बिकरू कांड की जांच रिपोर्ट में DIG अनंतदेव समेत 12 पुलिसकर्मी दोषी, मामले से जुड़ी 21 फाइलें गायब

punjabkesari.in Thursday, Sep 02, 2021 - 01:36 PM (IST)

कानपुर/ लखनऊ: चर्चित बिकरू कांड (Bikru case) की न्यायिक जांच पूरी हो गई है, न्यायिक आयोग (Judicial Commission) की 132 पन्नों की जांच रिपोर्ट (Investigation Report) में चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई हैं। आयोग ने बिकरू कांड के लिए निलंबित डीआइजी अनंत देव (DIG Anant Dev) के अलावा शहीद सीओ (CO) को भी दोषी माना है। ​तत्कालीन DIG अनंतदेव समेत 12 डिप्टी एसपी दोषी पाए गए हैं। इसमें अनंतदेव ने ये भी कबूल कर लिया है कि वे विकास दुबे (Vikas dubey) के खजांची जय बाजपेई (cashier jai bajpai) को जानते थे। आरोप है कि जय बाजपेई ने ही विकास तक रुपए और असलहा पहुंचाने में मदद की थी। हालांकि, अनंतदेव ने विकास दुबे से सीधे पहचान होने से इंकार कर दिया। 

बिकरू कांड की जांच में डीआईजी अनंत देव सहित 13 पुलिसकर्मी दोषी
बता दें कि इससे पहले भी एसआईटी (SIT) की जांच में पुलिस विभाग के अफसरों की विकास दुबे से मिलीभगत और लापरवाही का जिक्र किया गया है। वहीं पूर्व जस्टिस डॉ बीएस चौहान की अध्यक्षता में बने न्यायिक आयोग ने डीआईजी अनंत देव सहित 13 राजपत्रित पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराया है। आयोग ने अपनी जांच में डीआईजी अनंत देव, डीएसपी सूक्ष्म प्रकाश, आरके चतुर्वेदी, करुणा शंकर राय, पासपोर्ट नोडल अफसर अमित कुमार, नंदलाल प्रताप, हरेंद्र कुमार, सुंदरलाल,  प्रेम प्रकाश, रामप्रकाश, सुभाष चंद्र और लक्ष्मी निवास दोषी पाया है।

कर्मचारियों ने विकास दुबे को सहयोग देते रहे- न्यायिक आयोग
आयोग ने जांच में ये कहा है कि इन अधिकारियों और कर्मचारियों ने विकास दुबे के साथ नरमी बरती। उसे सहयोग देते रहे। आयोग की जांच में ये भी सामने आया कि विकास दुबे पर दर्ज केसों में से 21 केसों की फाइलें लापता है। इनमें से 11 फाइलें कानपुर देहात के शिवली थाने की है, 4 फाइलें कानपुर के कल्याणपुर थाने की, 5 चौबेपुर की और 1 बिल्हौर की फाइल शामिल है। इन 21 फाइलों में विकास पर 1991 में दर्ज किए गए पहले मुकदमे की फाइल भी शामिल है। 

'अफसरों के इन कृत्यों से पुलिस विभाग की छवि धूमिल'
जांच रिपोर्ट में न्यायिक आयोग ने लिखा है कि अफसरों के इन कृत्यों से पुलिस विभाग की छवि धूमिल हुई है। वहीं, शासन की विश्वसनीयता प्रभावित हुई है। इसीलिए सभी पर अखिल भारतीय सेवाएं आचरण सेवा नियमावली-1968 और उत्तर प्रदेश सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली 1956 के तहत कार्रवाई की संस्तुति की गई है।

बिकरू कांड में 34 आरोपियों पर पुलिस ने की गैंगस्टर की कार्रवाई 
बिकाऊ कांड की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग की रिपोर्ट को हाल ही में विधानसभा में रखा गया। बिकरू कांड में 34 आरोपियों पर पुलिस ने गैंगस्टर की कार्रवाई की है। अब इन सभी संपत्ति जब्त की जाएगी। एडीजी जोन ने सभी आरोपियों की संपत्ति की डिटेल जुटाने के लिए 10 दिन का वक्त दिया है।

जानिए क्या है पूरा मामला? 
गौरतलब है कि दो और तीन जुलाई के बीच की रात को कानपुर में विकास दुबे और उसके गैंग के साथ मुठभेड़ में आठ पुलिसकर्मियों की मृत्यु हो गई। इसमें एक पुलिस उपाधीक्षक भी शामिल थे। इस मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस ने चार जुलाई को चौबेपुर थाने के प्रभारी को निलंबित कर दिया। इसी दिन अधिकारियों की टीम ने गांव में पहुंचकर गैंगस्टर के घर को ढहाना शुरू कर दिया। पुलिस ने दुबे के साथी दया शंकर अग्निहोत्री को कल्याणपुर(कानपुर) से गिरफ्तार कर लिया। अग्निहोत्री को मुठभेड़ के बाद पांच जुलाई को तड़के गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने अग्निहोत्री के पैर में गोली मारी थी। उस पर 25 हजार रुपए का इनाम था। 

छह जुलाई को उत्तर प्रदेश पुलिस के तीन कर्मियों को निलंबित कर दिया गया। इन पर कानपुर मुठभेड़ के मुख्य आरोपी विकास दुबे को आगाह करने का आरोप था। उत्तर प्रदेश सरकार ने सात जुलाई को राज्य एसटीएफ के डीआईजी अनंत देव को पद से हटा दिया। मारे गए डीएसपी देवेंद्र मिश्रा द्वारा उन्हें कथित रूप से एक पत्र लिखा गया था, जिसमें गैंगस्टर विकास दुबे और चौबेपुर थाने के निलंबित प्रभारी के बीच कथित संबंधों की बात की गई थी। सात जुलाई को ही देर शाम चौबेपुर थाने के सभी 68 कर्मियों का जिला पुलिस लाइन में तबादला कर दिया गया। 

फरीदाबाद (हरियाणा) में आठ जुलाई को विकास दुबे के तीन गुर्गों को गिरफ्तार किया गया। यूपी एसटीएफ व स्थानीय क्राइम ब्रांच टीम के संयुक्त ऑपरेशन में ये गिरफ्तारियां की गईं। एक अधिकारी ने कहा कि दुबे भी फरीदाबाद में था उसने एक होटल में कमरा लेने की कोशिश की थी, जिसका सीटीटीवी फुटेज वायरल हो गया। जब तक स्थानीय पुलिस छापेमारी करती तब तक वह फरार हो गया। नौ जुलाई को उत्तर प्रदेश में अलग-अलग मुठभेड़ों में विकास दुबे के दो गुर्गों को ढेर कर दिया गया। ये दोनों कानुपर में आठ पुलिसकर्मियों के मारे जाने के मामले में वांछित थे। कार्तिकेय उर्फ प्रभात कानपुर में उस वक्त मारा गया, जब वह पुलिस हिरासत से भागने की कोशिश कर रहा था। वहीं विकास दुबे के गैंग का एक और सदस्य प्रवीण उर्फ बौवा दुबे इटावा में मुठभेड़ में मारा गया। 

उत्तर प्रदेश के कानपुर में बरर क्षेत्र में पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने आठ पुलिस कर्मियों की हत्या के मुख्य आरोपी विकास दुबे को मार गिराया। पुलिस सूत्रों ने बताया कि उज्जैन से कानपुर ला रही पुलिस का वाहन बरर क्षेत्र के अंतर्गत कानपुर भौंती मार्ग में पलट गया। हादसे के बाद भाग रहे विकास की पुलिस की गोली लगने से मृत्यु हो गई।      


 

Content Writer

Tamanna Bhardwaj