अखाड़ा परिषद ने जारी की फर्जी बाबाओं की दूसरी लिस्ट, जानिए किन-किन बाबाओं के हैं नाम

punjabkesari.in Friday, Dec 29, 2017 - 04:22 PM (IST)

इलाहाबादः देश में फर्जी ढोंगी बाबाओं के सामने आने का सिलसिला थम नहीं रहा है। साधू- संतों की सबसे बड़ी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने फर्जी बाबाओं को लेकर एक बार फिर सख्त रुख अपनाया है। समाज में साधू-संतों की खराब हो रही छवि के मद्देनजर अखाड़ा परिषद ने शनिवार को फर्जी बाबाओं के खिलाफ एक और बड़ी कार्रवाई की है। परिषद ने देश के 3 और बाबाओं को फर्जी करार दिया है।

फर्जी बाबाओं की दूसरी लिस्ट जारी
दरअसल, इस नई सूची में दिल्ली के देवेन्द्र दीक्षित उर्फ़ कालनेमी बाबा, बस्ती के सच्चिदानंद सरस्वती और इलाहबाद की महिला संत त्रिकाल भावंता शामिल है। इलाहाबाद की मठ बाग्म्बरी गद्दी में आयोजित अखाड़ों की बैठक में यह ऐलान किया गया है। बैठक में कुम्भ में अखाड़ो को सुविधाए देने को लेकर भी कई प्रस्ताव पारित हुए है।

3 और फर्जी बाबा घोषित
देश में फर्जी बाबाओं के खिलाफ शनिवार अखाड़ों की सबसे बड़ी संस्था अखाड़ा परिषद ने एक बड़ी कार्रवाई की है। परिषद ने देश में 3 और बाबाओं को फर्जी घोषित कर उन्हें अपनी बिरादरी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। जिन बाबाओं के फर्जी घोषित किया गया है उसमें दिल्ली के देवेन्द्र दीक्षित उर्फ़ कालनेमी बाबा, बस्ती के सच्चिदानंद सरस्वती और इलाहबाद की महिला संत त्रिकाल भावंता शामिल है।

जानिए कौन-कौन है शामिल
इसके पहले 10 सितम्बर को परिषद देश के 14 बाबाओं को फर्जी घोषित करने वाली लिस्ट जारी कर चुकी है जिसमे -निर्मल बाबा, राधे मां, आसाराम बापू, सचिन दत्ता, गुरमीत सिंह, ओम बाबा, इच्छाधारी भीमा नन्द, स्वामी असीमां नन्द,ओम नमह शिवाय बाबा और नारायण साईं, रामपाल, आचार्य कुश्मुनी, ब्रहस्पति गिरी और मलखान गिरी शामिल थे। पहली बार किसी महिला संत को फर्जी बाबाओं की सूची में शामिल किया गया है। महिला संत त्रिकाल भवंता जो खुद को देश के पहले कथित महिला अखाड़े परी अखाड़े का महा मंद्लेशर बताती है उन्हें फर्जी घोषित किया गया है।

धार्मिक आयोजन में ना आने की अनुमति 
इलाहाबाद के मठ बाघम्बरी गद्दी में आज देश भर के सभी 13 अखाड़ों के संत इकट्ठा हुए। सभी ने एक स्वर से साधू संतो के नाम से करोडों का कारोबार करने वाले बाबाओं को अपनी जमात से बाहर का रास्ता दिखाते हुए उनकी यह सूची जारी की है। अखाड़ों ने फैसला किया है कि इन सभी साधू संतो को साधू समाज के किसी भी धार्मिक  आयोजन में आने की अनुमति नहीं दी जायेगी चाहे वह माघ मेला हो या फिर महा कुम्भ। सभी अखाड़ों ने परिषद् के इस कदम का खुले दिल से स्वागत किया है। बैठक में कुम्भ विकास प्राधिकरण में अखाड़ों को शामिल न किए जाने पर नाराजगी जाहिर की गई है।