प्रीति महापात्रा के राज्यसभा में पर्चा दाखिल करने से जोड़तोड़ और धनबल के बढ़े आसार

punjabkesari.in Tuesday, May 31, 2016 - 03:24 PM (IST)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश से राज्यसभा की 11 और राज्य विधान परिषद की 13 सीटों पर होने वाले चुनाव में एक-एक उम्मीदवारों के चुनाव मैदान में आ जाने से अब मतदान लगभग तय माना जा रहा है। इसके लिए जोड़-तोड़ के साथ धनबल का धड़ल्ले से इस्तेमाल होने के आसार बढ़ गए हैं। राज्यसभा के लिए आज भाजपा के शिव प्रताप शुक्ल और निर्दलीय उम्मीदवार प्रीति महापात्रा के नामांकन दाखिल करने के साथ ही उम्मीदवारों की संख्या 12 हो गई है जबकि रिक्त सीटें 11 हैं। किसी उम्मीदवार ने यदि अपना नामांकन पत्र वापस नहीं लिया तो राज्यसभा की रिक्त 11 सीटों पर मतदान तय है। इसी तरह विधान परिषद की रिक्त 13 सीटों के लिए 14 उम्मीदवारों ने पर्चा दाखिल कर दिया है। भाजपा के 2 उम्मीदवारों भूपेन्द्र चौधरी और दया शंकर सिंह के नामांकन के अंतिम दिन पर्चा दाखिल कर देने के साथ ही निर्धारित सीट से एक उम्मीदवार अधिक हो गया, इसलिए विधान परिषद की सदस्यता के लिए भी मतदान लगभग तय है। राज्यसभा और विधान परिषद के लिए कल नामाकंन पत्रों की जांच की जाएगी जबकि नाम वापसी की आखिरी तारीख 3 जून तय की गई है। राज्यसभा के लिए मतदान 11 जून को और विधान परिषद के लिए 10 जून को होगा। प्रीति महापात्रा गुजरात की रहने वाली हैं। इनका बड़ा कारोबार है। इनके अचानक नामांकन कर देने से राज्यसभा चुनाव के प्रति लोगों की दिलचस्पी काफी बढ़ गई है। इस चुनाव में विधानसभा के सदस्य मतदाता होते हैं। 
 
 
 भाजपा के पास कुल 41 मत हैं जबकि विधान परिषद की सदस्यता के लिए प्रथम वरीयता के 29 मत चाहिए। पार्टी एक उम्मीदवार को अपने बलबूते पर ही जिताने में सक्षम है, लेकिन दूसरे उम्मीदवार की जीत के लिए उसे 17 अतिरिक्त मतों की जरूरत होगी। पार्टी ने भूपेंद्र चौधरी को पहला और दयाशंकर चौधरी को दूसरा उम्मीदवार घोषित किया है। सिंह को इससे पहले 2014 में भी पार्टी ने विधान परिषद का चुनाव लड़ाया था, लेकिन 12 अतिरिक्त मत की ‘व्यवस्था’ कर लेने के बावजूद वह हार गए थे। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य का कहना है कि पार्टी ने 2 उम्मीदवार घोषित किए हैं, दोनों को बेहतर ढंग से चुनाव लड़ाया जाएगा। उन्होंने अतिरिक्त मतों की आवश्यकता तो स्वीकार की लेकिन दावा किया कि विधायकों की खरीद-फरोस्त नहीं की जाएगी। मौर्य ने कहा कि भाजपा खरीद फरोस्त की राजनीति नहीं करती, लेकिन वह यह नहीं बता पाए कि 17 अतिरिक्त मत कहां से लाएंगे। राज्यसभा के लिए प्रथम वरीयता के 34 और विधान परिषद के लिए 29 वोट पाना अनिवार्य होगा। विधानसभा के कुल सदस्यों 404 में से 403 वोट दे सकेंगे। मनोनीत एक सदस्य को मतदान का अधिकार नहीं है। 
 
 विधानसभा में सपा के 229, बहुजन समाज पार्टी(बसपा) के 80, भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) के 41, कांग्रेस के 29, राष्ट्रीय लोकदल(रालोद) के 8, पीस पार्टी 04, कौमी एकता दल 02, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी 01, अपना दल 01, इत्तेहादे मिल्लत कौंसिल 01, तृणमूल कांग्रेस 01 और 06 निर्दलीय सदस्य हैं। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश से राज्यसभा की 11 और राज्य विधान परिषद की 13 सीटों के लिए चुनाव होना है। राज्यसभा के लिए 11 जून और विधान परिषद के लिए 10 जून को मतदान होगा। इसके लिए अधिसूचना 24 मई को जारी की गई थी। सपा को सभी 8 उम्मीदवारों को विधान परिषद के चुनाव में जिताने के लिए 232 मतदाताओं की जरुरत होगी जबकि सपा सदस्यों की संख्या 229 है। ऐसे में 8वें उम्मीदवार को जिताने के लिए 3 वोट की और जरुरत होगी। इन 3 वोटों की आवश्यकता जोड़तोड़ से ही पूरी होगी। दूसरे दलों या निर्दलीय विधायकों की मदद लेनी ही पड़ेगी।  राज्यसभा चुनाव में सपा अपने 6 उम्मीदवारों को आसानी से जिता लेगी लेकिन 7वें उम्मीदवार के लिए उसे 9 अतिरिक्त मतों की जरुरत पड़ेगी। अब देखना है कि सपा अपने 7वें उम्मीदवार को जिताने के लिए 9 मतों की जरुरत कैसे पूरी करती है। इसके लिए उसे जोड़तोड़ तो करना ही पड़ेगा। राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष अजित सिंह से मुलायम सिंह यादव से हुई बातचीत के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि रालोद के कुल 8 मत सपा उम्मीदवार के पक्ष में पड़ सकते हैं।