योगी मैजिक था ही नहीं और मोदी मैजिक कम नहीं हुआ: अमर सिंह

punjabkesari.in Sunday, Apr 15, 2018 - 09:33 AM (IST)

लखनऊ: एक दौर था जब राजनीति और फिल्मी दुनिया, दोनों में अमर सिंह का दबदबा था। उनसे कई बड़े नाम भी जुड़े थे, जो अब उनके साथ नहीं हैं। लेकिन अमर सिंह ने अपनी हस्ती बनाकर रखी है। नवोदय टाइम्स/पंजाब केसरी/जगबाणी ने उनसे विशेष बातचीत की तो वह हर विषय पर बेबाकी से बोले। प्रस्तुत हैं प्रमुख अंश:

- कांग्रेस के रणदीप सुरजेवाला ने उन्नाव रेप कांड को लेकर कहा है कि ‘भाजपा से बेटी बचाओ और बेटी के बाप को मरने से बचाओ’, इस पर क्या कहेंगे?
जो बात सच है उसका कोई बचाव नहीं होता। यह बात भी सच है कि भारतीय जनता पार्टी के सदस्य जो मूलरूप से संघ से आए होते हैं उनको भारतीय संस्कृति और मां-बहनों का सम्मान करना सिखाया जाता है। लेकिन, इसे भी झुठलाया नहीं जा सकता है कि उन्नाव रेप कांड में जिस विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर आरोप लगा है, वे भाजपा के विधायक हैं। सेंगर पहले समाजवादी पार्टी में ही थे। लेकिन, आज जो घटना हुई है उसमें इस बात को कैसे अनदेखा किया जा सकता है कि रेप पीड़िता के पिता को पीटकर मारा गया है।

- 2019 में क्या होगा, क्या समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी मिलकर चुनाव लड़ेंगे? सहयोगी दल भी खफा हैं, एनडीए की जीत कैसे होगी?
मैं सालों से सपा और बसपा के संबंधों को देख रहा हूं। राज्यसभा चुनाव के बाद ही मायावती ने कह दिया था कि अगला चुनाव मिलकर नहीं लड़ेंगे। दरार दिखाई देने लगेगी। अखिलेश यादव की जितनी उम्र है उससे पुराना मुलायम सिंह और मायावती के बीच चल रहा गेस्टहाउस कांड का मुकदमा है। राष्ट्रीय राजनीति में कांग्रेस का वजूद रहेगा और अगली बार फिर नरेन्द्र मोदी ही प्रधानमंत्री बनेंगे।

- एससी/एसटी एक्ट को लेकर देश में खूब बवाल मचा, आपका क्या कहना है?
माननीय न्यायालय की कोशिश है कि एक्ट का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। असल में देखा जाए तो दलित राजनीति को ऊपर उठाने का श्रेय तो भाजपा को ही जाता है। अधिक सीटें होने के बावजूद भाजपा ने यूपी में मायावती को सरकार बनाने के लिए कई बार समर्थन दिया। अगर मायावती मुख्यमंत्री नहीं बनतीं तो क्या उनका कद इतना बढ़ता। मायावती को आगे लाने का काम तो भाजपा ने ही किया।

- उपवास की राजनीति हो रही है, चाहे कांग्रेस हो या भाजपा हर कोई उपवास कर रहा है। क्या कहेंगे?
उपवास करिए, सही है, लेकिन छोले-भटूरे खाकर नहीं। कांग्रेस उपवास करके यह जताती है कि भले ही संख्या में कम हैं, लेकिन उनके पास आत्म विश्वास की कमी नहीं है। उपवास प्रतीकात्मक है। देश की राजनीति में अब काम तर्कात्मक कम ही होते हैं। तर्क की जगह प्रतीक ने ले लिया है। उपवास तो हमारी संस्कृति में है, गांधी जी भी करते थे। महिलाएं पति के लिए, माएं संतानों के लिए उपवास करती हैं। यह परंपरा तो हमारे भीतर है। आत्मशुद्धि के लिए उपवास को विधिवत किया जाना चाहिए।

- उप्र में 325 सीटें जीतने के बाद भी भाजपा गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा के उप चुनाव हार गई, क्या मोदी और योगी का मैजिक खत्म हो गया?
उप्र में योगी मैजिक तो था ही नहीं। विधानसभा चुनाव तो केवल मोदी के दम पर जीता गया है। योगी तो कोरा कागज थे। हम भाई मानते हैं उनको। उनमें पुरुषत्व है, उन्होंने गोरखपुर के गुंडों को काबू करके रखा। लेकिन, उप्र में कोई बड़ी उपलब्धि योगी के नाम अब तक नहीं है। वहीं, पीएम मोदी ने जो भी घोषणाएं की थीं, वह पूरी होंगी। कुछ जगहों पर काम शुरू हो गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का मैजिक बरकरार है।  वह जितनी तेजी से काम करते हैं, उनके साथ के लोग नहीं कर पाते। हां, नितिन गडकरी उनके साथ चल पाते हैं।

- राजस्थान, मप्र, छत्तीसगढ़, कर्नाटक के  विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, कैसा रहेगा परिणाम?
सभी प्रदेशों में कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए चुनौती है। राजस्थान में भाजपा के लिए ज्यादा बड़ी चुनौती है। अगर अशोक गहलोत को कांग्रेस सामने लाए तो उसकी जीत लगभग पक्की होगी। लोग सचिन पायलट के विरोध में नहीं हैं, लेकिन गहलोत के मुकाबले कद छोटा पड़ जाता है, जमीनी पकड़ भी कम है।

- राजस्थान में आम आदमी पार्टी भी चुनाव लड़ेगी, क्या स्थिति बनेगी?
आम आदमी पार्टी राजस्थान में सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस का करेगी। अभी तो चुनाव में समय है, तब तक बहुत कुछ बदल जाएगा। उसके बाद तेल और तेल की धार देखिएगा।

- भाजपा कांग्रेस पीएम को मौन मोहन सिंह कहते थे, अब मोदी नहीं बोलते तो विपक्ष,मौन मोदी का तंज कस रहा है, क्या कहेंगे?
एक चुप्पा, चुप रहकर लोगों को हरा देता है। मनमोहन सिंह इसे अपना गुण बताते थे। मोदी ने उसी अच्छे गुण को ले लिया तो इसमें खराबी क्या है। मोदी ने खुद को बदल लिया है। दुनिया के अन्य हिस्सों में जब वह जाते हैं तो उनका अंदाज वैसा ही होना चाहिए। दुनिया में भारत का मान वही होना चाहिए, जो पहले था, सोने की चिडिय़ा वाला। जिसका प्रतिनिधित्व करने के लिए मोदी ने देश में भी अपनी मजबूत 
छवि बनाई।

- मठ का संचालन है आसान सरकार चलाना बहुत मुश्किल
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को समझना होगा कि गोरखपुर का मठ और उप्र राज्य दोनों अलग-अलग चीजें हैं। मठ आसानी से चल सकता है, क्योंकि मठ आस्था से चलता है। गोरखपुर में वह थे तो ठीक, लेकिन गोरखपुर ही उत्तर प्रदेश नहीं है। कई देशों से जनसंख्या और आकार में काफी बड़ा है उत्तर प्रदेश। यूपी संभालने के लिए योग के साथ सहयोग और राजनीतिक अनुभव की जरूरत होती है। लोकसभा के उपचुनाव में दो सीटें हारना योगी के लिए ठीक नहीं रहा। क्योंकि, वह मुख्यमंत्री हैं और उनके ही क्षेत्र में हार होना तार्किक रूप से ठीक नहीं।

- कांग्रेस में गलत की जिम्मेदारी सभी लेते हैं भाजपा में सारा ठीकरा मोदी पर फोड़ देते हैं
कांग्रेस और भाजपा में एक बुनियादी अंतर है। कांगे्रस में चुनावी हार हो या कोई और खराब बात उसकी जिम्मेदारी सभी लेते हैं। लेकिन, भाजपा में यदि चुनावी हार होती है तो उसका ठीकरा सारे भाजपाई नरेन्द्र मोदी पर फोडऩे के प्रयत्न में लगे रहते हैं, जैसे अब ऊंट आया पहाड़ के नीचे। राहुल गांधी को कांग्रेस में जितनी स्वतंत्रता प्राप्त है उतनी मोदी को भाजपा में नहीं। जीत के मामले में नरेन्द्र मोदी अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण अडवाणी से ज्यादा सफल राजनेता साबित हुए हैं। लेकिन, अटल जैसा सम्मान मोदी को नहीं मिलता। पटना में वह बिना शत्रुघ्न सिन्हा के जीत गए। यूपी में जीत का पूरा श्रेय मोदी को ही जाता है।

- कांग्रेस मुक्त भारत, शहजादा दामाद, अब नहीं बोलते मोदी
पीएम बनने के बाद नरेन्द्र मोदी ने बोलने का अंदाज बदल दिया है। वह कांग्रेस मुक्त भारत की बात नहीं करते। शहजादा और दामाद जी जैसे शब्द भी वह नहीं बोलते। गुजरात के चुनाव में उन्होंने कभी सोनिया गांधी नहीं कहा, हमेशा सोनिया बने गांधी कहा।

- राहुल गांधी की छवि सुधरी है और वह मजबूत हुए हैं। नरेन्द्र मोदी बनाम राहुल गांधी की जब बात होती है तो इसका क्या असर पड़ेगा?
तय है कि राहुल गांधी की छवि जैसे पहले थी, वह अब काफी मजबूत हुई है। लेकिन, उनका कद नरेन्द्र मोदी के बराबर हो गया है, यह कहना गलत बात होगी।

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