6 दिन में यूं खत्म हुई 23 साल पुरानी सपा-बसपा की दुश्मनी, अब बढ़ सकती हैं भाजपा की मुश्किलें

punjabkesari.in Monday, Mar 05, 2018 - 01:17 PM (IST)

लखनऊः बसपा अध्यक्ष मायावती ने रविवार उत्तर प्रदेश की गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में सपा से गठबंधन की खबरों को गलत बताया। मगर राज्यसभा और प्रदेश विधान परिषद के आगामी चुनावों में सपा और कांग्रेस के साथ ‘सहयोग’ के दरवाजे खोल दिए। इस सहयोग से एक बात तो साबित हो गई है कि इन 2 बड़ी पार्टियों के बीच 23 साल से चली आ रही दुश्मनी खत्म हो गई है। हालांकि सपा बसपा की खत्म हुई तकरार के बाद भाजपा की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। 

फैसला लेने के लिए 6 दिनों तक हुई बैठकें
खबरों की मानें तो इतना बड़ा फैसला एेसे ही नहीं हुआ है। यह फैसला लेने के लिए 6 दिनों तक दोनों ही दलों के शीर्ष नेतृत्व और जमीनी कार्यकर्ताओं के बीच व्यापक बातचीत हुई। एसपी के एक वरिष्ठ नेता ने  बताया कि इसकी शुरुआत 27 फरवरी को उस समय हुई, जब पार्टी के वरिष्ठ रणनीतिकार राम गोपाल यादव ने यह मुद्दा बीएसपी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा से उठाया। उन्होंने बताया कि दोनों ही पक्षों ने गठजोड़ की संभावनाओं पर चर्चा की। 

बातचीत के बाद समर्थन पर जताई सहमति
बीएसपी प्रमुख मायावती और एसपी चीफ अखिलेश यादव से हरी झंडी मिलने के बाद अगले दौर की बातचीत में समर्थन की विस्तृत शर्तों पर बातचीत हुई। दूसरे दौर की बातचीत में दोनों ही पक्षों ने आगामी राज्यसभा चुनाव और विधान परिषद चुनाव में एक-दूसरे के समर्थन पर सहमति जताई। यह फैसला लिया गया कि एसपी राज्यसभा चुनाव में बीएसपी का समर्थन करेगी, बीएसपी विधान परिषद चुनाव में समाजवादी उम्मीदवारों को अपना समर्थन देगी। 

अखिलेश ने 2017 में ही गठबंधन की जताई थी इच्छा
बताते चले कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने वर्ष 2017 में ही सार्वजनिक तौर पर बसपा से हाथ मिलाने की इच्छा जताई थी। इसके बाद बाजी बीएसपी सुप्रीमो मायावती के पाले में थी। बीएसपी खेमे में यह मुद्दा 1 मार्च को पार्टी के क्षेत्रीय कोऑर्डिनेटरों की मायावती के साथ बैठक में उठा। इस बैठक में मायावती ने सपा के साथ गठजोड़ पर जमीनी कार्यकर्ताओं से प्रतिक्रिया लेने के लिए कहा। 

सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलने पर मायावती ने की समर्थन की घोषणा  
वहीं सपा अध्यक्ष अखिलेश ने भी अपने खास एमएलसी उदयवीर सिंह को जमीनी स्तर पर पार्टी कार्यकर्ताओं से प्रतिक्रिया लेने के लिए कहा। इसके बाद दोनों पक्षों के बीच गोरखपुर और फूलपुर में कई बैठकें हुईं, जो शनिवार शाम तक चलती रहीं। जमीनी कार्यकर्ताओं से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलने के बाद मायावती ने समर्थन की घोषणा की।