UP में मिले गुप्तकालीन मंदिर के 1500 साल पुराने अवशेष, तस्वीरों में देखिए प्राचीन काल की झलक

punjabkesari.in Saturday, Sep 11, 2021 - 03:06 PM (IST)

एटा: यूपी के एटा (Etah) के प्राचीन बिल्सढ़ कस्बे में पुरातत्व विभाग (Archaeological Department) द्वारा की गई खुदाई में गुप्त कालीन मंदिर (Gupta period temple) के अवशेष मिले हैं। पुरातत्व विभाग (ASI) की खुदाई में गुप्त कालीन मंदिर की चार सीढ़ियां (stairs), खंभे (pillars) और चबूतरा (platform) मिलने और गेट पर बने दो खंभे मिलें हैं, जिनपर मानव आकृति बनी हुई है। इसके अतिरिक्त शंख लिपि (conch script) में लिखा एक शिलालेख (inscription) भी मिला है। बताया जा रहा है कि ये अवशेष और शिलालेख पांचवी शताब्दी (fifth century) के आस पास का है।

पुरातत्व विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इन अवशेषों को संरक्षित कर विकसित किया जाएगा, जिससे गुप्त कालीन सभ्यता और इतिहास के बारे में पता चल सके। इन अति प्राचीन अवशेषों को गुप्त वंश के शाशक कुमार गुप्त के समय काल का होना बताया जा रहा है। खुदाई में मिले अवशेषों पर एएसआई के अधिकारियों का मानना है कि ये अवशेष गुप्त कालीन मंदिर के निशान हैं।

देवी मां के मंदिर की जमीन के नीचे गड़े हैं हीरे, जवाहरात! 
बताया जाता है कि ये सीढ़ियां बगल के हरिनंदन दीक्षित के मकान के अंदर बने एक अति प्राचीन मंदिर की ओर जातीं हैं। इसमें एक पुरानी मठिया भी बनी है, जिसमें ताला पड़ा रहता हैं। बताया जाता हैं कि पूर्व में यहां की अंग्रेजों ने भी खुदाई की थी और उसके बाद भी खुदाई हुई पर जो खुदाई करता है वो मर जाता है। बताया जाता है कि इस देवी मां के मंदिर के अंदर जमीन के नीचे हीरे, जवाहरात का खजाना गड़ा है।

प्राचीन मंदिर बनवाने के पीछे ये है कहानी 
बिल्सढ़ बहुत प्राचीन नगर है और यहां प्राचीन मंदिर हैं। इतिहास के जानकार बताते हैं कि कन्नौज के राजा हार्य सिंह और वीर सिंह उस समय यहां एटा जनपद में आकर बस गए थे और उन्होंने ने ही एटा का ये अति प्राचीन नगर बिल्सढ़( बिरियागढ़) को बसाया था। हरि सिंह, वीर सिंह, सातन नाम के तीन भाई थे जिनमें हरि सिंह के कोई संतान नही थी। बीर सिंह का बेटा राजा राम चन्द्र था। जिसने यहां के ब्राह्मण पूरणमल को हांथी से कुचलवाकर मरवा दिया था, ऐसा इसलिए करवाया था क्योंकि बताया जाता है कि राजा के हांथी की जंजीर पर पूरणमल ने पैर रख दिया था जिससे उनका हाथी रुक गया था। बाद में पूरण मल ने प्रेत योनि में जाकर राजा को बिल्सढ़ से उजाड़ दिया था, जिससे राजा को एटा जनपद के राजा का रामपुर में जाकर बसना पड़ा था और यहां उनको ब्रह्न हत्या के प्रयाश्चित के तौर पर 5 देवी मां के मंदिर बनवाने पड़े थे, जो कि आज भी मौजूद हैं।

मंदिर में जो खुदाई करने का प्रयास करता है उसकी मौत हो जाती है- ग्रामीण
गांव वाले बताते हैं कि जहां ये गुप्त कालीन अवशेष मिले हैं वहां आल्हा ऊदल की लड़ाई भी हुई थी। बताया जाता है कि बाबा पूरणमल का मंदिर भी बिल्सढ़ में बना है और उसमे भी खजाना छिपा हुआ है परंतु जो भी इसकी खुदाई करने का प्रयास करता है उसकी मौत हो जाती है।

फिलहाल बिल्सढ़ में पाए गए गुप्त कालीन अवशेषों के बारे में पुरातत्व विभाग के अधीक्षण पुरात्तव विद बसंत कुमार का कहना है कि इन गुप्त कालीन अवशेषों को सुरक्षित एवम सनरक्षित किया जाएगा, जिससे यहां आने वाले पर्यटक और इतिहासकार गुप्त वंश के बारे में जान सकें।

यही नहीं एटा के इस बिल्सढ़ कस्बे में गुप्त काल के शाशकों की वंशावली भी मिलती हैं। ये बिल्सढ़ नगर पूरा एक टीले पर बसा है और यहां की कुछ साइट पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित भी है। यहां मिले गुप्तकालीन अवशेषों से यहां गुप्त कालीन समय मे बनाये गए मंदिर होने की भी पुष्टि होती है। इस पर पुरातत्व विभाग काम कर रहा है।

बिल्सढ़ के प्रधान चंद्र शेखर पांडेय कहते हैं कि ए एस आई द्वारा की गई खुदाई में हमारे गांव मे 5वी शताब्दी के गुप्त कालीन अवशेष प्राप्त हो रहे है जो हमारी प्राचीन सांस्कृतिक विरासत है। सरकार को चाहिए कि हमारी इस संस्कृति को पूर्ण रूप से संरक्षित करके गुप्त कालीन इतिहास की स्टडी करवाये।

गांव के ही रहने वाले बुजुर्ग राम खिलाड़ी पांडेय बताते हैं कि बिल्सढ़ के तीन राजा थे हरि सिंह, वीर सिंह और सातन राजा। और ये तीन गाँव मे राज करते थे। यहां आल्हा ऊदल की 3 महीने 13 दिन तक लड़ाई भी हुई थी।

रामचंद्र राजा ने यहां के ब्राह्मण बाबा पूरणमल को मरवा दिया था। यहाँ जहां गुप्त कालीन अवशेष मिले हैं, वहां हरिनंदन दीक्षित के मकान में स्थित देवी के मंदिर में 60 मन का सोने का छत्र है,पता नशी जमीन के अंदर कहाँ छिपा है।अंग्रेजों ने भी इसकी खुदाई की थी और मर कर चले गए अब ये लोग ( पुरातत्व विभाग)आए हैं खुदाई करने।

बिल्सढ़ के ही रहने वाले रामबाबू  पांडेय बताते हैं कि यहाँ के राजाओं के बारे में एक कहावत आल्हा में बड़ी मशहूर है कि "हिर सिंह, विर सिंह बिरियागढ़ के साढ़े सात हांथ के ज्वान" वे बताते हैं कि यहाँ खुदाई में जो सीढ़ियां खंभे और चबूतरा मिला है, वहाँ सीढ़ियों से आगे की तरफ हरिनंदन पंडित जी का मकान है। उसमें कोठरी में एक देवी माँ का मंदिर है जिसमे 60 मन का सोने का छत्र और दो कलसे हैं। उसी मंदिर की तरफ ये सीढ़िया जातीं हैं।

Content Writer

Tamanna Bhardwaj