मां Heeraba के संघर्ष की वो कहानी, जब अमेरिका में रो पड़े थे पीएम Narendra Modi
punjabkesari.in Friday, Dec 30, 2022 - 04:18 PM (IST)
नेशनल न्यूज(रानू मिश्रा): मां बेटे का ऐसा रिश्ता होता है जिसकी किसी भी रिश्ते के साथ तुलना नहीं की जा सकती.. मां बेटे का एक अटूट रिश्ता होता है... मां बेटे के रिश्ते में उम्र कोई मायने नहीं रखती... क्योंकि मां तो आखिर मां होती है... आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीरा बा का निधन हो गया... ममता से भरने वाली हीरा बा नहीं रहीं... नरेंद्र को गढ़ने- रचने वाली मां नहीं रही... जिन्होंने संस्कार सिखाए.. जिन्होंने अपने बेटे के लिए दूसरों के घरों में काम किया... जिन्होंने आर्थिक तंगी में हिम्मत नहीं हारी और 6 बच्चों की परवरिश की.. आज उस मां के 100 साल के जीवन के सफऱ का अंत हो गया।
उन्होंने इसी साल जून में अपने जीवन के 100वें वर्ष में प्रवेश किया था. उनका जन्म 18 जून 1923 को मेहसाणा में हुआ था... हीराबेन की शादी दामोदरदास मूलचंद मोदी से हुई थी... दामोदरदास तब चाय बेचा करते थे. हीराबेन और दामोदरदास की 6 संतानें हुईं. नरेंद्र मोदी तीसरे नंबर पर थे. हीराबेन और दामोदरदास की दूसरी संतानें अमृत मोदी, पंकज मोदी, प्रह्लाद मोदी, सोमा मोदी और बेटी वसंती बेन हंसमुखलाल मोदी है।
जब मां हीरा बा को याद कर अमेरिका में रो पड़े थे पीएम मोदी
पीएम मोदी कई बार सार्वजानिक मंच पर अपनी मां का जिक्र करते रहे हैं. साल 2015 में एक कार्यक्रम में फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग ने पीएम मोदी से कुछ सवाल किए तो उस बातचीत के दौरान अपनी मां से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए पीएम मोदी इतने भावुक हो गए थे कि स्टेज पर ही रो पड़े।
'छत से कभी पानी टकपता था’
हीराबेन ताउम्र संघर्षशील महिला रहीं हैं.. पीएम मोदी कई बार अपनी मां के संघर्षों का भावुक अंदाज में जिक्र कर चुके हैं... प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ब्लॉग में हीरा बा के संघर्ष को बताते हुए लिखा था ‘बारिश में हमारे घर में कभी पानी यहां से टकपता था, कभी वहां से. पूरे घर में पानी ना भर जाए, घर की दीवारों को नुकसान ना पहुंचे, इसलिए मां जमीन पर बर्तन रख दिया करती थीं. छत से टपकता हुआ पानी उसमें इकट्ठा होता रहता था.. उसी पानी को मां घर के काम के लिए अगले 2-3 दिन तक इस्तेमाल करती थीं.. मां को घर सजाने का, घर को सुंदर बनाने का भी बहुत शौक था. घर सुंदर दिखे, साफ दिखे, इसके लिए वह दिन भर लगी रहती थीं. वह घर के भीतर की जमीन को गोबर से लीपती थीं... उन पलों में भी मैंने मां को कभी परेशान नहीं देखा, खुद को कोसते नहीं देखा’।
सप्ताह में 5 दिन बाजरे की रोटी और कढ़ी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीरा बा के घर में गरीबी का जो आलम था, वहां उन्हें अपने बच्चों को सप्ताह में 5 दिन कढ़ी और बाजरे की रोटी खिलानी पड़ती थी. कढ़ी में थोड़ा बेसन डाला जाता था, छाछ तब मुफ्त मिलता था, इसमें एक बैगन डालते थे और फिर इसी से पूरा परिवार खाता था।
पंकज मोदी के साथ रहती थीं मां हीरा बा
पिछले आठ वर्षों में हीरा बा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आधिकारिक आवास पर सिर्फ एक बार गईं.. हालांकि प्रधानमंत्री कई मौकों पर मां से मिलने के लिए गांधीनगर पहुंचते रहे हैं.. हीरा बा भले ही पीएम नरेंद्र मोदी से दूर रही हों लेकिन वे सतत चिंता करती रही... हीराबेन अभी अपने बेटे पंकज मोदी के साथ गुजरात के गांधीनगर में रहती थीं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी मां के साथ इसी साल 4 दिसंबर को मिले थे, जब वह गुजरात चुनाव प्रचार के सिलसिले में राज्य में थे. तबीयत खराब होने के बाद वह मां से मिलने बुधवार को अहमदाबाद भी गए थे... हीराबेन के निधन के साथ पीएम मोदी की जिंदगी का एक भावुक अध्याय बंद हो गया है. वो अध्याय जहां एक संतान मां की आंचल में लिपटकर मां की ममता को महसूस करती थी।
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