एक एेसी सीट, जहां से बीजेपी और कांग्रेस नहीं खड़ा कर पाई अपना उम्मीदवार

punjabkesari.in Tuesday, Feb 28, 2017 - 12:12 PM (IST)

बलियाः उत्तर प्रदेश का एक एेसा विधानसभा क्षेत्र भी है जो कि पहली बार बीजेपी और कांग्रेस के उम्मीदवारों से वंचित रह गया। इसकी वजह बीजेपी-भासपा (भारतीय समाज पार्टी) का अलायंस है। इस अलायंस के चलते बीजेपी की सीट राजभरों की पार्टी भासपा के खाते में चली गई है। वहीं, कांग्रेस की सीट सपा के खाते में गई है। बता दें, यूपी के छठें फेज के ल‍िए 7 जिलों की 49 सीटों पर 4 मार्च को वोट‍िंग होनी है। इसमें बलिया भी शामिल है।

बीजेपी ने भासपा से अलांयस के चलते छोड़ी यह सीट
बलिया की बांसडीह सीट पर 2012 के चुनाव में दूसरे स्थान पर रहीं बीजेपी की कैंडिडेट इस बार निर्दलीय ही चुनाव मैदान में हैं। ऐसे में यह मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है। दरअसल, पूर्वांचल के जातीय समीकरण को देखते हुए बीजेपी ने राजभरों की क्षेत्रीय पार्टी भासपा से अलायंस किया और बांसडीह विधानसभा क्षेत्र में उनके कैंडिडेट चुनाव मैदान में उतरे है। भासपा के कैंडिडेट भासपा के ही राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर हैं, जो इस इलाके के नहीं हैं और वो पहली बार चुनाव मैदान में हैं। इस वजह से पहचान की एक चुनौती उनके सामने है।

बीजेपी के लिए आसान नहीं था यह फैंसला
ऐसा माना जा रहा है कि बीजेपी अलायंस के लिए यह रास्ता इतना आसान नहीं है, क्योंकि यहां 2012 में बीजेपी की कैंडिडेट रहीं केतकी सिंह पार्टी के टिकट की प्रबल दावेदार थीं। लेकिन सीट अलायंस में भासपा के खाते में जाने के बाद वो निर्दलीय कैंडिडेट के तौर पर चुनाव मैदान में हैं। कहा जा रहा है कि वह कड़ी चुनौती इसलिए भी दे सकती हैं, क्योंकि इस इलाके से वह 2 बार चुनाव लड़ चुकी हैं। पूरे गांव को जानती हैं, वहीं, भासपा के कैंडिडेट इस इलाके के ही नहीं हैं। उनके विरोधी इसी को मुद्दा भी बना रहे हैं।

सपा के प्रभुत्व के चलते कांग्रेस को नहीं मिली यह सीट
वहीं कांग्रेस की बात करे तो बांसडीह सीट में सपा सरकार का काफी बोलबाला देखा जा सकता है। यहां सपा सरकार ने प्रचार वाहन के जरिए अखिलेश का काम बोलता है की जो प्रचार फिल्म चलाई है उसके जरिए सपा अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रही है। सपा ने यहां के लोगों में अपना प्रभुत्व बना रखा है। इसी के चलते सपा ने यहां से कांग्रेस का कोई उम्मीदवार खड़ा नहीं किया।

गौरतलब है कि बांसडीह विधानसभा क्षेत्र में कभी कांग्रेस के कद्दावर नेता बच्चा पाठक का दबदबा था। उन्होंने 1969 से 7 बार इस सीट पर जीत हासिल की। पाठक के बाद यहां रामगोविंद चौधरी की एंट्री हुई। वह यहां 2002 में चुनाव जीते। मुलायम मंत्रिमंडल में मंत्री भी रहे, लेकिन 2007 में चुनाव हार गए। हालांकि, वे 2012 में दोबारा सपा से जीते और मंत्री बने। वह हमेशा कांग्रेस के खिलाफ लड़ते रहे। इस बार भी कांग्रेस के कई दावेदार थे, लेकिन यह सीट अलायंस के चलते उनके पास ही रही।