Loksabha Election 2019: एक नजर गोरखपुर लोकसभा सीट पर
punjabkesari.in Wednesday, May 15, 2019 - 12:50 PM (IST)
गोरखपुरः उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों पर 7 चरणों में चुनाव हो रहे हैं। पहले चरण के अंतर्गत 8 और दूसरे चरण के अंतर्गत 8, तीसरे चरण के अंतर्गत 10, चौथे चरण में 13 और 5वें चरण में 14 और छठे चरण में 14 लोकसभा सीटों पर मतदान हो चुके हैं। वहीं 7वें और अंतिम चरण में वाराणसी, महराजगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, बांसगांव, घोसी, सलेमपुर, बलिया, गाजीपुर, चंदौली, मिर्जापुर और राबर्ट्सगंज में 19 मई को मतदान होना है। इस खबर में हम आपको गोरखपुर सीट के बारे में बताने जा रहे हैं।
गोरखपुर लोकसभा सीट का राजनीतिक इतिहास
यूपी की राजनीति में गोरखपुर सीट का अपना अलग ही इतिहास है। पिछले तीन दशकों से इस सीट पर बीजेपी का ही कब्जा है, लेकिन 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव के बाद जब योगी आदित्यनाथ देश के सबसे बड़े सूबे के सीएम बने तब यह तिलस्म टूट गया। 2018 में हुए उपचुनाव में यहां से सपा-बसपा ने गठबंधन किया और सपा प्रत्याशी प्रवीण निषाद ने इस सीट पर योगी आदित्यनाथ के तिलस्म को तोड़ते हुए जीत हासिल की। इस हार से बीजेपी को गहरा झटका लगा क्योंकि बीजेपी और योगी खुद पूरी तरह इस सीट पर जीत को लेकर आश्वस्त थे।
यह सीट कई मायनों में अहम है। यहां विश्व प्रसिद्ध गीता प्रेस, गुरु गोरखनाथ मंदिर, गीता वाटिका, टेराकोटा शिल्प मौजूद हैं, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं। साथ ही साहित्य, संगीत और शायरी से जुड़े मुंशी प्रेमचंद की कर्मस्थली, फिराक गोरखपुरी, पं: रामप्रसाद बिस्मिल की शहादत स्थली भी है। 1998 से लेकर 2017 तक गोरखनाथ मठ यहां की राजनीतिक धुरी बनी हुई थी और इसी मठ के सदस्य यहां के लोकसभा का प्रतिनिधित्व करते आ रहे हैं।
बात करें इस सीट के राजनितिक इतिहास की तो अब तक यहां पर 18 बार लोकसभा के चुनाव और उपचुनाव हुए हैं। जिनमें सबसे ज्यादा 7 बार बीजेपी ने चुनाव जीता है। 5 बार कांग्रेस ने चुनाव जीता है। दो बार निर्दलीय, एक बार हिंदू महासभा, एक बार भारतीय लोकदल और एक बार सपा को जीत मिली है। पहली बार इस सीट पर हुए चुनाव में कांग्रेस के सिंहासन सिंह चुनाव जीते। सिंहासन सिंह 1957 और 1962 के चुनाव में भी कांग्रेस से सांसद बने, लेकिन 1967 के चुनाव में डीवी नाथ ने इस सीट से निर्दलीय चुनाव जीता। 1971 के चुनाव में कांग्रेस के नर सिंह नारायण यहां से सांसद बने। 1977 के चुनाव में भारतीय लोकदल के हरिकेश बहादुर यहां से सांसद बने। 1980 के चुनाव में हरिकेश कांग्रेस में शामिल हो गए और यहां से सांसद बने। 1984 के चुनाव में कांग्रेस के मदन पांडेय यहां से चुनाव जीता। 1989 के चुनाव में महंत अवैद्यनाथ हिंदू महासभा के टिकट पर यहां से चुनाव जीते। 1991 के चुनाव में अवैद्यनाथ बीजेपी प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े और बीजेपी का खाता इस सीट पर खोला।
1996 के चुनाव में भी अवैद्यनाथ ही यहां से बीजेपी के सांसद बने। 1998 के चुनाव में इस सीट पर योगी आदित्यनाथ की एंट्री हुई और पहली बार योगी इस सीट से सांसद बने। योगी ने 1998 से लेकर 2014 तक लगातार हर लोकसभा चुनाव को यहां से जीता, लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में योगी जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तब यहां उपचुनाव हुए और सपा-बसपा ने गठबंधन कर चुनाव लड़ा। सपा प्रत्याशी प्रवीण निषाद ने दशकों बाद यहां से किसी दूसरे दल का झंडा लहराया। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हर हाल में ये सीट जीत कर अपनी नाक बचानी है, इसलिए बहुत ही ढूंढने के बाद भोजपुरी कलाकार रविकिशन शुक्ला को चुनावी मैदान में उतार दिया। रविकिशन भी जीत को लेकर आश्वस्त नजर आ रहे हैं, लेकिन सपा से राम भुआल निषाद और कांग्रेस से मधुसूदन तिवारी रविकिशन को कड़ी टक्कर देते नजर आ रहे हैं।
गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र
गोरखपुर लोकसभा सीट के तहत 5 विधानसभा सीट आती हैं। इनमें कैंपियरगंज, पिपराइच, गोरखपुर नगरीय, गोरखपुर ग्रामीण और सहजनवां सीट शामिल है। 2017 के विधानसभा चुनाव में सभी की सभी 5 सीटें बीजेपी ने जीती थी। इस लोकसभा क्षेत्र में हर चुनाव में लगभग बीजेपी का ही कब्जा रहता है। दूसरे दल यहां जीत को तरसते हैं।
एक नजर 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के आंकड़ों पर
2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में गोरखपुर सीट पर कुल 19,54,081 अपने मत का प्रयोग करेंगे। जिनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 10,70,242 है। जबकि महिला वोटरों की संख्या 8,83,677 है। वहीं ट्रांस जेंडर वोटरों की संख्या 162 है।
एक नजर 2017 लोकसभा उपचुनाव के नतीजों पर
2017 में जब उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हुए तब बीजेपी प्रचंड लहर से विधानसभा चुनाव जीत गई और एक ऐसे चेहरे की तलाश शुरू हुई जिसपर सभी एक मत से मुख्यमंत्री के लिए सहमत हों। पार्टी की तलाश योगी आदित्यनाथ पर जाकर खत्म हुई। योगी ने लोकसभा से इस्तीफा दे दिया तब 2018 में सूबे में तीन सीटों पर उपचुनाव हुए। यहां हुए उपचुनाव में बीजेपी ने योगी के खास उपेंद्रदत्त को और सपा ने प्रवीण निषाद को चुनावी मैदान में उतारा। प्रवीण ने बीजेपी के उपेंद्र दत्त को करारी शिकस्त देकर बीजेपी के रथ को रोक दिया। निषाद को उपचुनाव में कुल 4,56.513 वोट मिले थे। जबकि उपेंद्र दत्त को कुल 4,34,625 वोट मिले। उपेंद्र 21,881 वोटों से चुनाव हार गए।
एक नजर 2014 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर
2014 के लोकसभा चुनाव में योगी आदित्यनाथ ने इस सीट पर 5वीं बार चुनाव जीता था। योगी को 2014 के लोकसभा चुनाव में कुल 5,39,127 वोट मिले थे। दूसरे नंबर पर सपा के राजमति निषाद रहे। राजमति को कुल 2,26,344 वोट मिले। तीसरे नंबर पर बसपा के रामभुआल निषाद रहे। उन्हें 1,76,412 वोट मिले।
लोकसभा चुनाव 2009 के नतीजे
बात करें 2009 के लोकसभा चुनाव की तो यहां से योगी आदित्यनाथ चुनाव जीते। इस चुनाव में योगी को कुल 4,3,156 वोट मिले थे। दूसरे नंबर पर बसपा के विनय शंकर तिवारी रहे। विनय शंकर को कुल 1,82,882 वोट मिले। तीसरे नंबर पर सपा से भोजपुरी गायक मनोज तिवारी मृदुल चुनाव रहे। मनोज तिवारी को कुल 83,59 वोट मिले।
लोकसभा चुनाव 2004 के नतीजे
2004 के लोकसभा चुनाव बीजेपी के योगी आदित्यनाथ ही यहां से सांसद बने। योगी को कुल 3,53,647 वोट मिले। जबकि दूसरे नंबर पर सपा के जमुना निषाद रहे। जमुना को कुल 2,11,608 वोट मिले। तीसरे नंबर पर बसपा के प्रदीप कुमार निषाद रहे। उन्हें कुल 70,449 वोट मिले।