आगरा: थाने में सुनवाई ना होने पर धरने पर बैठे पूर्व मंत्री व वर्तमान भाजपा विधायक, कहा- पुलिस के अधिकारी शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं करते

punjabkesari.in Wednesday, Nov 02, 2022 - 01:57 PM (IST)

आगरा (मानवेन्द्र मल्होत्रा) : योगी सरकार के पूर्व मंत्री व वर्तमान में आगरा के छावनी से विधायक डॉक्टर जी एस धर्मेश मंगलवार की रात सदर थाने में धरने पर बैठ गए। उन्होंने आरोप लगाया कि जिले के अधिकारियों से शिकायत करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं करते। ऐसे हालात में आखिर सत्ता से जुड़े विधायक करें तो क्या करें ? विधायक को अपने कार्यकर्ताओं का सम्मान भी बचाना है और सरकार की साख को भी बचाना है। पूर्व मंत्री के इस तरह से थाने में धरने पर बैठने पर क्षेत्राधिकारी अर्चना सिंह मौके पर पहुंची और कई बार विधायक से बैठक कर बातचीत करने की बात कही लेकिन वह नहीं माने।

संघ पदाधिकारी की पत्नी से अभद्रता का है मामला
पूर्व मंत्री डॉक्टर जी एस धर्मेश ने बताया कि मामला संघ पदाधिकारी की पत्नी से अभद्रता का था तो मैं सोमवार को पदाधिकारी के साथ सदर थाने आया था। यहां हमने आरोपी के खिलाफ लिखित में तहरीर दी और आरोपी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की थी। इंस्पेक्टर ने आश्वासन भी दिया लेकिन कोई उचित कार्रवाई नहीं हुई। इससे पहले उन्होंने खुद फोन पर चौकी इंचार्ज को भी बोला था कि इस मामले में उचित कार्रवाई करें लेकिन नतीजा सिफर रहा।



हमारी ये हालत तो आमजन का क्या होगा

पूर्व मंत्री ने कहा कि पुलिस हमारी नहीं सुनती तो आम जनता के हालात किस तरह होंगे समझा जा सकता है। हमारी ही सरकार है और हमारी ही सरकार में संघ के एवं हमारे कार्यकर्ताओं के साथ दुर्व्यवहार होता है। उनकी शिकायत को पुलिस अनसुना कर देती है। ऐसे हालातों में उनके पास धरने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता।

पुलिस पर लगाए रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के आरोप
जी एस धर्मेश ने पुलिस के ऊपर आरोप लगाते हुए कहा कि जब इस पूरे मामले में कार्रवाई को लेकर थाना सदर इंस्पेक्टर से वार्ता की गई तो उन्होंने बताया कि आरोपी अपनी पत्नी के साथ आया था। माफी मांग रहा था। इसीलिए अब कोई कार्रवाई नहीं होगी। पुलिस ने बिना पीड़ित को बुलाए खुद पंचायत कर ली और आरोपी को खुली छूट दे दी जबकि कॉलोनी वासी उस आरोपी से बेहद परेशान हैं। विधायक ने आरोप लगाया कि सदर थाने में मामले को लटकाए जाता है. जिससे लेन-देन सही से हो सके। अधिकतर मामलों में सुनवाई नहीं होती है। लेनदेन के बाद मामले निपट जाते हैं। सदर थाने के अंदर रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार भी चरम पर है।

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Prashant Tiwari