जा रहा है। समाजवादी पार्टी का यह प्रयोग सफल रहा तो बसपा सुप्रीमो मायावती को भारी नुक्सान का सामना करना पड़ सकता है।

गौरतलब है कि पश्चिम उत्तर प्रदेश में करीब 20 प्रतिशत जाट, 30 प्रतिशत मुस्लिम और 25 प्रतिशत दलित मतदाता हैं। 75 प्रतिशत मतदाताओं वाला सपा गठबंधन का यह प्रयोग अगर सफल रहा तो आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिये मुश्किले पैदा करने वाला साबित हो सकता है।

 


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Content Writer

Ajay kumar

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