गठबंधन के सवाल पर बोले अखिलेश, भविष्य के बारे में कोई कुछ नहीं कह सकता

punjabkesari.in Friday, Mar 16, 2018 - 02:07 PM (IST)

लखनऊ: गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में बसपा के ‘सहयोग‘ से जीत हासिल करने वाली सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन के संबंध पर अपने पत्ते नहीं खोले। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं को इस जीत को लेकर किसी भी तरह के गुमान से दूर रहने की हिदायत दी।

उपचुनाव में सपा की शानदार जीत के बाद बसपा मुखिया मायावती से मुलाकात करने गए अखिलेश ने संवाददाताओं से बातचीत के दौरान मायावती से हुई चर्चा और भविष्य में सपा-बसपा के गठबंधन के बारे में पूछे जाने पर कोई साफ जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा कि भविष्य के बारे में कोई कुछ नहीं कह सकता। इस सवाल पर कि क्या वर्ष 1995 में हुए गेस्ट हाउस काण्ड को लेकर मायावती के जहन में मौजूद गिले-शिकवे दूर हो गए, इस परसपा प्रमुख ने कहा कि हम समाजवादी लोग सबका सम्मान करते हैं। कुछ लोग पुरानी बातें याद दिला रहे थे, लेकिन कभी-कभी कुछ पुरानी बातें भूलनी पड़ती हैं। वही व्यक्ति सफल होता है, जो पुरानी बातें भूल जाता है।

अखिलेश ने गठबंधन को लेकर मायावती और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ निकट भविष्य में कोई बैठक होने के बारे में पूछे जाने पर कहा कि हम मीटिंग पर कम भरोसा करते हैं, साइकिल चलाने और गांव जाने पर ज्यादा भरोसा करते हैं। हालांकि, सपा अध्यक्ष ने इतना जरूर कहा कि कांग्रेस के साथ हमारे अच्छे सम्बन्ध बने रहेंगे। चूंकि नौजवान वह (राहुल) भी हैं और हम भी, इसलिए हमें मिलकर देश की तमाम समस्याओं का रास्ता निकालना है। उत्तर प्रदेश की पिछली समाजवादी सरकार ने दिखाया कि विकास का रास्ता क्या है।

अखिलेश ने बताया कि राहुल गांधी ने उपचुनाव में जीत के लिए उन्हें बधाई दी है। नेताजी (सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव) ने भी उन्हें आशीर्वाद दिया है। उन्होंने सपा कार्यकर्ताओं को गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव को लेकर किसी भी तरह के गुमान से दूर रहने की हिदायत देते हुए कहा कि जब जीत हासिल की है, तो हमें और आपको बहुत अनुशासन में रहना होगा। हमारी और आपकी भाषा, व्यवहार, बातचीत, एकदूसरे के प्रति लगाव और एक-दूसरे का सम्मान, ये हमें और आपको मिलकर करना होगा। तमाम वो चीजें हमें नहीं भूलनी हैं, जो हमारे व्यवहार से जुड़ी हैं।

अखिलेश ने इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का जिक्र करते हुए कहा कि अगर इतने बड़े पैमाने पर ईवीएम खराब ना होतीं तो समाजवादियों की जीत और भी बड़ी होती। कई ईवीएम में पहले से ही वोट पड़ा था। जनता ईवीएम के जरिए भाजपा पर अपना पूरा गुस्सा नहीं निकाल सकी। बेहतर यही है कि ईवीएम के बजाय मतपत्र से चुनाव हो।

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