यूपी चुनाव में मुद्दों पर भारी पड़ते ‘जुमले’

punjabkesari.in Saturday, Feb 25, 2017 - 01:11 PM (IST)

लखनऊ(बृजेश सिंह): ज्यों-ज्यों चुनाव आगे बढ़ रहा है, उत्तर प्रदेश में विकास और जनकल्याण से जुड़ी योजनाओं, मुद्दों पर चर्चा की बजाय सभी राजनीतिक दल जुमलेबाजी में जुट गए हैं। जुमलेबाजी के चलते मतदाताओं के लिए यह समझना मुश्किल हो रहा है कि कौन पार्टी या नेता प्रदेश के विकास और सुधार के लिए गंभीर है। चुनावी मंच से नेता केवल श्रोताओं का मनोरंजन कर रहे हैं। राजनीतिक विरोधियों पर कटाक्ष पहले भी होते रहे हैं लेकिन यू.पी. में इस बार नए कीॢतमान बनाए जा रहे हैं...

यू.पी. में चौथे चरण का मतदान पूरा हो गया। अभी 3 चरण बाकी हैं। मतदान से पहले मीडिया इंटरव्यू से लेकर टी.वी. पर होने वाली बहसों में भाजपा, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी के नेता प्रदेश में विकास, केंद्र सरकार की नीतियों, भ्रष्टाचार, नोटबंदी और कानून-व्यवस्था जैसे मुद्दों पर विरोधी दलों को घेरने की कोशिश करते थे। जैसे-जैसे चुनाव आगे बढ़ता गया, नेताओं की बोली और भाषा बदलने लगी। वे विरोधी पार्टियों और नेताओं के चरित्र हनन व आक्षेपों पर उतर आए। नेताओं की जुमलेबाजी में चुनावी मुद्दे हवा-हवाई हो गए हैं।
                  

काम बनाम कारनामा 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अधिकांश जनसभाओं में यू.पी. के सी.एम. अखिलेश यादव और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को सीधे निशाने पर ले रहे हैं। सपा का चुनावी नारा है - ‘काम बोलता है।’ मोदी ने रैली में कहा, ‘काम नहीं कारनामे बोलते हैं।’ मोदी अपनी रैलियों में अक्सर ‘स्कैम’ शब्द की व्याख्या करते हुए कहते हैं कि इसका मतलब है - एस.पी., कांग्रेस, अखिलेश और मायावती। मोदी के इस बयान पर राहुल गांधी स्कैम की व्याख्या सेवा, क्रेज (साहस) और मॉडैस्टी के रूप में करते हैं लेकिन लोगों को यह व्याख्या पसंद नहीं आई। प्रधानमंत्री के कब्रिस्तान और श्मशान  वाले बयान पर भी लोगों ने जमकर प्रतिक्रिया दी। सोशल मीडिया पर इस बयान की अधिकांश लोगों ने आलोचना की।
                   

गधों पर जुबानी जंग 
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक जनसभा में गुजरात टूरिज्म के एक विज्ञापन का जिक्र करते हुए कहा कि गुजरात में तो गधों का भी प्रचार होता है। उन्होंने विज्ञापन करने वाले अमिताभ बच्चन से अनुरोध भी कर डाला कि वे गुजरात के गधों का प्रचार न करें। इस बयान ने हंगामा खड़ा कर दिया। प्रधानमंत्री ने इसके जवाब में कहा कि वह गधों से भी प्रेरणा लेते हैं। 
                 

डी.डी.एल.जे. से गब्बर तक
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भाजपा के अच्छे दिन के नारे का जिक्र करते हुए कहा लोकसभा चुनाव से पहले दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे की बात करने वाले अब 3 साल केंद्र सरकार चलाने के बाद शोले के गब्बर सिंह की तरह पेश आ रहे हैं। मोदी ने जब एक जनसभा में खुद को यू.पी. का गोद लिया हुआ बेटा बताया तो कांग्रेस की स्टार प्रचारक प्रियंका गांधी ने कहा कि प्रदेश को उन्हें गोद लेने की जरूरत नहीं है, क्योंकि उसके 2 युवा बेटे (अखिलेश व राहुल गांधी) हैं। वहीं, मायावती ने कहा कि इस बार राज्य ने अपनी बेटी को जिताने का मन बनाया है। प्रदेश में बाहरी लोगों की जरूरत नहीं है।
                 

नैगेटिव दलित मैन
बसपा प्रमुख मायावती भी जुमलेबाजी में पीछे नहीं रहना चाहती हैं। उन्होंने एक रैली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर मोदी की नई व्याख्या करते हुए कहा कि दरअसल वह मि. नैगेटिव दलित मैन हैं।
                  
कसाब भी आया
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने पाकिस्तानी आतंकी कसाब का नया अर्थ बताते हुए एक चुनावी रैली में कहा - क से कांग्रेस, सा से सपा और ब से बहुजन समाज पार्टी होता है। उन्होंने कहा कि राज्य में विकास और शांति बहाली के लिए कसाब का दफन होना जरूरी है।   

किस नेता ने क्या कहा? 
-जैसे-जैसे चुनाव आगे बढ़ता गया, नेताओं की बोली और भाषा बदलने लगी
-पी.एम. के कब्रिस्तान और श्मशान वाले बयान पर लोगों ने जमकर प्रतिक्रिया दी
-अखिलेश ने अमिताभ से अनुरोध कर डाला कि गुजरात के गधों का प्रचार न करें
-राहुल ने कहा, डी.डी.एल.जे. की बात करने वाले अब गब्बर की तरह पेश आ रहे हैं
-भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने आतंकवादी कसाब के नाम का नया अर्थ गढ़ा