अखाड़ा परिषद ने किया कुंभ 2019 में शाही स्नान का बहिष्कार, जानिए क्यों?

punjabkesari.in Friday, Mar 16, 2018 - 05:10 PM (IST)

इलाहाबादः साधु-संतों की जानी-मानी संस्था अखिल भारतीय अखाडा परिषद ने कुंभ 2019 में शाही स्नान का बहिष्कार करने की घोषणा की। परिषद के अध्यक्ष नरेन्द्र गिरी ने पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा में आयोजित बैठक में कहा कि सरकार द्वारा संत-महात्माओं की लगातार उपेक्षा बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार से मध्यप्रदेश के उज्जैन में 2016 में सम्पन्न कुंभ मेला की तर्ज पर प्रयाग में व्यवस्था कराने की लिखित अपील की गई, लेकिन उस पर किसी प्रकार कार्रवाई नहीं की गई। केवल आश्वासन ही दिया जाता रहा। 

उन्होंने कहा कि यदि शासन और प्रशासन इसी प्रकार उपेक्षा करता रहा और उनकी मांगों पर विचार नहीं किया गया तो परिषद कुंभ में न किसी प्रकार की मूलभूत सुविधा लेगा और न ही शाही स्नान में शिरकत करेंगे। उन्होंने कहा कि अखाडा ही कुंभ की शान हैं। अखाड़ों के शाही स्नान देखने के लिए विदेश भी लोग यहां पहुंचते हैं। साधु-संत अपने हिसाब से आएंगे और गंगा, यमुना और सरस्वती में आस्था की डुबकी लगाएंगे।  अध्यक्ष ने कहा कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के मौखिक आदेश के साथ ही प्रशासन कुंभ में अखाड़ों के लिए व्यवस्था समय रहते की गई थी लेकिन, यहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मौखिक आदेश का प्रशासन कोई तवज्जों नहीं दे रहा है। 

उन्होंने आरोप लगाया कि योगी को मुख्य सचिव गुमराह कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कुंभ 2019 को विशेष इवेन्ट के रूप में परिलक्षित करने की घोषणा की है। वह चाहते हैं कुंभ विश्व में अद्वतीय रूप में पहचाना जाए। उन्होंने आरोप लगाया कि शासन पर प्रशासन भारी पड़ रहा है। मुख्यमंत्री का मौखिक आदेश भी अपने आप में एक आदेश है, लेकिन प्रशासन इसे महत्ता नहीं दे रहा है। 

परिषद अध्यक्ष ने कहा कि सरकार ने मेला विकास प्राधिकरण की घोषणा की, लेकिन उसमें भी अखाड़ा परिषद की उपेक्षा की गई। परिषद ने मांग की अखाड़ा परिषद की एक निगरानी कमेटी बनाई जाए जिसकी व्यवस्था परिषद के पदेन अध्यक्ष एंव महामंत्री करेंगे। इस निगरानी कमेटी में सभी 13 अखाडों के एक-एक प्रतिनिधि रहेंगे। बैठक में सनातन धर्म का गलत प्रचार करने या आपराधिक कार्यो में लिप्त रहने का आरोप लगाते हुए आज 2 और बाबाओं चक्रपाणी महराज और प्रमोद कृष्णनन को फर्जी करार दिया है। 

उन्होंने बताया कि इनका न तो किसी अखाड़ा और न ही किसी साधु परंपरा से संबन्ध है। परिषद ने घोषणा की है कि जो भी साधु समाज इनके कार्यक्रमों में शिरकत करेगा या इनको आमंत्रित करेगा परिषद द्वारा उसे बहिष्कृत माना जाएगा। 
 

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