बर्थ, एजुकेशन और जॉब के बाद दोनों कोरोना पॉजिटिव भाईयों को एक साथ आई मौत, बोले पिता- पता था लौटेंगे तो दोनों नहीं तो...

punjabkesari.in Tuesday, May 18, 2021 - 06:22 PM (IST)

मेरठः जिंदगी भी न जानें क्या-क्या रूप दिखाती है। इसके रंग भी हजार हैं कभी खुशियों में चटकिला रंग तो कभी उदासीन और दुख का फिका रंग। ये जब चढ़ता है तो इंसान अंदर से टूट जाता है। ऐसा ही दुखद ताजा मामला उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले से है। जहां निष्ठूर, निर्दयी कोरोना ने दो जुड़वा भाईयों की जिंदगी की कहानी को खत्म कर दिया। कोरोना वायरस संक्रमण से महज कुछ ही घंटों के भीतर अपने जुड़वा बेटों को खोने वाले शिक्षक ग्रेगरी रेमंड राफेल का कहना है कि ‘‘मैं जानता था, अगर लौटेंगे तो दोनों साथ, वरना कोई वापस नहीं आएगा। जन्म से लेकर जाने तक दोनों ने सब कुछ साथ-साथ किया।'' मेरठ में छावनी क्षेत्र के निवासी राफेल के जुड़वां बेटों जोफ्रेड वर्गीज ग्रेगरी और राल्फ्रेड जॉर्ज ग्रेगरी का जन्म महज तीन मिनट के अंतर पर हुआ था और दुर्भाग्य की बात है कि महज 24 साल की उम्र में दोनों की कोरोना वायरस संक्रमण से कुछ ही घंटों के भीतर मौत हो गई।

अगर मेरे बेटे वापस आएंगे तो दोनों साथ नहीं तो कोई नहीं
परिजनों के अनुसार, जोफ्रेड की 13 मई को मौत हुई। इसके कुछ घंटों बाद 14 मई को राल्फ्रेड ने भी उपचार के दौरान दम तोड़ दिया। पेशे से शिक्षक ग्रेगरी राफेल और उनकी पत्नी सोजा ग्रेगरी का परिवार अपने दोनों बेटों की मौत होने से एक झटके में बिखर गया। राफेल ने बताया, ‘‘राल्फ्रेड ने अस्पताल से आखिरी बार अपनी मां को कॉल किया था। उसने कहा था कि उसकी तबियत में सुधार है। उसने जोफ्रेड की तबियत के बारे में पूछा, लेकिन हमने उससे झूठ बोला। हमने उसे नहीं बताया कि जोफ्रेड अब इस दुनिया में नहीं है। हमने उसे बताया कि जोफ्रेड को दिल्ली के एक अस्पताल में भेजा जा रहा है, लेकिन शायद उसे पता था। उसने अपनी मां से साफ कहा कि आप झूठ बोल रही हैं।'' राफेल ने कहा, ‘‘अंदेशा तो पहले से था लेकिन राल्फ्रेड के फोन कॉल के बाद ऐसा लगा कि अगर मेरे बेटे वापस आएंगे, तो दोनों साथ आएंगे, नहीं तो कोई नहीं आएगा।'' उन्होंने बताया, ‘‘जो भी एक को होता था, दूसरे को भी होता था। जन्म से ही ऐसा था।

23 अप्रैल को मनाया था अपना 24वां जन्मदिन 
राफेल के अनुसार, दोनों ने 23 अप्रैल को अपना 24वां जन्मदिन मनाया था। उन्होंने बताया कि जन्म, शिक्षा, नौकरी और यहां तक कि आगे के भविष्य की भी योजना दोनों ने साथ साथ बनाई थी। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन मुझे यह नहीं पता था कि सब कुछ साथ करने वाले मेरे बेटे दुनिया भी साथ में ही छोड़ेंगे।'' राफेल ने बताया कि 24 अप्रैल को दोनों की तबीयत खराब होने पर शुरुआत में उन्हें घर में रखा गया, लेकिन ऑक्सीजन स्तर 90 पर पहुंचने के बाद डॉक्टरों ने उन्हें अस्पताल ले जाने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि दोनों को एक मई को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनके संक्रमित होने की पुष्टि हुई। दूसरी आरटी-पीसीआर जांच रिपोर्ट निगेटिव आई थी, लेकिन संक्रमण उनके फेफड़ों में फैल चुका था और तमाम कोशिशों के बावजूद डॉक्टर उन्हें बचा नहीं सके।

ईश्वर ऐसा दिन कभी किसी दुश्मन को भी न दिखाए
आनन्द अस्पताल के प्रशासक डॉक्टर मुनेश पंडित ने बताया, “वे फिट थे, अच्छे थे, 6 फुट उनकी लंबाई थी। अस्पताल के कर्मचारियों और डॉक्टरों ने अपनी ओर से पूरी कोशिश की उन्हें बचाने की, लेकिन जोफ्रेड की 13 मई को और उसके कुछ ही घंटों बाद राल्फ्रेड की 14 मई को मौत हो गई। राफेल बताते हैं, ‘‘हमने बहुत संघर्ष किया है। वे हमें एक बेहतर जिंदगी देना चाहते थे। दोनों हैदराबाद से कोरिया और फिर जर्मनी जाने की योजना बना रहे थे। पता नहीं, भगवान ने हमें यह सजा क्यों दी।'' उन्होंने कहा कि दोनों जुड़वां बेटे एक दिन अचानक इस तरह साथ छोड़ देंगे, यह कल्पना भी नहीं की थी। राफेल कहते हैं, ‘‘ईश्वर ऐसा दिन कभी किसी दुश्मन को भी न दिखाए।''

 

 

 


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Content Writer

Moulshree Tripathi

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