High Court ने PWD में नियम विरुद्ध पदोन्नति को किया निरस्त, लोक निर्माण विभाग के 200 अभियंता किए जायेंगे Demote

punjabkesari.in Friday, Jun 02, 2023 - 06:08 PM (IST)

लखनऊः लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) में तीन चरणों में अभियंताओं की नियम विरुद्ध पदोन्नति को उच्च न्यायालय ने निरस्त कर दिया। न्यायालय के इस फैसले के बाद लोक निर्माण विभाग के 200 अभियंताओं को पदावनत (डिमोट) किया जाएगा। इनके पास सहायक अभियंता और अधिशासी अभियंता का दायित्व है। डिग्री-डिप्लोमा विवाद के चलते जब यह मामला उच्च न्यायालय पहुंचा तो न्यायालय ने इससे संबंधित सभी 40 याचिकाओं में डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ के पक्ष में फैसला दिया।



पदोन्नति कोटे में रिक्तियों के आगणन में गंभीर त्रुटियां
संघ के पदाधिकारियों ने इस संबंध में संयुक्त रूप से बताया कि मामला 2008 में शुरू हुआ था। उस दौरान संघ द्वारा पदोन्नति कोटे में रिक्तियों के आगणन में गंभीर त्रुटियों की जानकारी देते हुए इसमें सुधार कर रिक्तियों का आकलन करने का आग्रह किया गया था। इसके बावजूद भी इनमें सुधार न करके दो अगस्त 2008 में 95 अवर अभियंताओं की पदोन्नति कर दी गई। इसके उपरांत इसी तरह गलत गणना के आधार पर 3 जुलाई 2009 को 27 और 5 फरवरी 2010 को 78 अभियंताओं को गलत गणना के अनुसार पदोन्नति कर दिया गया। जबकि संघ द्वारा लगातार प्रमुख अभियंता, प्रमुख सचिव लोक निर्माण विभाग को तथ्यात्मक तर्क देकर यह बताया गया कि चयन वर्ष के प्रथम दिवस एक जुलाई को कार्यरत संख्या को स्वीकृत पद से घटाकर रिक्त पद निकाली जानी चाहिए। चयन वर्ष के दौरान सेवानिवृत्त, त्यागपत्र से रिक्त होने वाले पदों को भी रिक्तियों में शमिल किया जाना चाहिए।



संघ के अध्यक्ष इंजीनियर एनडी द्विवेदी ने कहा- सभी पदावनत होंगे
संघ के अध्यक्ष इंजीनियर एनडी द्विवेदी ने बताया कि उच्च न्यायालय द्वारा पदोन्नति के परिप्रेक्ष्य में डिग्री-डिप्लोमा विवाद के लिए 40 रिट याचिका के बेंच की सुनवाई के लिए नामित विशेष बेंच द्वारा लगभग एक माह नियमित सुनवाई के उपरांत सुरक्षित निर्णय को डिप्लोमा इंजीनियर संघ के पक्ष में पारित किया गया। यह सभी पदावनत होंगे। इसी प्रकार सहायक अभियंता पद पर 3 जुलाई 2009 को की गई 27 नियम विरुद्ध प्रोन्नति को भी निरस्त कर दिया है। न्यायालय ने अपने आदेश में 5 फरवरी 2010 को 78 पदों पर की गई डीपीसी को भी निरस्त कर दिया है।

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Ajay kumar