कंधे पर 3 स्टार, दमदार रुतबा और संवेदनशील दिल... कांवड़ियों के पैर दबाकर जीता दिल, जानिए ''लेडी सिंघम'' DSP ऋषिका सिंह की कहानी

punjabkesari.in Friday, Jul 18, 2025 - 10:10 PM (IST)

Muzaffarnagar News: उत्तर प्रदेश पुलिस की एक महिला अधिकारी इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही हैं। चेहरे पर सख्ती, कंधे पर तीन सितारे और दिल में सेवा का जज्बा रखने वाली सीओ (DSP) ऋषिका सिंह, मुजफ्फरनगर में कांवड़ यात्रा के दौरान न सिर्फ कानून व्यवस्था संभाल रही हैं, बल्कि थके हारे कांवड़ियों की सेवा भी कर रही हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीरों में ऋषिका सिंह कुछ महिला कांवड़ियों के पैर दबाते हुए नजर आईं। यह दृश्य लोगों के दिलों को छू गया, क्योंकि वर्दी में भी मानवीयता की यह झलक कम ही देखने को मिलती है।
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कौन हैं DSP ऋषिका सिंह?
ऋषिका सिंह मूल रूप से लखनऊ की रहने वाली हैं। वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान हैं। बचपन से ही प्रशासनिक सेवा में जाने का सपना देखा और तमाम संघर्षों के बाद 2022 में उन्हें पीसीएस में सफलता मिली। उन्हें 80वीं रैंक मिली और वे डिप्टी एसपी बनीं।
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दिल्ली यूनिवर्सिटी से बीकॉम ऑनर्स की पढ़ाई
ऋषिका ने लखनऊ से 12वीं के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी के दौलतराम कॉलेज से बीकॉम ऑनर्स किया। पढ़ाई के दौरान उनकी मां भी दिल्ली में उनके साथ रहीं। शुरुआत में वह MBA करना चाहती थीं और CAT की तैयारी भी शुरू की, लेकिन जल्द ही महसूस हुआ कि उनका असली लक्ष्य सिविल सेवा है।

UPSC में लगातार असफलताएं, लेकिन हिम्मत नहीं हारी
ऋषिका ने 2019 से 2021 तक तीन बार UPSC का प्रयास किया। एक बार भी फाइनल लिस्ट में जगह नहीं बना पाईं। दो बार इंटरव्यू तक पहुंचीं, लेकिन सेलेक्शन नहीं हुआ। बार-बार की असफलताओं से मानसिक तनाव तक पहुंच गईं और दिल्ली छोड़कर लखनऊ लौट आईं। लेकिन इस बार उन्होंने ठान लिया था – हार नहीं माननी।

2022 में PCS क्लियर, बनीं DSP
लखनऊ लौटने के बाद ऋषिका ने PCS पर फोकस किया। 14-14 घंटे की पढ़ाई, आत्मअनुशासन और दृढ़ निश्चय ने उन्हें 2022 की PCS परीक्षा में सफलता दिलाई। कोचिंग के शिक्षक ने जब उन्हें फोन कर बताया कि वे डिप्टी एसपी बन गई हैं, तो उनके माता-पिता की आंखों में गर्व के आंसू थे।

वर्दी में संवेदनशीलता की मिसाल
मुजफ्फरनगर में उनकी पहली पोस्टिंग है। यहां वे न सिर्फ पुलिसिंग कर रही हैं, बल्कि महिला और बाल कांवड़ियों की मदद भी कर रही हैं। कुर्सी पर बैठकर महिला कांवड़ियों के पैर दबाते हुए उनकी तस्वीर ने देशभर में तारीफें बटोरीं। ऋषिका सिंह की कहानी सिर्फ वर्दी की नहीं, जज्बे की भी है – जहां अनुशासन के साथ सेवा और करुणा भी शामिल है।


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Content Editor

Mamta Yadav

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