श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के आंदोलन ने बना दिया बीजेपी को राजनीति का बाहुबली

punjabkesari.in Tuesday, Aug 04, 2020 - 06:53 PM (IST)

यूपी डेस्कः 5 अगस्त को अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन अपने लक्ष्य को पा लेगी लेकिन कभी आपने सोचा है कि 80 के दशक से परवान पर चढ़े राम मंदिर आंदोलन के इस समुद्र मंथन से निकले अमृत का घड़ा किसके हाथ में गया। जी हां इस सवाल के उत्तर में पिछले 40 साल के भारत की राजनीति की दशा दिशा बदलने का रहस्य छिपा है। 2020 में खड़े होकर अगर आप 1980 से लेकर हुए अब तक के सियासी परिवर्तन का मूल्यांकन करेंगे तो आप इसी नतीजे पर पहुंचेंगे कि भारतीय जनता पार्टी को ही राम मंदिर के समुद्र मंथन से निकले अमृत कलश का पान करने का पुण्य हासिल हुआ। अगर बीजेपी के अलावा थोड़ा बहुत लाभ हुआ तो वो महाराष्ट्र में शिवसेना को ही इस अमृत कलश से टपके कुछ बूंदों को स्वाद मिल पाया। भले ही अभी शिवसेना, बीजेपी से दूर हो गई हो लेकिन महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद पर तो बाल ठाकरे के पुत्र उद्धव ठाकरे का ही कब्जा है। 

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थोड़ा टाइमलाइन को अस्सी के दशक में ले जाते हैं। 6 अप्रैल 1980 को जनसंघ से ही भारतीय जनता पार्टी का उद्भव हुआ था। अब भी भारतीय जनता पार्टी का संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी को ही माना जाता है। जनसंघ के बाद भाजपा के नए कलेवर में नई राजनीतिक तौर तरीकों को भी अपनाया गया। 1980 में बीजेपी का पहला राष्ट्रीय अध्यक्ष अटल बिहारी वाजपेयी को बनाया गया। 

1980 के दशक में  विश्व हिन्दू परिषद ने अयोध्या में राम का मन्दिर निर्माण के उद्देश्य से एक अभियान की शुरूआत की थी। 8 वीं लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले वीएचपी और आरएसएस ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए एक मुहिम छेड़ी थी लेकिन लोकसभा चुनाव पर इसका ख़ास असर नहीं दिखा। इस चुनाव में बीजेपी के खराब प्रदर्शन की एक अलग वजह थी। इंदिरा गांधी की हत्या से राजीव गांधी और कांग्रेस को मिली सहानुभूति के सामने बीजेपी की एक ना चली और 1984 के आम चुनावों में इसे केवल दो लोकसभा सीट ही मिल पाई थी। 

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हालांकि लोकसभा चुनाव में बदतर प्रदर्शन के बावजूद भी बीजेपी ने राम मंदिर के आंदोलन को भरपूर समर्थन दिया और 1989 के नौंवी लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने राम मंदिर को चुनावी मुद्दा बनाया। बीजेपी ने 11 जून 1989 को पालमपुर कार्यसमिति में प्रस्ताव पास किया कि अदालत इस मामले का फ़ैसला नहीं कर सकती और सरकार समझौते या संसद में क़ानून बनाकर राम जन्मस्थान हिंदुओं को सौंप दे। अब तक इंदिरा गांधी की हत्या की सहानुभूति भी कांग्रेस खो चुकी थी बीजेपी ने 1989 के लोकसभा चुनाव में काफी ज्यादा सीट हासिल की थी। पिछले लोकसभा चुनाव में महज दो सीट हासिल करने वाली बीजेपी ने 1989 में 85 सीट हासिल की थी.इसके बाद बीजेपी ने नेशनल फ्रंट की विश्वनाथ प्रताप सिंह सरकार को समर्थन दिया और कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर दिया। 

सितंबर 1990 में लालकृष्ण आडवाणी ने राम मंदिर आंदोलन के समर्थन में अयोध्या के लिए "रथ यात्रा" आरम्भ की। ये रथ यात्रा आजाद भारत के राजनीतिक परिवर्तन का एक सबसे अहम पड़ाव साबिक हुआ। इस यात्रा के दौरान ही बिहार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने आडवाणी को गिरफ्तार कर लिया लेकिन कारसेवक और संघ परिवार के कार्यकर्ता इसके बावजूद  अयोध्या पहुंच गए और बाबरी ढांचे के विध्वंस के लिए हमला कर दिया। इसके बाद पारा मिलिट्री बल के साथ हुए संघर्ष में कई कार सेवक मारे गए। इससे गुस्साई बीजेपी नेतृत्व ने विश्वनाथ प्रताप सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया और 1991 में बीजेपी 10 वीं लोकसभा चुनाव में राम मंदिर के लिए रथ यात्रा को मुद्दा बनाया। इन चुनावों में बीजेपी ने 120 सीटों पर जीत हासिल कर सबको हैरान कर दिया। 

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राम मंदिर के समर्थन का ही नतीजा था कि बीजेपी लोकसभा में 120 सीट हासिल कर ली। बीजेपी और संघ परिवार ने इस मुद्दे पर आर पार करने का मन बना लिया। 6 दिसंबर 1992 को हिंदुत्ववादी संगठनों के कार्यकर्ताओं की उन्मादी भीड़ ने विवादित ढ़ांचे को गिरा दिया। बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद देश में दंगे भड़क गए। विहिप को कुछ समय के लिए सरकार ने प्रतिबन्धित कर दिया था। लालकृष्ण आडवाणी सहित बीजेपी के नेताओं को भड़काऊ भाषण देने की वजह से गिरफ़्तार कर लिया। 1996 के संसदीय चुनाव में राम मंदिर के मुद्दे से बीजेपी को फायदा मिला। लोकसभा चुनाव में 161 सीट जीतकर बीजेपी सबसे बड़े दल के तौर पर उभरी। और पहली बार भारतीय जनता पार्टी ने 13 दिन के लिए ही सही सरकार बनाई। अटल बिहारी वाजपेयी को बीजेपी प्रधानमंत्री बनाने में कामयाब रही।

इसके बाद 12वी और 13 वीं लोकसभा में बीजेपी ने 182 सीट हासिल की। 1998 में बीजेपी ने अपने कोर एजेंडे को किनारे रख कर एनडीए को सत्ता में स्थापित किया। प्रधानमंत्री के तौर पर अटल बिहारी वाजपेयी ने 2004 तक सत्ता संभाली। आजादी के बाद वाजपेयी पहली ऐसे गैर कांग्रेसी सरकार के मुखिया थे जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया हालांकि सियासी गलियारों में इसकी चर्चा रही कि वाजपेयी के सॉफ्ट हिंदुत्व की छवि से बीजेपी के कोर वोटर सहमत नहीं हुए और 2004 के 14वीं लोकसभा चुनाव में बीजेपी की सीट घटकर 138 रह गई। इसके बाद दस साल तक केंद्र में कांग्रेस की सरकार रही। 

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2014 के लोकसभा चुनाव से पहले संघ परिवार ने बीजेपी की पिछली हारों का आकलन किया। संघ परिवार को ये महसूस हुआ कि बीजेपी राम मंदिर,धारा 370 ,यूनिफार्म सिविल कोड और तीन तलाक जैसे मुद्दे को किनारे कर दिया है। तब बीजेपी ने हिंदुत्व के फायर ब्रांड चेहरे के तौर पर देश में जगह बना चुके नरेंद्र दामोदर दास मोदी को पार्टी का चेहरा बना दिया। 2002 में गोधरा में अयोध्या से रामलला का दर्शन कर लौट रहे श्रद्धालुओं पर हमला किया गया। 27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस में सवार 59 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। इस हमले को कट्टर पंथी मुस्लिम संगठनों ने अंजाम दिया था। इसकी प्रतिक्रिया के तौर पर पूरे गुजरात में दंगे भड़क उठे। इन दंगों को लेकर गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर कांग्रेस और वामपंथियों ने तरह तरह के आरोप लगाए। हालांकि कांग्रेस और वामपंथी दलों ने गोधरा में ट्रेन में जले 59 लोगों पर मौन साध लिया। इस घटना के बाद भी नरेंद्र मोदी गुजरात के चैंपियन बनकर उभरे। उनकी लोकप्रियता को देखते हुए बीजेपी ने नरेंद्र मोदी को पार्टी का प्रधानमंत्री कैंडिडेट बना दिया। इतिहास गवाह है कि 2014 और 2019 में बीजेपी ने जीत के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 303 सीटकर इतिहास रच दिया।

आइए देखिए कैसे महज 40 साल की राजनीतिक यात्रा में बीजेपी ने कांग्रेस की ताकत को धीरे-धीरे कर कमजोर कर दिया-

  • 1984 में हुए 8वीं लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने महज दो सीट पर जीत हासिल की थी।
  • 1989 में हुए 9 वीं लोकसभा चुनाव में 85 सीट पर भगवा लहराया था।
  • 1991 में हुए 10वीं लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 120 सीटों पर जीत हासिल की थी।
  • 1996 में हुए 11वीं लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 161 सीटों पर जीत हासिल की थी।
  • 1998 में हुए 12वीं लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 182 सीटों पर जीत हासिल की थी। 
  • 1999 में हुए 13वीं लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 182 सीटों पर जीत हासिल की थी।
  • 2004 में हुए 14वीं लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 138 सीटों पर जीत हासिल की थी।
  • 2009में हुए 15वीं लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 116 सीटों पर जीत हासिल की थी।
  • 2014 में हुए 16वीं लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 282 सीटों पर जीत हासिल की थी।
  • तो 2019 में हुए 17वीं लोकसभा चुनाव- में बीजेपी ने 303 सीट जीत कर रिकॉर्ड बना दिया। 

साफ है कि राम मंदिर के मुद्दे से बीजेपी ने महज 40 साल की यात्रा में भारत की सबसे बड़ी और पुरानी पार्टी कांग्रेस को पीछे छोड़ दिया है। बीजेपी लगातार दूसरी बार अपने दम पर बहुमत हासिल कर चुकी है। ये कहना गलत नहीं होगा कि जैसे जैसे बीजेपी बढ़ती गई। वैसे वैसे कांग्रेस की जमीन सिमटती गई और बीजेपी के इस फैलाव में राम मंदिर के आंदोलन की सबसे बड़ी भूमिका रही है। राम मंदिर भूमि पूजन के बाद बीजेपी हिंदुत्व की विचारधारा के विरोधियों को अपनी शैली में जवाब दे दिया है। अब विरोधी दल भी राम नाम का गुणगाण करने पर मजबूर हो गए हैं ये बीजेपी और संघ परिवार की एक बड़ी नैतिक विजय है।


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Ajay kumar

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