अखिलेश सरकार के दावे खोखले, इलाज के लिए दर-दर भटक रहे मरीज

punjabkesari.in Tuesday, Apr 26, 2016 - 03:04 PM (IST)

बांदा(जफर अहमद): उत्तर प्रदेश सरकार प्रदेश की जनता को निशुल्क चिकित्सा मुहैया कराने के चाहे जितने दावे कर ले लेकिन निरंकुश चिकित्सा अधिकारियों की भ्रष्टनीति के चलते सरकारी अस्पतालों की दुर्दशा आज भी वही है। सरकारी अस्पतालों के सुविधा देने वाले विभागों में ताले लटके होने की वजह से मरीज दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर हैं। 
 
ताजा मामला चित्रकूटधाम मंडल मुख्यालय बांदा का है जहां जिला महिला चिकित्सालय की पैथोलॉजी लैब में पिछले 3 दिनों से ताला बंद है और गर्भवती महिलाएं जरुरी जांच के लिए इस भीषण लू-धूप में भटकने को मजबूर हैं। महिला मरीजों का आरोप है कि अस्पताल उनके लिए नरक बन गया है और रिश्वत के बिना यहां कोई काम नहीं होता है। पैसा न देने पर स्टाफ मरीजों से मारपीट तक करता है।  
 
चिकित्सा के क्षेत्र में बांदा को शासन ने मेडिकल कॉलेज जैसी सौगात तो दे दी लेकिन वहीं महिला अस्पताल में पैथोलॉजी पिछले ढाई साल से डग्गामारी से चलती रही। 31 अक्टूबर सन 2014 को लैब टेक्नीशियन पैथोलॉजिस्ट छेदीलाल के रिटायरमेंट के बाद से आजतक कोई इस पद पर नहीं नियुक्त किया गया। तिंदवारी डॉट्स सेंटर में नियुक्त लैब टेक्नीशियन सुनील कुमार पिछले ढाई साल से संबद्घ होकर पैथोलॉजी के नाम पर औपचारिकता करते रहे और अब उन्हें भी तिंदवारी वापस भेज दिया गया जिससे गर्भवती महिलाओं को जान के आफत पड़ गए हैं। पैथोलॉजी बंद होने से दूर-दराज से आने वाली गर्भवती महिलाओं को जांच के लिए भीषण गर्मी में परेशान होना पड़ रहा है। 
 
अपनी जांच के लिए भटक रही मरीजों का कहना है कि यहां पैथोलॉजी बंद है। महिला डॉक्टर ने जांच पुरुष अस्पताल से कराने को कहा लेकिन महिला अस्पताल के पर्चे पर वहां जांच करने से मना कर दिया गया। यहां मरीजों ने अस्पताल स्टाफ पर घूसखोरी और महिला मरीजों के साथ मारपीट करने का भी आरोप लगाया है। इस संबन्ध में जब अस्पताल में मौजूद नर्स से पूछा गया तो उन्होंने कुछ भी बताने साफ इंकार कर दिया।