एक मंदिर ऐसा भी जहां आरती में इंसानों के साथ जानवर भी होते हैं शामिल

punjabkesari.in Thursday, Feb 08, 2018 - 06:46 PM (IST)

मेरठः उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में एक ऐसा मंदिर है। जिसमें आरती के वक्त सिर्फ इंसान ही नहीं बल्की जानवर भी शामिल होते हैं। ये बात सुनकर हर कोई चौंक जरूर गया होगा, लेकिन हकीकत कुछ ऐसी ही है। इस मंदिर के महंत का दावा है कि रोजाना आरती के वक्त कुत्ते, बंदर, मोर, जलमुर्गी जैसे जानवर एकजुट होकर मंदिर परिसर में इकट्ठा हो जाते हैं और आरती में शामिल होते हैं। इतना ही नहीं शामिल हुए जानवर आरती के समय अपनी-अपनी आवाजें निकाल कर आरती में शामिल होते हैं।

जानकारी के मुताबिक ये मंदिर शहर के बाहरी क्षेत्र के दिल्ली रोड़ के गंगोल तीर्थ में स्थित है। महर्षि विश्वामित्र की तपोभूमि के तौर पर माने जाने वाले इस मंदिर का इतिहास 7 हज़ार वर्ष पुराना है। आज मंदिर के दीवारों का रंग फीका पड़ चुका है, लेकिन भक्ति के रंग वैसे ही हैं। हाथ में शंख लिए महंत शिवदास और शंख के करतल ध्वनि में अपनी आवाज मिलाते यह जानवर एक अलग ही कहानी बयां कर रहे हैं। भले ही लोग इसे अंधविश्वास कहें या कुछ और लेकिन यहां की आस्था का सच कुछ ऐसा ही है।

मंदिर के मेहंत शिवदास की मानें तो इंसानों से लेकर जानवरो में संस्कार ही इसके पीछे वजह है। यहां पर आम तौर पर कुत्ता मात्र 10 से 12 साल ही जीवित रहता है। इसी तरह जिस किसी भी जानवर का बच्चा पैदा होता वो भी इस नियम का अपने आप पालन करने लगता है। वहीं मंदिर में बरसों से रोजाना आ रहे श्रृद्धालुओं की मानें तो इस मंदिर का नजारा कुछ अलग ही है। 7 हजार वर्ष पूर्व ऐतिहासिक स्थल घने जंगलों के बीच श्री विश्वामित्र जी का मंदिर है।

मंदिर परिसर में ज्येष्ठ शुक्ल के दशहरे में यहां विशाल मेला लगता है। दूर-दराज से लोग यहां स्नान करने आते हैं और अपनी पूजा अर्चना करते हैं। मान्यता यह भी है यहां जो चर्मरोगी इस सरोवर में स्नान करता है उसके रोग भी दूर हो जाते है और साथ ही जो भक्त यहां अपनी मनोकामना मांगता है वह पूर्ण होती है ।