सपा-कांग्रेस में फंसा पेंच, रालोद अकेले लड़ेगी चुनाव

punjabkesari.in Friday, Jan 20, 2017 - 08:48 AM (IST)

नई दिल्ली\लखनऊ: उत्तर प्रदेश में महागठबंधन पर सस्पैंस बरकरार है। समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और रालोद के बीच महागठबंधन को लेकर कई मुद्दों पर पेंच फंस गया है। अभी तक पारिवारिक घमासान में उलझी सपा को अब गठबंधन को गांठने में पसीने आ रहे हैं। सपा-कांग्रेस गठबंधन पर सहमति तो है लेकिन सीटों के बंटवारे पर मंथन चला। इस बीच रालोद मुखिया अजित सिंह ने अकेले उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव लडऩे का ऐलान कर दिया है। समाजवादी पार्टी के नेता किरनमय नंदा ने कहा कि समाजवादी पार्टी अकेले 300 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। हमारी पार्टी किसी क्षेत्रीय दल से संपर्क नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य 2017 के साथ 2019 है।

100 से कम सीटों पर राजी नहीं कांग्रेस
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 100 से कम सीटों पर राजी नहीं है जबकि अखिलेश 85 से ज्यादा सीटें देने को तैयार नहीं हैं, वहीं रालोद को भी 35 सीटें चाहिए थीं। मुख्यमंत्री कांग्रेस को सशर्त 100 सीटें देने को तैयार हैं। वह चाहते हैं कि कांग्रेस अपने कोटे से ही रालोद को सीटें दे। गठबंधन में चुनाव लडऩे के लिए कांग्रेस अपने लिए जिन 100 सीटों की मांग कर रही है उनमें वे सीटें हैं जहां से पहले या तो कांग्रेस के विधायक जीते थे या फिर वे दूसरे और तीसरे नम्बर पर रह गए थे। इसके अलावा कांग्रेस अमेठी, रायबरेली की सभी सीटें चाहती है जबकि रामपुर क्षेत्र की सीटों को लेकर भी पेंच फंसा है।

कांग्रेस को भी चाहिए सपा की सीटें
गठबंधन के लिए कांग्रेस  पार्टी  ने भी समाजवादी पार्टी के कब्जे वाली 10 सीटों की मांग रखी है। इन सीटों में अमेठी, रायबरेली के अलावा लखनऊ कैंट की सीट है। बता दें कि लखनऊ कैंट से अपर्णा यादव सपा की प्रत्याशी हैं।

रालोद की मांग
रालोद अपने लिए कम से कम 35 सीटें चाहती है। इनमें वे 3 सीटें भी हैं जहां वर्तमान में सपा का मौजूदा विधायक है। इसके लिए सपा कतई तैयार नहीं है। ये सीटें हैं-सिवालखास, सादाबाद, हाथरस और बुढ़ाना हैं।

सपा की मुश्किल
अखिलेश  कांग्रेस को 85 से ज्यादा सीटें देने को तैयार नहीं हैं जबकि कांग्रेस 100 सीटें मांग रही है। कांग्रेस पार्टी अमेठी, रायबरेली सहित यू.पी. की भी करीब दर्जन भर ऐसी सीटें चाहती है जिन पर सपा का कब्जा है। ऐसे में सपा के लिए कांग्रेस की सारी मांगे मानना आसान नहीं होगा।

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