1.47 लाख मनरेगा मजदूरों को दिया गया काम, होंगे मालामाल

punjabkesari.in Friday, Jun 19, 2020 - 03:53 PM (IST)

आजमगढ़ः कोरोना वायरस की वजह से ज्यादा मजदूर वर्ग के लोगों की नौकरी छूट गई है। यह सभी मजदूर बेरोजगार घर पर बैठे हुए हैं और खाने तक को नहीं है। ऐसे में सीएम योगी आदित्यनाथ के आदेश पर आजमगढ़ डीएम राजेश कुमार ने जिले के करीब 1.47 लाख लोगों को मनरेगा से जोड़ते हुए रोजगार उपलब्ध कराया। इससे जहां मजदूरों की बेरोजगारी समाप्त हुई। वहीं इनके घर उत्पन्न भूखमरी की समस्या भी समाप्त हो गई।

बता दें कि सरकार ग्रामीण क्षेत्र के बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से मनरेगा की शुरूआत की। शुरू में यह योजना खूब चली, लेकिन बीच में सरकारी कर्मचारियों, प्रधान, सेक्रेटरी आदि की मिली भगत से योजना पर ग्रहण लग गया। आलम यह रहा कि धोखाधड़ी के चलते मजदूरों का रूझान भी इससे हट गया। ज्यादातर मजदूर तबके के लोग अपना रूख शहरों की तरफ कर लिया, लेकिन कोरोना महामारी के चलते शहरों की ज्यादातर मील, कारखाने, बड़ी दुकान आदि बंद हो गया। जिससे लाचार मजदूरों को घर आकर बेकार में बैठ जाना पड़ा। इस बात को ध्यान में रखते हुए सरकार ने सभी मजदूरों को रोजगार से जोड़ने पर बल दिया।

जिलाधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि जनपद में एक लाख 47 हजार मजदूर मनरेगा के तहत कार्य कर रहे हैं, जिनमे प्रवासी श्रमिकों की संख्या 35224 हैं। जिलाधिकारी ने आगे बताया कि 15 जून तक 16 .35 मानक दिवस सृजन करने का वार्षिक लक्ष्य था। जिसके सापेक्ष 15 जून तक 25 .31 मानव दिवस रोजगार सृजित किया गया जो लक्ष्य के सापेक्ष 155 प्रतिशत है।

अपने ही गांव में रोजगार पाकर मजदूरों के चेहरे खिल गए है। सरकार की मनरेगा योजना के जरिए मजदूरों को रोजगार मिलने से जहां उनकी अच्छीखासी कमाई के साथ आर्थिक तंगी दूर हुई। वहीं गांव में ही काम मिल जाने से मजदूरों के भी चेहरे खिल उठे। प्रवासी मजदूरों ने बताया कि पंचायत सेकेट्री व प्रधान द्वारा हम लोगों के 14 दिन क्वारर्टीन रहने के बाद जॉब कार्ड बनाकर गांव में ही काम दिया गया, इसके लिए हम सरकार को धन्यवाद देते हैं।

बता दें कि वैश्विक महामारी के दौरान विभिन्न राज्यों से आए प्रवासी मजदूरों और गांव में ही नए रोजगार के उद्देश्य मनरेगा योजना वरदान साबित हो रही है। आजमगढ़ जनपद में अब तक बाहर से आए 1.47 लाख मजदूरों को रोजगार दिया जा चुका है।

Tamanna Bhardwaj