मायावती ने राज्यसभा की सदस्यता से दिया इस्तीफा
punjabkesari.in Tuesday, Jul 18, 2017 - 08:10 PM (IST)
नई दिल्ली: बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने आज राज्यसभा में सहारनपुर में दलित विरोधी हिंसा के मुद्दे पर आसन द्वारा उनको पूरी बात कहने की अनुमति नहीं दिए जाने के कुछ ही घंटों बाद उच्च सदन की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। मायावती ने आज शाम राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी से मिलकर उन्हें अपना त्यागपत्र सौंप दिया।
#Mayawati says will resign from RS for not being allowed to speak on Dalits
— ANI Digital (@ani_digital) July 18, 2017
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शून्यकाल के दौरान बिफरी मायावती
राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान अपनी बात नहीं रखने देने से बिफरी मायावती ने सदन से बहिर्गमन के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैंने स्थगन प्रस्ताव के तहत नोटिस दिया था जिसमें बोलने के लिए तीन मिनट की कोई सीमा नहीं होती। जब मैंने सहारनपुर जिले के सबीरपुर गाँव का मामला उठाने की कोशिश की तो सत्ता पक्ष के सदस्य खड़े होकर हंगामा करने लगे और मुझे नहीं बोलने दिया गया। यदि मैं दलितों-वंचितों का मामला सदन में नहीं उठा सकती तो मेरा राज्यसभा में आने का क्या फायदा। इसलिए मैंने इस्तीफा देने का फैसला किया है।’’
राज्यसभा में नहीं दिया गया बोलने का समय
उपसभापति पी जे कुरियन ने सुबह विधायी कार्य निपटाने के बाद नियम 267 के तहत ‘भीड़ द्वारा हत्या’ के मुद्दे पर चर्चा कराने की घोषणा की और बहुजन समाज पार्टी की मायावती को बोलने के लिए पुकारा। मायावती ने चर्चा शुरू करते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी के सत्ता में आने से बाद से इस तरह के मामलों में तेजी आई है। इस पर सत्ता पक्ष के सदस्यों ने शोरगुल शुरु कर दिया। उन्होंने मायावती से अपनी बात समाप्त करने को कहा। जब वह लगातार बोलती रही तो कुरियन ने उन्हें बार बार बैठने को कहा। इस पर मायावती ने कहा कि उन्हें बोलने की अनुमति नहीं दी रही है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे बोलने की अनुमति नहीं दी जाती है तो मैं अभी इस्तीफा दे रही हूं।’’
इसलिए दे रही हैं इस्तीफा!
दरअसल, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद मायावती का कार्यकाल अगले साल अप्रैल 2018 में खत्म हो रहा है। यूपी विधानसभा में बसपा की इतनी हैसियत नहीं है कि वह अपने दम पर मायावती को राज्यसभा में भेज सके। बसपा के पास यूपी विधासभा में महज 19 MLA हैं जो मायावती को राज्यसभा में भेजने के लिए काफी नहीं है। ऐसे में इस्तीफे को बहन मायावती के राजनीतिक स्टंट के तौर पर भी देखा जा रहा है।