कहीं अखिलेश के लिए मुसीबत न बन जाए शिवपाल का नया ‘दाव’!

punjabkesari.in Friday, Feb 03, 2017 - 08:49 AM (IST)

लखनऊ: अब आप ही देख लो कि सपा के भीतर क्या-क्या हो रहा है। और न जाने आगे क्या-क्या देखने को मिलेगा। अब जहां एक तरफ कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और अखिलेश यादव अपनी नई ‘जुगलबंदी’ और गठबंधन में नैतिकता और सदाचार तलाश रहे हैं। दोनों ही उत्तर प्रदेश की तस्वीर बदलने की बात कर रहे हैं, लेकिन अब ऐसा लगता है कि गठबंधन की तस्वीर  मुलायम सिंह यादव व शिवपाल को करियर के लिहाज से कहीं नया जीवन न दे दे। इस फैसले ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के लिए उन 105 नेताओं को कार्यकर्त्ताओं के बीच समर्थन की लहर पैदा कर दी है, जिनका कांग्रेस से गठबंधन निभाने के चलते अपने क्षेत्र में टिकट कट गया।

कांग्रेस से गठबंधन पर शिवपाल-मुलायम ने की अलोचना
वास्तव में अखिलेश यादव अपने पिता मुलायम सिंह से पार्टी अध्यक्ष पद लेने और पार्टी से जुड़े सभी प्रतीक चिन्हों पर अधिकार मिलने के बाद खुद की अपनी तस्वीर और बेहतर बना सकते थे लेकिन इसके उलट उनके लिए चिंताजनक खबर आ रही है। पार्टी पर कब्जे की लड़ाई में भले ही उन्होंने अपने बुजुर्गों को मात दे दी है, लेकिन पिछले कुछ दिनों में मुलायम और शिवपाल ने अखिलेश को संकेत दिया है कि वह उन्हें रेस से बाहर समझने की गलती बिल्कुल न करें। होने जा रहे चुनाव के लिए कांग्रेस के साथ गठबंधन करने के लिए मुलायम और शिवपाल दोनों ने ही अखिलेश की खुले तौर पर आलोचना की है। कुछ दिन पहले अपना नामांकन-पत्र दाखिल करने के बाद शिवपाल ने अखिलेश पर कड़ा हमला बोलते हुए कहा कि वह 11 मार्च को चुनाव परिणाम के बाद अपनी नई पार्टी बना सकते हैं। यह एक अजीबो-गरीब ‘तस्वीर’ है, जो शायद ही पहले कभी भारतीय राजनीति में देखी गई हो। वजह यह है कि पहले कभी पार्टी का कोई उम्मीदवार शायद ही अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष पर इस अंदाज में बरसा हो।

सपा-कांग्रेस का गठबंधन चुनाव नहीं जीत पाएगा
बहरहाल, शिवपाल का संदेश पूरी तरह से साफ था कि वह और मुलायम इस बात को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हैं कि सपा-कांग्रेस का गठबंधन चुनाव नहीं जीत पाएगा। और अखिलेश यादव फिर से मुख्यमंत्री नहीं बन पाएंगे और वह अखिलेश से दूसरे राऊंड में तब भिड़ेंगे, जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री परास्त हो जाएंगे। सच यह है कि पार्टियां जीत के जश्न में कभी नहीं टूटतीं। आंतरिक कलह से विद्रोह तब पनपता है, जब कोई पार्टी चुनाव हारने के बाद पस्त और बाहर होती है। अब यह जानने के लिए इंतजार करना होगा कि क्या शिवपाल की धमकी में कोई विश्वसनीयता है। या फिर उनके चुनाव आकलन (सपा चुनाव हार रही है) में कोई दम है और चुनाव के बाद सपा में दो फाड़ हो जाएगा। वैसे आपको बता दें कि पश्चिम उत्तर प्रदेश में शिवपाल के धड़े के लोगों के कार्यालय अभी से बनने शुरू हो गए हैं। इन कार्यालयों के बाहर ‘मुलायम के लोग’ लिखा हुआ है। यह साफ इंगित करता है कि सपा में मुलायम सिंह के समर्थक बाद में अखिलेश को टक्कर देने के लिए फिर से एकजुट होने का प्रयास कर रहे हैं। यह साफ है कि मुलायम और शिवपाल ने अखिलेश के कांग्रेस के साथ गठबंधन बनाने और उसे 105 सीटें देने के फैसले की खुले तौर पर आलोचना की है।

निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ने के लिए तैयार थे शिवपाल
आपको एक बार फिर से हम ध्यान दिला दें कि अपना नामांकन भरने के बाद शिवपाल ने कहा कि 6 महीने पहले कांग्रेस की क्या शर्त थी। तब कांग्रेस सिर्फ 4 ही सीटें जीत पाती। ऐसे में फायदा किसे मिला। निश्चित ही फायदा कांग्रेस को मिला है और हमारे लोगों ने टिकट गंवाया है। उन्होंने कहा कि हमने कांग्रेस को तब मात दी, जब न सड़कें थीं और न ही वाहन लेकिन अब हमारे कार्यकर्त्ताओं के साथ वाहन और सड़क दोनों ही हैं। शिवपाल ने तंज कसते हुए इस दिन कहा था कि मेहरबानी हुई, कृपा हुई कि टिकट मिल गया लेकिन उन्होंने जोर देते हुए यह भी कहा कि अगर उन्हें टिकट नहीं भी मिलता, तो वह बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ने के लिए तैयार थे। शिवपाल ने कहा कि वास्तव में बड़ी संख्या में उनके समर्थक यही चाहते थे कि वह बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ें। उन्होंने कहा कि 11 मार्च को चुनाव परिणाम के बाद वह नई पार्टी बनाएंगे। आपने गठबंधन करके हमारे लोगों के टिकट काटे। पार्टी को कमजोर करने के लिए पूरे इरादे के साथ टिकट काटे गए। इससे बड़ी संख्या में कार्यकत्र्ता निराश हैं और मैं समाजवादी पार्टी के किसी भी कार्यकर्त्ता को नुक्सान नहीं पहुंचने दूंगा।

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